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अब्राम - सच्चे परिवर्तन के समान
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डो.ए.बी. सीम्पसन (1843-1919) ने कहा कि “अब्राम का विष्वास... हकीकत में, सारे समय के लिये मूलरूप आदर्ष का विष्वास है। इसीलिये आदरणीय कहे जाते थे ‘जो विष्वास करता है उन सब का पिता’, रोमियो 4:11” (ए.बी.सीम्पसन, डी.डी., ध क्राइस्ट इन ध बाइबल कोमेन्ट्रीःओल्ड टेस्टामेन्ट, वींग स्प्रेड प्रकाषक, 2009 मे फिर से छपा हुआ, पृश्ठ. 78)।
मैं डो. सीम्पसन के साथ इस मुद्धे पर सहमत हुँ। अब्राम “मूलरूप आदर्ष (मुख्य प्रकार और द्रश्टांत) है विष्वास के सारे समय के लिये”। प्रेरितो पौलुस ने उन सब के बारे मे कहा “जो हमारे पिता अब्राहम के उस विष्वास की लीक पर भी चलते है,” (रोमियो 4 : 12)। ये मेरा आज रात का विशय है, “अब्राम-सच्चे परिवर्तन के समान”। “विष्वास के लीक” से मेरा अर्थ है जो स्पर्जनने कहा, “हम विष्वास पर स्थिति द्वारा पहुँचते है” (सी.एच.स्पर्जन, अराउन्ड ध विकेट गेट, पीलग्रीम प्रकाषन, 1992 मे फिर से छपा हुआ, पृश्ठ. 57)।
इस धार्मिक प्रवचन मे मैं तीन मुख्य पाठ उत्पति से दुँगा जो आदरणीय अब्राम का सच्चा परिवर्तन दिखाते है।
I. पहला, अब्राम बुलाता है।
महेरबानी करके पहले पाठ की ओर फिर से फिरो, और इसे जोर से पठो,
“अब यहोवाने अब्राम से कहा अपने देष और अपने कुटुम्बियों, और अपने पिता के घर को छोडकर उस देष मे चल जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा” (उत्पति 12 : 1)।
प्रभु ने अब्राम को बुलया “हारान मे बसने से पहले जब मेसोपोटामिया में था; तो तेजोमय परमेष्वर ने उसे दर्षन दिया, और उससे कहा, तू अपने देष और अपने कुटुम्ब से निकलकर उस देष मे जा, जिसे मैं तुझे दिखाऊँगा” (प्रेरितो 7 : 2-3)।
प्रभु ने अब्राम को अंधेरे पीडाकारी मूर्तिपूजक कसदियो के ऊर नगर से बाहर बुलाया। परन्तु अब्रामने प्रभु की आज्ञा को पूरी तरह से नहीं माना। उत्पति 12 : 1 कहता है “यहोवाने अब्राम से कहा, अपने देष, और अपने कुटुम्बियों, और पिता का घर छोडकर चला जा... (उत्पति 12 : 1)।” बजाय, अब्राम ने प्रभु को सिर्फ आंषिकरूप से माना। उसने ऊर छोडा, परन्तु उसने अपने मूर्तिपूजक पिता को पीछे नहीं छोडा। बजाय, उसने तेराह और उसके भतीजे लूत को उसके साथ लिया। और कनान जाने के बजाय, वो हारान में रूक गया, और उसके पिता के मरने तक वहीं रूक गया (उत्पति 11 : 31-32 देखिये)। आर्थर. डबल्यु. पींकने कहा, “अब्राम का बुलावा हमे दिखाता है विष्वास के जीवन के आरंभ का युध्ध। पहली जरूरत है संसार से अलग होने की... वहाँ पर कोई जानकारी नहीं है अब्राम के कोई ओर आकाषवाणी की जब तक (परमेष्वर का) बुलावा पुरी तरह माना गया... ये नहीं था जबतक वहाँ पर सच्ची जुदाई संसार से जो प्रभु के साथ मिलन (मसीह के द्वारा) संभव हो।” (आर्थर.डबल्यु. पींक.ग्लीनींग इन जेनेसीस, मुडी छापखाना, 1981 की प्रत, पृपृश्ठ. 141, 143, 144)।
हमारे लिये आने का क्या द्रश्टांत हैं! पीलग्रीम्स प्रोग्रेस मे जोन बुनयानने बिना बचाये गये आदमी के बारे मे कहा, जिसे अब्राम की तरह बुलाया गया था, परन्तु उसने “नाष का षहर” और अपने कुटुम्ब को नहीं छोडा, उसकी मसीह के ओर की मुक्ति की यात्रा में।
प्रभु ने “तुम्हे अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति मे बुलाया है” (1 पतरस 2 : 9)। “संसार से मित्रता करनी परमेष्वर से बैर करना है” (याकूब 4 : 4)। “उनके बीच मे से निकलो और अलग रहो... मैं तम्हे ग्रहण करूँगा, और मैं तुम्हारा पिता हुँगा, और तुम मेरे बेटे और बेटियाँ होंगे, यह सर्वषक्तिमान प्रभु परमेश्वर का वचन है” (2 कुरिन्थियों 6 : 17-18)। यह अवश्य, इसका अर्थ आश्रम मे जुड जाना नही है, या दुनिया के साथ कोई संबध नही रखना नही है। यीशुने कहा,
“मैं यह विनती नहीं करता कि तू उन्हें जगत से उठा ले; परन्तु यह कि तू उन्हे दुष्ट से बचाए रख” (यूहन्ना 17 : 15)।
बहुत बार हम देखते है कि युवा लोग अनििश्ंचतता से आगे पीछे होते है, जैसे अब्राम ने किया। उन्हे दो विश्वमे रहना होता है, हफते के दौरान बहुत से मित्रो के साथ, और हफते के अंत मे मसीही मित्रो के जुथ के साथ। फिर वे आश्चर्य करते है कि वे अपरिवर्तित क्यो रहते है! कारण सरल है। उन्हे फेन्नी क्रोस्बी (1820-1915) के साथ कहना चाहिये,“संसार ले लो, परन्तु मुझे यीशु दे दो”। इसे गाइये!
संसार ले लो, परंतु मुझे यीशु देदो,
सारा उसका आनंद है परंतु एक नाम;
परंतु उसका प्रेम ठहरेगा सदा,
अनंत वर्षो द्वारा भी समान ...
(‘‘संसार ले लो, परंतु मुझे यीशु दे दो’’ फेन्नी क्रोस्बी द्वारा, 1820 - 1915)।
आपका भाव ऐसा होना चाहिये; ‘‘संसार ले लो, परंतु मुझे यीशु दे दो’’ या आप कभी भी परिवर्तित नहीं होंगे!
यीशु ने कहा, ‘‘बुलाए हुए तो बहुत है परंतु चुने हुए थोडे है’’ (मती 22:14)। सिर्फ जो लोग अव्यर्थ तरीके से बुलाये गये है, जैसे अब्राम था, वे हिस्सा होंगे ‘‘चुना हुआ वंश और राजपदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और परमेश्वर की निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भूत ज्योति में बुलाया है’’ (1 पतरस 2:9)। ‘‘बहुतों’’ को प्रभु का बुलावा ध्यान न देनेवाले कानों पर पडता है। ‘‘क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत है परंतु चुने हुए थोडे है’’ (मती 22:14)। जैसे ए. डब्ल्यु. पींकने कहा, ‘‘वहाँ पर कोई भी जानकारी नहीं है अब्राम के कोई और आकाशवाणी की जब तक प्रभु का बुलावा पुरी तरह माना गया’’ (पींक, पइपक, पृष्ठ. 143)।
II. दूसरा, अब्राम का न्याय समर्थन।
महेरबानी करके दूसरे पाठ की ओर फिरे, उत्पति 15:6 में। चलिये खडे रहते है और इसे जोर से पडते है,
‘‘और उसने यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लखे में धर्म गिना’’ (उत्पति 15:6)।
आप बैठ सकते हो। मैं इस छोटे धार्मिक प्रवचन में अब्राम के पूरे जीवन का वर्णन बताने का समय नहीं ले सकता हूँ। मैं सिर्फ उत्पति पद में से तीन महत्वपूर्ण मुद्दा उठा सकुंगा, ये दिखाने ‘‘हमारे पिता अब्राहम के उस विश्वास की लीक’’ (रोमिया 4:12)।
यहाँ, उत्पति 15:6 में, हम उस क्षण पर आते है जब अब्राम को धर्मी ठहराया था। यह बहुत ही महत्वपूर्ण पद है। यह नयी नियमावली में तीन बार कथन किया गया है, रोमियो 4:3, गलातियों 3:6 और याकूब 2:23।
बहुत से भाष्यकार कहते है कि अब्राम धर्मी ठहरा पद पांच के वचन के विश्वास के द्वारा। परंतु अब्राम ने वह वचन में विश्वास प्रभु का बुलावा माना उत्पति 15:6 के बहुत पहले, क्योंकि हमें इब्रानियो 11:8 में कहा गया है,
‘‘विश्वास ही से अब्राहम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेनेवाला था; और यह न जानता था कि मैं किधर जाता हूँ, तौ भी निकल गया’’ (इब्रानियों 11:8)।
परंतु उत्पति 15:6 मे हमे कुछ नया कहा गया है। इस से पहले, अब्राम ने प्रभु के अस्तित्व पर विश्वास किया था, अैर रूकते हुए प्रभु की आज्ञा मान ली विश्वास की मंद रोशनी के द्वारा जो उसे थी, जिसे स्पर्जनने कहा ‘‘विश्वास से पहले विश्वास’’ - यह है, संस्कार या चमक कोई हकीकत में पुनःजीवित और परिवर्तित हो उससे पहले।
फिर भी उत्पति 15:6 में हमारे पास कुछ नया है। अब्राम ने ना सिर्फ ‘‘वचन’’ माना। ज्यादा महत्वता से, ‘‘उसने यहोवा पर विश्वास किया : और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना’’ (उत्पति 15:6)। वो सिर्फ वचन में ही नहीं माना, ओह नहीं! ‘‘उसने यहोवा पर विश्वास किया’’। सी.एफ. केइल ने इब्रानियों का अनुवाद किया इस प्रकार, ‘‘उसने जहोवा में विश्वास किया, और उसने उसकी धार्मिकता पर भरोसा किया।’’ डो. केइलने यह भी कहा कि अब्रामने प्रभु ने जो भी कहा उसका सिर्फ स्वीकार ही नहीं किया, परंतु हकीकत में प्रभु पर विश्वास किया,’’ पक्के अंदरूनीरूप, व्यक्तिगतरूप, स्व-समर्पण भरोसा व्यक्तिगतरूप पर ... ‘प्रभु पर विश्वास करने,’ उन पर भरोसा करने’’ (सी.एफ. केइल, पी.एच.डी. कोमेन्ट्री ओन ध ओल्ड टेस्टामेन्ट इन टेन वोल्युमस, वीलीयम बी. एडरमान्स प्रकाशन कम्पनी, 1973 में फिर से छपा हुआ, भाग 1, पृष्ठ. 212)।
प्रभु या मसीह की चीजों के बारे में सिर्फ विश्वास करना पर्याप्त नहीं है। आपको हकीकत में स्वयं मसीह पर विश्वास करना चाहिये प्रभु की नजर में धर्मी ठहरने के लिये। रोमियों चार के पद में जैसे कहा है,
‘‘पवित्र शास्त्र क्या कहता है? यह कि अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया। काम करनेवाले की मजूदरी देना दान नहीं परंतु हक्क समझा जाता है। परंतु जो काम नहीं करता वरन् भक्तिहीन के धर्मी ठहराने वाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना जाता है’’ (रोमियों 4:3-5)।
जब आप ‘‘उस पर’’ विश्वास करोगे आपका विश्वास ‘‘धार्मिकता गिना जाता है’’ (रामियों 4:5)।
यही अब्राम ने किया उस दिन, परंतु उस दिन से पहले नहीं, क्योंकि हम उत्पति 15:6 में पढते है, ‘‘इसी दिन (उसी दिन उसने यहोवा पर विश्वास किया) यहोवा ने अब्राम के साथ यह वाचा बाँधी।’’
यूहन्ना 3:18 में हम ये वचन पढते है, ‘‘जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती’’ (यूहन्ना 3:18)। ग्रीक शब्द अनुवाद किया गया है ‘‘पर’’ के लिये वो है ‘‘इझ’’ (मपे)। इसका अर्थ है ‘‘चीज या जगह में चलना’’ (झोडीयेटस) (र्वकीपंजमे)। आपका विश्वास यीशु मे ंजाना चाहिये, प्रभु के दाहिने हाथ पर स्वर्ग में। फिर से बाइबल कहता है ‘‘प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा’’ (प्रेरितो 16:31)। ग्रीक शब्द अनुवाद किया है ‘‘पर’’ के लिये यहाँ वो है ‘‘इपी’’ (मचप), इसका अर्थ है ‘‘ऊपर’’ (स्ट्रोन्ग)। यहाँ विचार है कि आप अपने आपको यीशु पर डाल दो। शब्दार्थ में ‘‘प्रभु यीशु मसीह के ऊपर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा’’ (प्रेरितो 16:31)। आपके पापो की माफी पाने के लिये और धर्मी ठहराने के लिये; आपको यीशु ‘‘में’’ ले जाया जाना चाहिये (मसीह के साथ मिलकर), और उसके ‘‘ऊपर’’ विश्वास करो। अपने आपको यीशु पर इस तरह फेंको जैसे कोई आदमी जलती हुई इमारत ‘‘से’’ स्वयं को बाहर फेंकता है और दमकल के आदमी की बिछाई हुई जाली के ‘‘ऊपर’’ उसे गिरता हुँ पकडकर बचाने के लिये। अपने आपको यीषु मसीह के “ऊपर” फेंको! ‘‘प्रभु यीशु मसीह के ऊपर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगां’’ (प्रेरितो 16:31)। वो ही अब्राम ने उस दिन किया। ‘‘उसने यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना’’ (उत्पति 15:6)।
मेरे विश्वास को विश्राम की जगह मिल गई है,
कोई उपकरण या धर्म में नहीं;
मैं सदा जीवित रहनेवाले पर विश्वास करता हूँ,
उसके जख्म मेरे लिये प्रार्थना करने चाहिये 000
(‘‘कोई ओर प्रार्थना नहीं’’ लीडी एच. एडमन्डस द्वारा, 1851 - 1920)।
मैं डो. जोन मेकआर्थर से ‘‘अवतरित पुत्रता’’ और यीशु के लहू पर असहमत होने के बावजूद भी, मैं उनसे उनके उत्पति 15:6 की टीप्पणी पर सहमत हूँ। उन्होंने कहा कि जब अब्राम ने ‘‘प्रभु में विश्वास किया’’, ‘‘अब्राम पुनःजीवित (फिर से जन्मा) था विश्वास द्वारा! (ध मेकआर्थर स्टडी बाइबल, वर्ड बाइबलस, 1997, पृष्ठ. 36; उत्पति 15:6 पर टीप्पणी)। वो इस पर पूरी तरह सच्चे है! परंतु वहाँ पर एक और मुद्दा है अब्राम के बारे में बाहर लाने के लिये, हमारे तीसरे पाठ से उत्पति में।
III. तीसरा, अब्राम को पवित्र ठहराने का कार्य।
प्रभु ने फलप्रदरूप से अब्राम को बुलाया। प्रभु ने अब्राम को पुनःजीवित और धर्मी ठहराया। और फिर प्रभु अब्राम को फिर से ‘‘दिखाई’’ दिये और उसे बुलाया पवित्र जीवन जीने के लिये। महेरबानी करके खडे रहिये और उत्पति 17:1 पद पर फिरो, और इसे जोर से पढो।
‘‘और जब अब्राम निन्यानवे वर्ष का हो गया, तब यहोवा ने उसको दर्शन देकर कहा, मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर हुँ, मेरी उपस्थिति में चल और सिद्ध होता जा’’ (उत्पति 17:1)।
आप बैठ सकते हो। स्पर्जनने उत्पति 17:1 का यह द्रष्टांत दिया। उसने कहा,
हम (शुरू करते है) हमारी अब्राम के जीवन की व्याख्या को उसके बुलावे के साथ, जब वो कसदियों के ऊर नगर में बाहर लाया गया, और कनान में प्रभु मे ंअलग किया गया। फिर हम उसकी धार्मिकता पर जाएगें जब उसने प्रभु पर विश्वास किया, और वो उसके लेखे में धर्म गिना गया; और अब ... हम वो ही विषय आगे के स्थान तक ले जाना जरी रखते है ... हमारे सामने के पाठ (उत्पति 17) में हम देखते है उसकी पवित्रता के काम प्रभु में ... जैसे बरतन जोडा गया हो मास्तर को उपयोग के लिये। सारे बुलावे (फल स्वरूप) न्याय किये गये और सारे पवित्र आत्मा की पवित्रता द्वारा न्याय किये गये ...
मुझे आपको याद दिलाने दिजीये जो क्रम से वो आशीर्वाद आते है। अगर हम को पवित्र कार्य की या पवित्र संस्कार की बात करनी हो, वो पहली चीज की तरह नहीं है, परंतु बढते कदमों के पत्थर तक पहुचने की ऊँचाई की तरह। व्यर्थ में आदमी सोचता है प्रभु के सामने पवित्र बनने का उनके प्रभु की आत्मा (द्वारा) बुलाने से पहले ... उन्हें सिखना चाहिये की इसका ‘‘नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है’’ का अर्थ क्या है, क्योंकि जब तक निश्चितरूप से आदमी आध्यात्मिक जीवन में नहीं लाया जाता पवित्र आत्मा (द्वारा) उनकी सारी बातें प्रभु को देने के बारे में शायद जवाब दी जाएगी यहोशू द्वारा, ‘‘आप प्रभु की सेवा नहीं कर सकते।’’ मैं पवित्रता के बारे में बात करता हूँ, परंतु यह पहली बार नहीं है, नाहीं दूसरी बार भी, क्योंकि आदमी यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराना चाहिये, या उसे अनुग्रह नहीं मिलेगा जो सच्ची पवित्रता की जड़ है; क्योंकि पवित्रता होती है यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा। याद रखिये पवित्रता फूल नहीं परंतु जड़ है; ये पवित्रता का कार्य नहीं है जो बचाता है, परंतु मुक्ति है जो शुद्ध करती है। आदमी उसकी पवित्रता से बचाया नहीं जाता, परंतु पवित्र बनता है क्योंकि वो पहले से ही बचाया जा चुका है ... प्रभु में पवित्रता मिलती है बुलावा और धार्मिकता द्वारा (सी.एच. स्पर्जन, ‘‘कोन्सीक्रेशन टु गोड - इलस्ट्रेटेड बाय अब्राहमस सरकमसीझन’’, ध मेट्रोपोलीटन टबरनेकल पुलपीट, पीलग्रीम प्रकाशन 1976 में फिर से छपां हुआ, भाग ग्प्ट, पृपृष्ठ. 685-686; उत्पति 17:1-2)।
एक व्यक्ति जिसके पास जुठा परिवर्तन है, वो ‘‘प्रभु के सामने, चलता है और ... पूर्ण (सत्यता; शुद्ध, स्कोफिल्ड)’’ नहीं कर सकता। जल्दी या बाद में ये स्पष्ट हो जाएगा कि उसने सच्चे परिवर्तन का कभी भी अनुभव नहीं किया था। सिर्फ जो फलस्वरूप बुलाये गये है और मसीह के साथ सच्चे मिलन के द्वारा धर्मी ठहराये गये हो, वो ही प्रभु के सामने चल सकेगा, और प्रभु के अनुग्रह द्वारा आदमी और औरत में बढेगा जो उनका पूरा जीवन प्रभु के लिये जी सकेंगे। जिसे सिर्फ ‘‘सच्चे वचन ही मिले है’’ उनके ‘‘गवाही’’ में वे फलस्वरूप गिरेंगे और सिर्फ नाम में मसीही बनेगे, या उससे बदतर। ‘‘सच्चे वचन’’ सीखने का प्रयत्न न करें, ‘‘सच्चे’’ वचन और ‘‘सच्ची’’ भावना आपको बचा नहीं सकती! कभी भी नहीं! स्वयं यीशु के लिये देखिये! सिर्फ स्वयं यीशु ही आपको धर्मी ठहरा सकते है और मसीही जीवन जीने के लिये अनुग्रह दे सकते है। रोमियों 5:1-5 में प्रेरितो पौलुस के अलावा किसी ने यह स्पष्ट नहीं किया,
‘‘अतः जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें, जिसके द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक जिसमें हम बने है, हमारी पहुँच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। केवल यही नहीं, वरन् हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यह जानकर कि क्लेश से धीरज और धीरज से खरा निकला और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है; और आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है’’ (रोमियों 5:1-5)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्रशास्त्र : रोमियों 4:1-5।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘कोई ओर प्रार्थना नहीं’’ (लीडी एच. एडमन्डस द्वारा, 1851 - 1920)।
रूपरेखा अब्राम - सच्चे परिवर्तन के समान डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा “अब यहोवाने अब्राम से कहा, अपने देष और अपने कुटुम्बियों, और अपने पिता के घर को छोडकर उस देष में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा” (उत्पति 12 : 1)। और उसने यहोवा पर विष्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना” (उत्पति 15 : 6)। “और जब अब्राम निन्यानवे वर्श का हो गया, तब यहोवा ने उसको दर्षन देकर कहा, मैं सर्वषक्तिमान ईष्वर हुँ; मेरी उपस्थिति में चल और सिध्ध होता जा” (उत्पति 17 : 1)। (रोमियों 4:11, 12) I. पहला, अब्राम बुलाता है, उत्पति 12:1; प्रेरितो 7:2-3; 1 पतरस 2:9; याकूब 4:4; 2 कुरिन्थियों 6:17-18; यूहन्ना 17:15; मती 22:14। II. दूसरा, अब्राम का न्याय समर्थन, उत्पति 15:6; रोमियों 4:12; इब्रानियों 11:8; रोमियों 4:3-5; उत्पति 15:18; यूहन्ना 3:18; प्रेरितों 16:31। III. तीसरा, अब्राम को धर्मी ठहराने का कार्य, उत्पति 17:1; रोमियों 5:1-5। |