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क्या रोब बेल सोचता है कि परमेष्वर
के पास सिर्फ एक ही गुण है?

DOES ROB BELL THINK GOD HAS ONLY ONE ATTRIBUTE?

डो. आर. एल. हायमर्स, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह 15 मई, 2011
को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, May 15, 2011

“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करो : क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे। जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चुका हो, और तुम बाहर खड़े हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे : और वह उत्तर दे, मैं तुम्हे नहीं जानता, तुम कहाँ के हो : तब तुम कहने लगोगे, हम ने तेरे सामने खाया-पीया और तू ने हमारे बाजारो में उपदेष किया। परन्तु वह कहेगा, मैं तुम से कहता हूँ, मैं नहीं जानता तुम कहाँ से हो। हे कुकर्म, करनेवाले, तुम सब मुझ से दूर हो” (लूका 13:24-27)।


रोब बेल युवा याजक है जिसने सबसे ज्यादा बीकनेवाली किताब लिखी जिसका षिर्शक था, लव वीन्स : स्वर्ग, अधोलोक और हर व्यक्ति जो कभी जीया था उसके भाग्य के बारे में किताब (हार्पर वन, 2010)। बेल सोचता है कि हरकोई, जो अधोलोक में है उनको भी मिलाकर, आखिरकार बचाया जाएगा।

टाईम पत्रिका (2 मई, 2011) ने बेल को अभी जिवीत सौ प्रभावषाली लोगो मे से एक “सबसे प्रभावषाली व्यक्ति” कहा। अगर यह सच है, प्रभु महेरबानी करके हमे मदद किजीये! बेल की किताब कहती है कि परमेष्वर द्रुश्ट लोगो से क्रोधित नही है और, मृत्यु के बाद भी, खोये हुए पापीयों को दिया जाएगा “दूसरा मौका” बचाने का। और उनका मतलब है हीटलर के जैसे लोगों से भी। क्रमिक हत्यारे, पीडा देनेवाले बच्चे, बलात्कारी और ओसामा बीन लादेन की तरह आतंकवादी! बेल ने कहा, “अन्त में प्रभु का प्रेम कठोर से कठोर मन को भी पीघला देता है...अधोलोक सदा के लिये नही है, और प्रेम, अतं में, जीतता है और सारे प्रभु से मिल जायेगे” (लव वीन्स, पइपकण्ए पृपृश्ठ. 108, 109)। डो. अल्बर्ट मोहलर, जुनि. दक्षिणी बप्तीस ब्रह्मज्ञानी धार्मिक पाठषाला, लाऊस वीले, केन्टकी, के अध्यक्ष ने कहा कि बेल की किताब “ब्रह्मज्ञानी के सिध्धांतो के अनुसार नाषकारी है। हम में से कोई भी चिन्तित होगा जब बह्मज्ञानी का महत्वपूर्ण विशय विनाषी तरीके से खेला गया है” (टाईम, 25 अप्रैल, 2011, पृश्ठ.40)। धार्मिक प्रवचन देते हुए रोब बेल का वीडीयो देखने के बाद, एंजलिकन (इन्गलेन्ड का कलीसिया) याजक डो. मीष्‍ोल योसेफ ने कहा, “मैंने घृणा-जनक महसूस किया...मैने देखा कि ये युवा आदमी कितना व्याकुल है और वह कैसा, अपने स्वयं के नाम को रचने के प्रयत्न मे, व्याकुल होना षुरू हुआ (वे जिसने उसको सुना) - अपनी और उनकी आत्मा को कितनी हानि का कारण...मैंने महसूस किया कि बेल के प्रष्न बहुत समान थे, अदन की वाटिका में सापों की तरह : ‘क्या प्रभुने हकीकत में वो कहा?'... लव वीन्स के साथ, रोब बेल करने के समर्थ...वो है हमें दिखाने कि वो विष्व व्यापक ;न्दपअमतेंसपेजद्ध है (वन न्युझ नाउ, घ स्वोर्ड ओफ ध लोर्ड में कथन किया हुआ, 15 अप्रैल 2011, पृश्ठ.10)।

“युनीवर्सालिस्ट” (“विष्वव्यापक”) वों है जो पवित्रषास्त्र के सरल षब्दो का अस्वीकार करता है और कहता है कि आखिरकार हर कोई अधोलोक से बचाये जाएगें। यह षिक्षा नई नहीं है। अदैतवादी विष्वव्यापकने यह दषको तक सिखाया। हेरी एमरसन फोस्डीक जैसे उदार ने यह सौ साल पहले सिखाया था। क्या इसे नये जैसा बताता है कि रोब बेल सुसमाचार प्रचारक होने का दावा करता है। दूसरा कहे जानेवाला सुसमाचार प्रचारक, डो. रीचर्ड माऊ, उदार फूलर ब्रह्मज्ञानी धार्मिक पाठषाला के अध्यक्ष (जहाँ, बेलने अपनी मास्तर कि एनातकता प्राप्त की) लव वीन्स की किताब को कहते है “श्रेश्ठ किताब” (डेइली न्यूझ जरनल) । मैंने बेल की किताब दो बार पढ़ी है। यह निसंदेह : कोई भी तरीके से “श्रेश्ठ किताब” नहीं है। ये एक सामान्य छोटी किताब है, यौवन संबंधी व्याकुलता से भरी और छोटे मनुश्य का खाली सिध्धांत और पवित्र षास्त्र घूमाने का मिश्रण है।

ये हमे हमारे पाठ तक लाता है। जैसे प्रभु यीषु मसीह यरूषलेम सफर कर रहे थे, भीड़ जो उन्हे अनुकरण कर रही थी वो कम होना षुरू हो गई। किसीने उन्हे पुकारकर कहा, “क्या वहाँ पर कोई भी होगा जो बचाया जाएगा?” यीषु ने यह प्रष्न का जवाब नही दिया। वह आदमी रोब बेल की तरह लगता था निर्लज्ज, और पूरी तरह स्वार्थी। “क्या वहाँ पर कोई भी होगा जो बचाया जाएगा?” उन्हे जवाब देने के बजाय, यीषु भीड की ओर फिरे और कहा,

“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करो : क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे। जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चुका हो, और तुम बाहर खड़े हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे : और वह उत्तर दे, मैं तुम्हे नहीं जानता, तुम कहाँ के हो : तब तुम कहने लगोगे, हम ने तेरे सामने खाया-पीया और तू ने हमारे बाजारो में उपदेष किया। परन्तु वह कहेगा, मैं तुम से कहता हूँ, मैं नहीं जानता तुम कहाँ से हो। हे कुकर्म, करनेवाले, तुम सब मुझ से दूर हो” (लूका 13:24-27)।

प्रभु यीषु मसीह, इस पाठ में, सीधे बात करते है रोब बेल की किताब लव वीन्स की एक ऋीत के बारे में।

रोब बेलने कहा, “क्या प्रभु जो कोई सच्ची तरह जिता हुआ, तूटा हुआ और मिलन के लिये उत्सुक हो, उसे कह सकते है, “माफ करना, बहुत देर हो गई? बहुतो ने स्वीकार करने से मना किया, द्रष्य जिसमें कोई द्वार पर खटखटाता रहे, माफी मांगते हुए, पष्चाताप करते हुए (?) और प्रभु से अंदर आने को कहते हुए, सिर्फ द्वार के ताला लगाने के छिद्र से प्रभु कहे : ‘द्वार बंद है। माफ करना। अगर आप यहाँ जल्दी आते, तो मैं कुछ कर पाता। परन्तु अब, बहुत देर हो चुकी है'” (लव वीन्स, पृश्ठ. 108)।

क्या प्रभु किसीको भी ऐसा कह सकते है? जरूर वे कह सकते है! क्या ये वैसा ही नही जैसा मसीह ने कहा?

“जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चुका हो, और तुम बाहर खडें हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे, और वह उत्तर दे मैं तुम्हे नही जानता, तुम कहाँ के हो...हे कुकर्म करनेवाले तुम सब मुझ से दूर हो” (लूका 13:25,27)।

हाँ, यह है जो उचित रीत से प्रभु कहेगें उन्हे जो मसीह का अस्वीकार करते है उनके पृथ्वी के जीवन के अंत में! परमेष्वर “द्वार बन्द कर” देंगे उनकी मुक्ति के लिये (लूका 13:25)। और क्या एकदम वैसा ही नही जैसा मसीह ने कहा जो प्रभु को करना चाहिये मूर्ख कवाँरो को ?

“जो तैयार थी, वे उसके साथ विवाह के घर में चली गई और द्वार बन्द किया गया। इसके बाद दूसरी कुँवारियाँ भी आकर कहने लगी, हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे। उसने उत्तर दिया, मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हे नहीं जानता” (मती 25: 10-12)।

फिर वहोँ वह बडा मूल रूप आर्दष का द्रश्टांत है प्रभु जो करते है पूरानी नियमावाली मेंं वही। “परन्तु जैसे नुह के दिन थे, वैसा ही मनुश्य के पुत्र का आना भी होगा” (मती 24:37)। बाइबल हमे कहता है नूह और उसकी पत्नी और उसके बच्चे और पत्नीयाँ क्या हुआ जब वे जहाज में चढ़े,

“और नूह के पास जहाज में गए...तब यहोवाने जहाज का द्वार बन्द कर दिया” (उत्पति 7: 15,16)।

“और केवल नूह, और जितने उसके संग जहाज में थे, वे ही बच गए” (उत्पति 7:23)।

प्रभुने “उसको अन्दर बन्द कर दिया” जब वो जहाज के अंदर गया। कोई और अंदर नही जा सका क्योंकि जहाज का द्वार प्रभु स्वयं द्वारा बन्द हो चुका था।

परमेष्वर आज भी वैसे ही है जैसे षुरू में थे। हमें पुरातन ज्ञान संबंधी नास्तिकता को कभी भी स्वीकार नही करना चाहिये कि पूरानी नियमावली के प्रभु नयी नियमावली के प्रभु के समान नही है। नही! वे अनंत प्रभु है। प्रेरितो पतरस ने कहा कि वे वो प्रभुु है जो

“...प्राचीन युग के संसार को भी न छोडा वरन् भक्तिहीन संसार पर महा जलप्रलय भेजा, पर धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया” (2 पतरस 2:5)।

सिर्फ आठ लोग बचाये गये थे, पृथ्वी के सारे समुदाय में से! “तब यहोवा ने जहाज का द्वार बन्द कर दिया” (उत्पति 7:16)। “और द्वार बन्द कर दिया” (मती 25:10)। “जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चुका हो” (लूका 13:25)। जब प्रभु मुक्ति के लिये द्वार बन्द करते है, कोई और अंदर नही जा सकता! इब्रानियो की किताब कहती है “मनुश्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है” (इब्रानियो 9:27)। “दूसरा अवसर” नही दिया गया है मृत्यु के बाद, उस पद में। अघोलीक में अब्राम ने घनवान आदमी से कहा, “हमारे और तुम्हारे बीच एक भारी गडहा ठहराया गया है : कि जो यहाँ से उस पार तुम्हारे पास जाना चाहे, वे न जा सकें; और न कोई वहाँ से इस पार हमारे पास आ सके” (लूका 16:27)। “दूसरा अवसर” नही दिया गया उस पद में भी।

रोब बेलने क्यों कहा, “प्रभु का प्रेम अन्त में कठोर मन को भी पीघला देता है...अधोलोक सदा के लिये नही है, और प्रेम, अंत में, जितता है और सारे प्रभु के साथ मिल जायेगें”? (लव वीन्स, पइपकण्ए पृपृश्ठ. 108, 109)।

रोब बेलने कहा कि क्योंकि वो प्रभु के बारे में गलत था! वह स्पश्टरूप से सोचता है कि प्रभु का सिर्फ एक ही गुण है - दया (प्रेम) का। परन्तु पावन पवित्रषास्त्र में प्रभु के बारे में कहा गया है दूसरा गुण - पवित्रता का गुण, जो न्याय का भी समावेष करता है। डो. डबल्यु. जी. टी. ष्‍ोडने प्रभु के न्याय पर यह समालोचना दी।

मसीही धर्म में...प्रतिकार संबंधी न्याय निरंतर देखने में आता है...पवित्रषास्त्र के भाग जो इसे इस तरह बताते है : “परमेष्वर की यह विधि जानते हैं कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले मृत्यु के दण्ड के योग्य है” (रोमियों 1:32); “क्लेष और संकट हर एक मनुश्य के प्राण पर जो बुरा करता है” (2:9); “जो परमेष्वर को नहीं पहचानते और हमारे प्रभु यीषु के सुसमाचार को नहीं मानते उनसे पलटा लेगा” (2 थिस्सलुनीकियों 1:8); “न्याय ने जीवित रहने न दिया” (प्रेरितो 28:4); “बदला लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूँगा” (रोमियों 12:19)...“जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातोें के करने में स्थिर नहीं रहता, वह षापित है” (गलातियों 3:10); “पाप की मजदूरी मृत्यु है” (रोमियों 6:23); “वह दुश्टों पर फन्दे बरसाएगा, आग और गन्धक, और प्रचण्ड लूह” (भजन संहिता 11:6); “लंगडा होकर जीवन में प्रवेष करना तेरे लिये इससे भला है कि दो हाथ या दो पाँव रहते हुए तू अनन्त आग में डाला जाए” (मती 18:8); “आग के अनन्त दण्ड में पडकर द्रश्टांत ठहरे है” (यहूदा 7); “हा, जिसको नरक में डालने का अधिकार है, मैं तुमसे कहता हूँ, उसी से डरो” (लूका 12:5); इत्यादि., इत्यादि. (डबल्यु. जी. टी. ष्‍ोड, पीएच.डी., डोग्मेटीक थीयोलोजी, एलन. डबल्यु गोम्स द्वारा ठीक किया हुआ, पी और आर प्रकाषन, तीसरी प्रत, 2003, पृपृश्ठ. 295, 301)।

डो. माटी्रर्न लोयड - जोनसेने कहा,

यह आधुनिक षिक्षक प्रभु के क्रोध में विष्वास नहीं करते; वे कहते है यह निकाल देना चहिये। परन्तु पूरानी नियमावली में यह विचार हमारे सामने 580 बार रखा गया है। कि प्रभु पाप के विरूध्ध क्रोधित है, कि प्रभु को पाप से नफरत है, ये है मूल प्रस्तावना (इयान एच मुरेय में कथन किया हुआ, लोयड-जोनेस : मेसेन्जर ओफ ग्रेस, ध बेनर ओफ ट्रुथ ट्रस्ट, 2008, पृश्ठ 209)।

यह नयी नियमावली के पद भी उतने ही सच है इस पद के जैसे,

“हे, साँपो, हे करैतों के बच्चे, तुम नरक के दण्ड से कैसे बचोगे?” (मती 23:33)।

“जहाँ उनका कीडा नहीं मरता और आग नही बुझती” (मरकुस 9:48)।

“वे प्रभु के सामने से और उसकी षक्ति के तेज से दूर होकर अनन्त विनाष का दण्ड पाएँगे” (2 थिस्सलुनीकियों 1:9)।

अब फिर, पापी प्रभु के दण्ड से कैसे बच सकता है? अपने पाठ का पहला पद कहता है,

“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करो, क्योेंकि मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13:24)।

डो. जोन गील (1697-1771) ने कहा कि सकेत द्वार मसीह स्वयं है। फिर उन्होने कहा,

“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करो”... प्रयत्न करने, पवित्रषास्त्र को जतन के साथ खोजने, वचनो के प्रवचन पर ध्यान लगाना निश्ठा के साथ, कोई भी अवसर को अनदेखा किये बिना; उत्सुकता से प्रार्थना करें आध्यात्मिक प्रकाष के लिये, ज्ञान, और अनुग्रह; हर दुष्मन के साथ विवाद करना की आत्मा के मुक्ति का वरोध, जैसे पाप, ष्‍ोतान और विष्व, सारे तिरस्कार और बाधा सहन करने, और सारी मुष्किलों से दबाये जाओ; इनाम के लिये...” बहुतो के लिये, मैं आपसे क्हता हूँ और “क्योंकि मैं त्‍ुम से कहता हूँ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेेंगे, और न क्र सकेंगे”-या तो बहुत देर हो चुकी है, जब द्वार बन्द हो चुका हो; या कुछ पहले थोडे बहुत बल से, काल्पनिक तरीके से...स्व-प्रेम के सिध्धांत से, जो एक को ले जाता है (सिर्फ) आनंद की इच्छा तक; और सारे पेचदार और गलत तरीको से नियम की बाहरी सफलता के साथ, और ना कि मसीह द्वारा और उनमें विष्वास के द्वारा (जोन गील, डी.डी., एन एक्सपोझीषन ओफ ध न्यू टेस्टामेन्ट, ध बेप्टीस्ट स्टानर्डड बेरर, 1989 में फिर से छपा हुआ, भाग प्, पृश्ठ. 626; लूका 13:24 पर टीप्पणी)।

मैं स्पर्जन के परिवर्तन को पठता आया हूँ उनकी आत्मकथा मेंं। आत्मा की कितनी तडप से वे गुजरे थे पांच साल तक, उनके 15 वर्श की आयु में परिवर्तित होने से पहले! मैं उनके कुछ षब्द उठाता हूँ; क्योंकि उन्होंने प्रयत्न किये मसीह में प्रवेष पाने के। उन्होने कहा,

पांच साल तक, बच्चे की तरह, मेरे सामने मेरे अपराधों के अलावा कुछ भी नहीं था...दिन और रात प्रभु का हाथ मुझ पर भारी हो रहा था। मैं छुटकारे के लिये भूखा था; क्योंकि मेरी आत्मा भी मेरे साथ बेहोष हो गई। मुझे डर था ऐसा न हो कि बर्फ पर चलनेवाली गाडी मुझ पर गिरे; और मेरी अपराधी आत्मा को कुचल दे। प्रभु की व्यवस्था ने मुझ पर वष क्यिा था, और मुझे मेरे पाप दिखा रही थी। अगर मैं रात को सोता हूं, मैं तले बिना के गडडे का ख्वाब देखता हूँ, और जब मैं जागता हूँ, मैं अपने ख्वाब के लिये दुर्भाग्य महसूस करता हूँ...आसुँ और पीडा के साथ, मैंने अपनी प्रार्थना की, आषाहिन और बिना आश्रय, क्योंकि परमेष्वर की व्यवस्था मुझे दण्ड के लिये बेंत से मार रही थी दस काटोवाले कोडें से, और फिर बादमें (जख्म पर नमक) धीसते थे, ताकि मैं पीडा और तडप के कारण डर जाऊँ, हिल जाऊँ और तडप उठुं, और मेरी आत्मा ने गला घोटना पसंद किया बजाय जीवन के; क्योंकि मैं हद से ज्यादा गमगीन था। वो दुर्भाग्य इस कारण भेजा गया था कि मैं षायद फिर यीषु को पुकारूं। हमारे स्वर्गीय पिता आमतोर पर हमें उध्धारक नहीं दिखाते जब तक वो हमे हमारे सारे आत्म विष्वास से हिला नही देते; वे हमे (ज्यादा देर तक) स्वर्ग के लिये नही बना सकते जब तक वो असहनीय तडप, अंतःकारण की चुभन महसूस नही कराते, जो अधोलोक का पूर्वानूभव है (सी.एच. स्पर्जन, ओटोबायोग्राफी, वोल्युम प्ः ध अर्ली यर्स, मूलरूपसे सुसाना स्पर्जन और जोसेफ हेराल्ड द्वारा संग्रहित, ध बेनर ओफ ट्रुथ ट्रस्ट; 1985 में फिर से छपां हुआ, पृश्ठ.58)।

मैं कैरते प्रार्थना करूं ताकि आप में से कुछ अपरिवर्तित युवा लोग अपने पापो के अपराधभाव के अधीन लाये जाओ, जैसे स्पर्जन लाया गया था। फिर षायद आप महसूस करो। यीषु के लिये अपनी जरूरत इतनी गहराई से कि आप अपने आपको उन पर डाल देंगे, और आप सच्चा परिवर्तन महसूस करोगे। आमीन। महेरबानी करके खडे रहिये और अपने गीतो के पर्चे का 7वां गीत गाइये, “हमारी उत्पन्न न कि हुई अवस्था”, डो. इसाक वोटस द्वारा, “अद्भूत अनुग्रह” की तर्ज पर।

श्रेश्ठ प्रभु दिव्यता और अनुग्रह के,
   हम स्वयं, निचे षर्म के साथ,
कितनी द्रुश्ट हमारी नीच उतरती जाति है,
   और हमारे पहले पिता का नाम।

आदम से हमारी ओर कलंकित लहू बहता है,
   जहर उसमें षासन करता है;
हमे जो अच्छा है उसके विरूध्ध करता है,
   और पाप का गुलाम बनाना चाहता है।

हर रोज हम प्रभु की पवित्र व्यवस्था तोडते है,
   और फिर उनके अनुग्रह का अस्वीकार;
ष्‍ोतान के भयानक कारण में व्यस्त होते है,
   प्रभु के पवित्र चहेरे के विरूध्ध।

हम बिछडे हुए जी रहे है, प्रभु से दूर,
   और प्रेम भी दूर अंतर से;
हम जल्दी से दौडते है खतरनाक रास्तो पर,
   जो हमे पाप और अधोलोक तक ले जाता है।

हम हमारे पिता का नाम ऊपर उठाते है,
   जो अपनी आत्मा भेजते है;
द्रोही पापीयों को समीप लाने, और
   मसीह के षत्रु को मित्र में फिराने।

और क्या ऐसे द्रोही फिर से सुधर सकते है,
   ऐसे अंधेपन में रोषनी बना सकते है?
पापीयों को आपका पुत्र देखने दिजीये,
   ओ प्रभु, और उनके लहू की दिव्याता महसुस
करे। (“हमारी उत्पन्न न हुई अवस्था” डो. इसाक वोटस द्वारा, 1674-1748;
      “अद्भूत अनुग्रह” की तर्ज पर)।

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल. चान द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : लूका 13:22-29।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन कीनकेड ग्रीफिथ द्वारा गया हुआ गीत :
“फिर आप क्या कहोगे?” (डो. जोन आर राइस, द्वारा 1895-1980)।


रूपरेखा

क्योें रोब बेल सोचता है कि परमेष्वर
के पास सिर्फ एक ही गुण है?

डो. आर. एल. हायमर्स, जुनि. द्वारा

“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करो : क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे। जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चुका हो, और तुम बाहर खड़े हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे : और वह उत्तर दे, मैं तुम्हे नहीं जानता, तुम कहाँ के हो : तब तुम कहने लगोगे, हम ने तेरे सामने खाया-पीया और तू ने हमारे बाजारो में उपदेष किया। परन्तु वह कहेगा, मैं तुम से कहता हूँ, मैं नहीं जानता तुम कहाँ से हो। हे कुकर्म, करनेवाले, तुम सब मुझ से दूर हो” (लूका 13:24-27)।

(मती 25:10-12; 24:37; उत्पति 7:15; 16,23; 2 पतरस 2:5;
इब्रानियोें 9:27; लूका 16:26; रोमियोें 1:32; 2:9;
2 थिस्सलुनीकियों 1:8; प्रेरितों 28:4; रोमियों 12:19; गलतियों 3:10;
रोमियों 6:23; भजन संहिता 11:6; मती 18:8 यहुदा 7; लुका 12:5;
मती 23:33; महसुस 9:38; 2 थिस्सलुनीकियों 1:9)