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कष्ट सहने के लिये निश्चितDETERMINED TO SUFFER डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजीलस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, ‘‘जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' (लूका 9:51)। |
डो. जोन गीलने कहा, ‘‘अब समय आ चुका था कि यीशु को अब गलील की व्यवस्था जमीन छोडनी चाहिये, उसका काम वहा पूरा करके और यहूदा के उच्च राष्ट्र में जाने के लिये और इस तरह यरूशलेम तक ... इसके बाद, वे कभी भी गलील गये ही नहीं ... और वे यरूषलेम जाने के लिये निश्चित थे ... जब कि उन्हें मालूम था कि उन्हे किससे मिलना था और क्या सहना था कि वे अपने लोगो के पाप सह सके, व्यवस्था का श्राप और यातनाभरी, शर्मनाक और शापित मृत्यु से गुजरने; फिर भी ये किसी भी चीजने उनहें डराया नहीं, वे (वहा) जाने के लिये (दृढ थे)'' (जोन गील, डी.डी, एन एक्सपोझीशन अॉफ ध न्यू टेस्टामेन्ट, ध बेप्टीस्ट स्टानर्डड बेरर, 1989 में फिर से छपा हुआ, भाग 1, पृष्ठ. 589; लूका 9:51 पर टिप्पणी)।
‘‘जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' (लूका 9:51)।
‘‘उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' क्रूस पर मरने के लिये। मैं इस पाठ के तीन विचारों को सामने लाऊँगा।
I. पहला, मसीह कारण से क्रूस पर गये थे।
मसीह का क्रूस पर चढाना अकस्मात नहीं था! ना! उन्होंने पहले से ही अपने चेलो से कहा था,
‘‘मनुश्य के पुत्र के लिये अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए और पुरनिए और प्रधान याजक और शास्त्री, उसे तुच्छ समझकर मार डालें, और वह तीसरे दिन जी उठे'' (लूका 9:22)।
फिर से, उन्होंने उनसे पहिले से कहा,
‘‘तुम इन बातों पर कान दो; क्योंकि मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकडवाया जाने को है। परंतु वे इस बात को न समझते थे और यह उनसे छिपी रही कि, वे उसे जानने न पाएः और वे इस बात के विषय में उससे पूछने से डरते थे'' (लूका 9:44-45)।
चेले नहीं समझ पाये थे कि वे यरूषलेम जा रहे थे क्रूस पर मरने के लिये फिर भी, मसीह को यह मालूम था और वे समझ चुके थे। लूका के सुसमाचार में तीसरी बार मसीह ने कहा,
‘‘देखो, हम यरूशलेम को जाते है, और जितनी बाते मनुष्य के पुत्र के लिये भविष्यवक्ताओं के द्वारा लिखी गई है, वे सब पूरी होंगी। क्योंकि वह अन्य जातियों के हाथ में सौंपा जाएगा, और वे उसे ठट्टो में उडाएँगे और उसका अपमान करेंगे, और उस पर थूकेंगे और उसे कोडे मारेंगे और घात करेंगे और वह तीसरे दिन जी उठेगा। पर उन्होंने इन बातों में से कोई बात न समझी और यह बात उनसे छिपी रही, और जो कहा गया था वह उनकी समझ में न आया'' (लूका 18:31-34)।
चेलो ने सोचा था कि यीशु का राज्याभिषेक करके राजा बनेंगे और इस्त्राएल का ख्रिस्त बनेगे। वे सरलता से ये समझ नहीं सके कि उन्हें क्रूस पर क्यों मरना पडा। क्यों? लूका 18:34 कहता है कि ‘‘यह बात उनसे छिपी रही''। ये तब तक नहीं था जब तक मसीह मृत्यु से उठे कि उन्होंने खोली ‘‘उनकी समझ ... और उनसे कहा, यों लिखा है कि मसीह दुःख उठाएगा और तीसरे दिन मरे हुओं में जी उठेगा'' (लूका 24:45-46)। इसलिये चेलो को सुसमाचार की समझदारी नहीं थी (1 कुरिन्थियों 15:1-4) जब तक मसीह मृत्यु से उठे (सीएफ.जोन20:22,24-28)।
परंतु यीशु को पता था कि वे यरूशलेम क्यों जा रहे थे। ‘‘उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' क्रुस पर मरने के लिये (लूका 9:51)। उन्हें पता था कि परमेश्वर उसके आत्मा को कुचलेंगे गतसमनी में हमारे पापो के बोझ से - तब तक जब तक वो लहु भरे पसीने न बहाये और प्रभु के लिये चिल्लाये उस रात उन्हें मृत्यु से बचाने, कि वे सुबह में शायद क्रूस पर जाये। उन्हें पता था कि पिलातुस उन्हें नोचेंगे, और हर वक्त लहु बाहर आया और उनकी माँस हड्डीयों से चीर कर अलग हो गई, नोचनेवाले उनपर हसेंगे और थूकेंगे, उनकी वेदना को और ज्यादा असहनीय और भयानक बनायेंगे। और मसीह को पता था कि वे यरूशलेम जा रहे है क्रूस पर कील से ठोके जाने के लिये। उन्हें पता था कि वे उन्हें घसीटकर ले जायेंगे नोचनेवाली जगह से ओर उनके हाथ पाँव पर कील ठोकेंगे। फिर, जब सिपाहीयों ने क्रूस ऊँचा उठाया वे घंटो तक लटकेंगे, नंगे, गर्म धूप में उनके मरने से पहले। हा, यीशु को ये सब पता था; उन्हें पता था कि वे यरूशलेम जा रहे है तडपने, लहु बहाने और मरने के लिये। फिर भी ‘‘उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' (लूका 9:51)। उन पर वहाँ जाने के लिये कोई दबाव नहीं था! नहीं! वे अपनी इच्छा से गये,
‘‘... जिसने उस आनंद के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुःख सहा और परमेश्वर के सिंहासन की दाहिनी ओर जा बैठा'' (इब्रानियों 12:2)।
यीशु मसीह, ‘‘उस आनंद के लिये जो उसके आगे धरा था,'' ‘‘उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' - क्रूस पर मरने के लिये! खडे रहीये और ये समुहगान गाईये,'' क्रूस में।
क्रूस में, क्रूस में,
मेरी शोभा सदा रहे;
जब तक मेरी छेदी हुई आत्मा को मिले
विश्राम नदी के पार।
(‘‘क्रूस के नजदीक'' फेन्नी जे. क्रोस्बी, 1820-1915)।
आप बैठ सकते हो, हां, मसीह क्रूस पर कारण से गये।
‘‘जब उसके ऊपर उठाये जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने यरूषलेम जाने का विचार दृढ किया'' (लूका 9:51)।
II. दूसरा, मसीह क्रूस पर गये हमारे लिये आदर्श छोडने।
मुझे पता है कि पुराने समय के बाइबल अस्वीकार करनेवाले उदार, जैसे हेरी इमरसन फोस्डीक, ने यह मुद्दा बढाकर कहा, क्येंकि उनके पास और कोई मुद्दा दृढ करने को नहीं था! परंतु यह मुद्दा है जो बाइबल में है - इसलिये हमें कभी - कभी इस पर प्रवचन देना चाहिये। सायमन पीटर उदार नहीं था, और उसने कहा,
‘‘मसीह भी तुम्हारे लिये दुःख उठाकर तुम्हें एक आदर्श दे गया है कि तुम भी उसके पद चिन्हों पर चलो'' (1 पतरस 2:21)।
मसीह ने ‘‘यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' तडपने और मरने के लिये। और हर सच्चा मसीही को उनका ‘‘आदर्श'' (1 पतरस 2:21) के पद चिन्हों पर चलने की इच्छा रखनी चाहिये। हर सच्चे परिवर्तित मसीही को मसीह की तरह प्रयत्न और कठीनाई से गुजरने की इच्छा करनी चाहिये जैसे हमारे बडे आदर्श ने किया।
मैं जानता हूँ कि कहा जानेवाला ‘‘सफल सुसमाचार'' अब बहुत मशहुर है। बेन्नी हीन्न, जोएल ओस्टीन, और दूसरे बहुत टीबीएन पर, इस मुद्दे पर सदा प्रवचन देते हैं। परंतु ये सिर्फ गुजरनेवाली धून है। आप ये बहुत ज्यादा नहीं सूनेंगे (अगर है फिर भी) अब से दस साल बाद। अर्थतंत्र के पीघलने के दौरान, कि ये सिर्फ शुरूआत है, बहुत से लोग ये महसूस करेंगे कि ‘‘सफल सुसमाचार'' गलत शिक्षा है। सच्चा सुसमाचार सच्चे परिवर्तित को स्वयं निश्ोधक और क्रूस उठाने वाले तक के जीवन तक ले जायेगा। यीशु ने कहा,
‘‘यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले'' (लूका 9:23)।
ध्यान दिजिये कि यीशु ने कहा, ‘‘यदि कोई''। वे कोई खास जूथ ‘‘बडे शास्त्री'' के बारे में नहीं बोल रहे थे। उन्होंने कहा,
‘‘यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले'' (लूका 9:23)।
मुझे गलत मत समझना। मैं नहीं मानता कि मनुष्य हमारी मुक्ति के लिये काम करता है। मुक्ति पूरी तरह से अनुग्रह है ‘‘न कर्मो के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे'' (इफिसियों 2:9)।
‘‘क्योंकि परमेश्वर ही है जिसने अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनो बातों के करने का प्रभाव डाला है'' (फिलिप्पियों 2:13)।
जब परमेश्वर आप के अंदर काम करते है, आप अपने आपको मना करना चाहोगे और क्रूस उठा लोगे, और दोष सिद्ध की तडप से गुजरेंगे, और मसीह के पास आइये, और प्रयत्न और मानसिक व्यथा मसीह की तरह क्योंकि,
‘‘हमें बडे क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा'' (प्रेरितो 14:22)।
कोई शायद कहे, ‘‘अगर ये इतना कठिन है, तो कोई मसीही क्यों बनेगा?'' जवाब सरल है,
‘‘तेरी प्रजा के लोग तेरे पराक्रम के दिन स्वेच्छाबलि बनते है'' (भजनसंहिता 110:3)।
मैं जानता हुँ कि बहुत से श्रेष्ठ मसीही तीसरे विश्व में जो तडपाये गये और उनके विश्वास के लिये जेल में डाले गये थे। फिर भी उन्होंने मसीह को नहीं छोडा। आप उनके बारे में पढ सकते हो इन्टरनेट पर www.persecution.com पर। प्रभु के अनुग्रह के द्वारा, आप शायद उनके जैसे बन जाओ, जैसे वे मसीह की तरह है, जो ‘‘उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' (लूका 9:51) - क्योंकि ‘‘मसीह भी तुम्हारे लिये दुःख उठाकर तुम्हें एक आदर्श दे गया है कि तुम भी उसके पदचिन्हों पर चलो'' (1 पतरस 2:21)। ये तडपने के द्वारा है कि हम तैयार मसीही में बढते है। प्रभु मसीही के जीवन का प्रयत्न और क्लेश इस्तेमाल करते है हमें विश्वास में पवित्र और मजबूत बनाने के लिये। प्रेरितों पौलुस ने कहा,
‘‘केवल यही नहीं, वरन् हम क्लेशों में भी घमण्ड करे, यह जानकर कि क्लेश से धीरज और धीरज से खरा निकला; और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है; और आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमे दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है'' (रोमियों 5:3-5)।
फिर आप वो समुहगान गाने के लिये समर्थ होंगें। मैं जानता हुं आप में से कुछ को ये अब मतलब का नहीं है, परंतु प्रभु के अनुग्रह द्वारा, किसी दिन आप मेसे कुछ इस से मतलब रखेंगे। महेरबानी करके खडे रहीये और इसे फिर से गाइये!
क्रूस में, क्रूस में,
मेरी शोभा सदा रहे;
जब तक मेरी छेदी हुई आत्मा को मिले
विश्राम नदी के पार।
आप बैठ सकते हो। हा, मसीह क्रूस पर गये हमारे लिये आदर्श रखने के लिये - हमें बताने कि हमें उनका अनुकरण करना चाहिये चाहे जो भी किमत हो।
‘‘जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने यरूषलेम का विचार दृढ किया'' (लूका 9:51)।
III. तीसरा, मसीह क्रूस पर हमारे पापो का प्रायश्चित करने गये।
यीशु ने याकूब और यूहन्ना से कहा,
‘‘क्योंकि मनुष्य का पुत्र लोगो के प्राणों का नाश करने नहीं वरन् बचाने के लिए आया है'' (लूका 9:56)।
यीशु ने झक्काई (Zacchaeus) से कहा,
‘‘मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूँढने और उनका उद्धार करने आया है'' (लूका 19:10)।
उनकी क्रूस पर मृत्यु के द्वारा, यीशु आपको दण्ड, और पाप, और प्रभु के क्रोध से बचा सकते है। यीशु आपको बचा सकते है आपकी जगह मरके, आपके पापो को चुकाने, क्रूस पर यीशु ने जान बुझकर ‘‘यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' और क्रूस पर मरे आपके पापो का प्रायश्चित करने। भविष्यवक्ता यशायाह ने कहा,
‘‘यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया'' (यशायाह 53:6)।
‘‘अपने ज्ञान के द्वारा मेराधर्मी दास बहुतेरो को धर्मी ठहराएगा; ओर उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा'' (यशायाह 53:11)।
मसीह यरूशलेम गये आपकी जगह मरने, आपके पापो को चुकाने। इसे कहा जाता है उनका ‘‘निर्धारित प्रायाश्चित''ं. डो. चार्ल्स होडझने कहा,
‘‘निर्धारित तडपना वो तडपना है जो एक व्यक्ति की (जगह) दूसरा दृढ करे (चार्ल्स होडझ, पीएच.डी., सीस्टमेटीक थियोलोजी, एडरमान्स, 1946 में फिर से छपा हुआ, पृष्ठ. 475)।
जैसे यशायाह ने इसे रखा,
‘‘वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया'' (यशायाह 53:5)।
और प्रेरितों पौलुसने कहा,
‘‘पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापो के लिये मर गया'' (1 कुरिन्थियों 15:3)।
मसीह की क्रूस पर की मृत्यु प्रभु के न्याय को संतोष देती है। मसीह की मृत्यु प्रभु की व्यवस्था को पूरा करती है। मसीह की मृत्यु सांत्वना, संतुष्ठ करती है प्रभु के क्रोध को। इसलिये, मसीह की मृत्यु हम पापीयों के साथ प्रभु को फिर से मिलाती है। मसीह की मृत्यु हमें दुष्टात्मा की शक्ति से उद्धार दिलाती हैं इसीलिये यीशु स्वर्ग से नीचे आये। इसलिये यीषु ‘‘यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' क्रूस पर मरने के लिये (लूका 9:51)। उनकी क्रूस पर मृत्यु आपके पापो का प्रयश्चित करेगी और आप सदाकाल और अनंतता के लिये बचाये जाओगे। हम कैसे प्रार्थना करे ताकि प्रभु आपको यीशु तक ले जाये। महेरबानी करके खडे रहीये और आपके गीत के पर्चे का 7 वां गीत गाईये।
‘‘कितनी स्पश्टतासे उनके सारे तडपाने वाले जख्म
यीशु का प्रेम दिखाते है।
वो जख्म जहां कही से लहू की लाल
नदी बताहे है प्रायश्चित दिखाने,
लहू का प्रायश्चित देखाव
केसे लहू से भरा काटोंके ताजने मसीह
के सुंदर मस्तक को छेदा।
केसे उस हाथ और पैरो को किल द्वारा
भयंकर तडप में छेदा गया!
भयंकर तडप में छेदा गया!
ओ, आओ, आप सब जिसमे पाप के तीव्र दाग मीले है;
आओ, उनके सदा बचानेवाले लहु में
धोइये, और आप शुद्ध किये जाओगे!
(‘‘यीशु जख्मी हुअे'' एडवर्ड केसवेल द्वारा, 1849;
“मैजस्टीक स्वीटनेस सीटस एनथ्रोन्ड” की तर्ज पर)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्र षास्त्रः लूका
18:31-34।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘यीशु जख्मी हुअे'' (एडवर्ड केसवेल द्वारा, 1849;
‘‘मेजस्टीक स्वीटनेस सीटस एनथ्रोन्ड'' की तर्ज पर)।
रूपरेखा कष्ट सहने के लिये निश्चित डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ किया'' (लूका 9:51)। I. पहला, मसीह कारण से क्रूस पर गये थे, II. दूसरा, मसीह क्रूस पर गये हमारे लिये आदर्ष छोडने, III. तीसरा, मसीह क्रूस पर हमारे पापो का प्रायश्चित करने गये, |