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मसीह - आत्मा का वैद्य
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कुछ वाचक जो ये धार्मिक प्रवचन हमारे वेबसाईट पे पढते है उन्होंने यह प्रश्न पूछा है कि ये इतना छोटा क्यों है। कारण सरल है - मेरे प्रवचन के हरवाक्य देने के बाद मेरे शब्द फिर दो भिन्न व्यक्तियों द्वारा अनुवाद किया जाता है, पहले चीनी भाषा में और फिर स्पेनीश भाषा में। हम सब तीनो जल्दी से बोलते है परंतु, फिर भी ये छोटे धार्मिक प्रवचन करीबन पचास मीनीट तक चलते है। कोई भी हिलता नहीं या बेचैन नहीं होता। हर एक ध्यान से सूनते है, पहली बार के मुलाकाती और छोटे बच्चे भी।
ये धार्मिक प्रवचन प्रकाशित और छोटा किया गया है, मेरी समालोचना को मिलाकर ये लिखा गया है ‘‘मसीह आत्मा का वैद्य से, माननीय ज्योर्ज वाईटफिल्ड,एम.ए.(र्ज्योज वाईटफिल्ड, धार्मिक प्रवचन, पीएटन प्रकाशन, 2008, भाग प्ट, पृपृष्ठ. 46-62)। वाईटफिल्ड का जन्म 1714 में हुआ था और, बाद में अॉक्सफर्ड विश्वविद्यालय से उच्च स्नातकता प्राप्त करने के बाद, इंग्लेंड के कलीसिया द्वारा नियुक्त किये गये थे। उन्होंने अपना पहला धार्मिक प्रवचन 1736 में दिया। वाईटफिल्ड गये, उनके अॉक्सफर्ड मित्र जोन और चार्ल्स वेस्ली के साथ अमरिका में धर्मप्रचारक की तरह। जब वे लौटकर इंग्लेैंड आये उन्हें पता चला की उनका प्रवचन कलीसिया सदस्य के फिर से जन्म लेने की जरूरत ने करीबन इंग्लैंड के सारे सेवक ने अपने कलीसिया के द्वार उनके लिये बंद करने का कारण बना। वे पूरे इंग्लैंड के तख्त से दोषी ठहराये गये थे, परंतु ये ही कारण बना जो लोग उन्हें सुनना चाहते थे। कलीसिया के बाहर ले जाये गये कलीसिया के सदस्य को निरंतर ये संदेश देने के लिये उन्होंने खुल्ले मैदान में बोलना शुरू किया। हजारो की भीड़ उन्हें सूनने के लिये जमा हुई जैसे वे वेल्स, स्कोटलेंड, इंग्लैंड, अमरीका और कुछ ओर देशो में गये। उन्होंने औशतः हफ्ते में पंद्रह बार प्रवचन दिये बिना रूके उनके बाकी के जीवनभर। उन्होंने हमेशा प्रवचन दिया बडी शक्ति और उत्साह के साथ। उनकी आवाज मीलोतक सुन सकते थे; और एक बार उन्होंने प्रवचन दिया (बिना माइक्रोफोन के) 138 हजार लोगो को केम्बरलेंग, स्कोटलेंड में। वे न्युबरीपोर्ट, मासाक्युसेटस में मरे उनका आखरी धार्मिक प्रवचन देने के कुछ ही घंटो के बाद, सीतंबर 30, 1770 को। बीली ग्रेहाम के उपर आने तक (आधुनिक इलेक्ट्रोनीक उपकरण इस्तेमाल करके) ज्योर्ज वाईटफिल्ड ने इतिहास में किसी भी व्यक्ति से ज्यादा लोगो को प्रवचन दिया था। परंतु बीली ग्रेहाम के ‘‘निर्णायक्ता'' के संदेश और तरीको ने उनको वाईटफिल्ड से बहुत कम मशहुरता दी। बीली ग्रेहाम स्वयंने भी ये स्वीकार किया की उनके किसी भी इसाईयों के धर्म युद्ध के दौरान कोई पुनरूत्थान नहीं आया। दूसरे हाथ पर, वाईटफिल्ड ने निरंतर देखा प्रभुने सदा उनके प्रवचन को पुनरूत्थान का साथ दिया। हमे बीली ग्रेहाम जैसे और लोगो की जरूरत नहीं हैं! हमे ज्योर्ज वाईटफिल्ड के जैसे लोगो की आज फिर से जरूरत है! महेरबानी करके आपकी किताब से मती 9:12 खोलिये, और परमेश्वर के इस वचन को पढने खडे हो जाये।
‘‘वैद्य भले चंगो के लिए नहीं, परंतु बीमारो के लिए आवश्यक है'' (मती 9:12)।
आप बैठ सकते हो।
आज अपने इस पाठ का अर्थ करीब करीब भुलाया गया है। हम वो धार्मिक प्रवचनों से भर दिये गये है जो हमें कहते है, कैसे उन्नति करें, कैसे बहेतर मेहसूस करें, कैसे बहेतर घर बनाये, कैसे खुश रहा जाये, कैसे सफलता प्राप्त करें और कैसे शारिरीक रूप से व्याधिमुक्त हो। हम कहे जानेवाले ‘‘अर्थ प्रकाशित'' धार्मिक प्रवचनों से जलमय कीये गये है, प्रवचनों से जलमय कीये गये है, प्लायमाउथ भाईयों द्वारा और ये हमारी बप्तीस संस्कृति से नहीं आता है। ये आमतौर पर काफी विनोदहीन है। सारे धार्मिक प्रवचन एक जैसे ही लगते है। लोग याद नहीं रखते की क्या प्रवचन दिया गया था, क्योंकि बहुत से विचार ये आधुनिक ‘‘व्याख्या'' में दीये जाते है। यह हकीकत में धार्मिक प्रवचन नहीं होते, परंतु पेचीदा बाइबल की पढाई मसीही को लक्ष्य करते हुए, चाहे सभा में ज्यादातर अपरिवर्तित हो!
कहॉ, ओह कहॉ, है प्रवक्ता जिनका केन्द का संदेश है नया जन्म ओर परिवर्तन? कहा है वे जिनका मुख्य विषय मसीह आत्मा का वैद्य केन्द्रीत होता था - जो अकेले हम सब को पाप, नर्क और कब्र से बचा सकते थे? ये पुकार की जरूरत है हमारे समय की! यही है जो हमारी पीढीयों को जरूर है जोरदार और स्पष्ट सुनने की इस संसार के इतिहास के अंधेरे घंटे में। जैसे हमारा देश विश्लेषण करता है और संसार को राष्ट्र उठता है व्याकुलता और राजद्रोह से - शायद हम फिर से सूने हमारे तख्त पर हमारे दादा परदादा का आत्मा बचानेवाला सुसमाचार! हमें जरूरत है उग्र सुसमाचार धार्मिक प्रवचन की जैसे वाईटफिल्ड द्वारा दीये जाते थे। और चलीये खराब संगीत को बाहर फेंक देते है और पूराने गाने से शर्म महेसूस करना छोड दे, और उसे फिर से उत्साह और आनंद के साथ गाइये!
‘‘हमने सूना है आनंदभरा आवाज :
यीशु बचाते है! यीशु बचाते है!
संदेश हर जगह फैलाइये;
यीशु बचाते है! यीशु बचाते है!
खबर हर जमीन पर ले जाईये,
चढाई चढीये ओर लहरो को पार कीजीये;
आगे! ये हमारे परमेश्वर का आदेश हैः
यीशु बचाते है! यीशु बचाते है!
(‘‘यीशु बचाते है'' प्रेसील्ला जे. ओवेन्स द्वारा 1829 - 1907)।
यीशु हमें कीस चीज से बचाते है? जरूरी नहीं है की निर्धनता सें। इतिहास में कुछ श्रेष्ठ मसीही भी निर्धनता में जीये थे। जरूरी नहीं है बिमारी से। कुछ श्रेष्ठ मसीही ने इतिहास में बिमारी के उपद्रव सहन कीये थे। यीशु क्रुस पर मरे ओर मृत्यु से जिलाये हमेें हमारे पापो से बचाने! यही तो केन्द्र का संदेश है बाइबल का! ‘‘पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापो के लिये मर गया'' (1 कुरिन्थियों 15:3)। ये सुसमाचार का हार्द है। चलीये ये फिर से सूनते है, हमारे तख्त में आग और पसीने के साथ किया हुआ प्रवचन!
‘‘मसीह यीशु पापियों का उध्धार करने के लिये जगत में आया'' (1 तीमुथियुस 1:15)
अब, जैसे हम हमारे पाठ के करीब जाते है, हमे पता चलता है की यीशु नीचे खाना खाने बैठे थे मती के घर में। बहुत से महसूल लेनेवाले और पापी आये और यीशु के साथ खाना खाने बैठे। महसूल लेनेवाले वो महसूल वसूली करनेवाले कामदार थे जो रोमी सरकार के लिये काम करते थें धर्मनिष्ठ यहूदी उनसे नफरत करते थे क्योंकि वे रोमी के लिये काम करते थे और कर के लिये जमा की हुई बहुत सी राशि अपने खुद के लिये रख लेते थे। फरीसियो उस समय के धर्मनिष्ठ यहूदी थे। उन्हें सिखाया गया था कि महसूल करनेवाले ओर ओर विश्वासघाती थे यहूदी राष्ट्र को। ‘‘पापी'' वो थे जिसे फरिसियो ने निकम्मा यहूदी माना क्योंकि उन्होंने यहूदी रीतीरिवाजो को नहीं माना। वे भयानक ‘‘पापी'' माने जाते थे फरिसियो द्वारा क्योंकि उन्होंने यहूदी कायदे ओर रिवाजो को नहीं माना।
हम ये जरूर समजना चाहिये की ‘‘महसूल लेनेवाले'' और ‘‘पापी'' लकडे के ठुकरानेवाला पट्टा, व्यसनी या आनंद पर लोग नहीं थें। वहा पर लकडे का ठुकराने वाला पट्टा नहीं था फिर ओर कोई आनंद भी नहीं। इनमें से कोई भी व्यक्ति जो यीशु के साथ खाना खाने आये थे वे व्यसनी भी नहीं थे। सारे महसूल लेनेवाले और पापी काम करनेवाले लोग थे। परंतु वे फरिसियों द्वारा बाहरी जाति के माने गये थे।
जब फरिसियों ने यीशु को दूसरी जाति के लोगो के साथ बैठा हुआ देखा ‘‘उसके (यीशु के) चेलो से कहा, तुमहारा गुरू महसूल लेनेवालो और पापियों के साथ क्यों खाता है?'' (मती 9:11)। जब यीशु ने सूना जो फरिसियों ने कहॉ, उन्होंने उनसे कहॉ,
‘‘वैद्य भले चंगो (स्वस्थ है) के लिये नहीं परंतु बीमारो के लिए आवश्यक है'' (मती 9:12)।
फरीसियों ने सोचा वे चंगे है - की वे धर्मी है ओर उन्हें मुक्ति की जरूर नहीं है क्योंकि उन्होंने धर्मनिष्ठ यहूदीयों के कायदे रखे थे। बाहरी जाति के महसूल लेनेवाले और पापीयों को मालूम था कि वे धर्मी नहीं थे। इसने उनको मुक्ति के लिये बहेतर उम्मेदवार बनाया उन स्वधर्मी फरीसीयों से।
‘‘वैद्य भले चंगो (स्वस्थ है) के लिये नहीं परंतु बीमारो के लिए आवश्यक है'' (मती 9:12)।
मैं पाठ के शब्दों को तीन मुद्दे में बांटता हूँ।
प्. पहला, वे जो सोचते है की वे स्वस्थ है।
यहाँ मसीह बात करते है स्वयं को ‘‘वैद्य'' या औषधीय चिकित्सक की तरह, पाप से बीमार आत्माओं के लिये। परंतु जो सोचते है कि वे पहले से ही स्वस्थ है, मसीह के लिये कोई सच्ची जरूर नहीं है। वे मंदिर में जीये हुए फरीसियों की तरह है।
वो स्वयं में ही भरोसा करनेवाले थे। उसने सोचा वो धर्मी था। उसने कहाँ, ‘‘हे परमेश्वर मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं दूसरे मनुष्यों के समान अंधेरे करनेवाला, अन्यायी ओर व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेनेवाले के समान हूँ'' (लूका 18:11)। वो हकीकत में मंदिर प्रार्थना करने नहीं आया था। वो शेखी करने आया था, अपने आपको दूसरे से तुलना करने और दंभ करता था कि वो उनसे बहेतर था।
क्या आप उसकी तरह हो? क्या आप उन लोगो के बारे में सोचते हो जो आपसे बूरे पापी है? क्या आप सोचते हो आप उनसे बहेतर हो और आप स्वयं हकीकत में इतने बूरे पापी नहीं हो? अगर आप ऐसे हो, जरूर आप आत्मा के श्रेष्ठ वैद्य के लिये जरूरत को महसूस नहीं करोगे। उध्धारक यीशु, आपके लिये सच्चे रूचिकर नहीं है क्योंकि आपने अपने मन और जीवन में कभी भी पाप का अपराध भाव महसूस नहीं किया है। मुझे आपके लिये कोई भी आशा नहीं दीखती जब तक आपको अपने पापो का अपराधभाव महसूस नहीं कराया जाता। वहॉ पर बुद्ध को माननेवाले या रोमन केथलीक लोगो के लिये ज्यादा आशा है वो आधुनिक सुसमाचार के धर्म पुस्तक संबंधी जो सोचता है वो बचाया गया है क्योंकि उसने एकबार प्रार्थना की है या बाइबल के कुछ पद सीखे हैं! सेवा के त्रेप्पन सालो के लंबे अनुभव द्वारा, मैंने जाना की नास्तिक, प्रभु की जानकारी न रखनेवाला, बुद्ध में माननेवाला और केथलीक बहेतर उमेदवार है सच्चे परिवर्तन के लिये नये सुसमाचार के धर्म पुस्तक संबंधी माननेवाले स्व-संतोषी से जो आखें बंद करके आधुनिक ‘‘निर्णायक्ता'' से बांधा गया है।
‘‘वैद्य भले चंगो के लिए नहीं, परंतु बीमारों के लिए आवश्यक है'' (मती 9:12)।
श्रेष्ठ प्रवक्ता ज्योर्ज वाईटफिल्ड ने कहॉ ‘‘मुझे ज्यादा आशा है ... सप्ताह के साँतवे दिन विश्राम देने के दिन को तोडनेवाले, श्राप देने वाले, शपथ लेनेवाले, उन लोगो से जो अपने आपको अच्छी तरह से तैयार सोचते है।'' (मसीहने कहा) महसूल लेनेवाले ओर वैश्याए तुम से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते है (मती 21:31) ... वे (जो अपने आपको अच्छा मानता है) अभी तक नहीं सिखा मसीही का पहला पाठ भी, अपने आपको (जैसे) निर्धन, मृत, मूर्ख (प्राणी जो नहीं है) देखे की (उसे मसीह की जरूरत है) ... जब सेवक पापीयों से बात करते है, वो सोचता है की वो दूसरो से बात करता है ओर उनसे नहीं'' (वाईटफिल्ड, पइपकण्, पृष्ठ. 53)। ऐसे व्यक्ति को बहुत कम आशा होती है कभी भी सच्चा परिवर्तन का अनुभव करने की!
‘‘वैद्य भले चंगो के लिए नहीं, परंतु बीमारों के लिए आवश्यक है'' (मती 9:12)।
प्प्. दूसरा, वे जो जानते है की वे बीमार है।
मसीह यहॉ पर शारिरीक देह की बीमारी के बारे में नहीं बोलते। शारिरीक बीमारी का इलाज इतना ज्यादा द्रढ किया गया है पिन्तेकुस्त और चेरीसमेटीक्स द्वारा इन आखरी दिनो में की उनमें से कोई ये पाठ का प्रवचन करे, प्रकरण के बाहर, जैसे वे संदर्भ करता है शारिरीक उपचार से। परंतु पूरानी कहावत सच्ची है, ‘‘बिना प्रकरण के ग्रंथ मिथ्या तर्क है।'' मती 9:10-13 में यीशु शारिरक उपचार की बात नहीं करते है। पद 13 ये एकदम स्पष्ट करता है।
हमारे पाठ में मसीह बात करते है, स्वयं को आत्मा के वैद्य की तरह, उनके उपचारक जीनके आत्मा मरने तक बीमार है। वाईटफिल्ड ने कहा, ‘‘जब हमारे परमेश्वर लोगो की बीमार होने के बारे में बोलते है, उनका अर्थ है वे जो अपने मनमें बीमार है, वे जो अपने आत्मा में बीमार है ... अगर आप कभी भी स्वर्ग के द्वार में प्रवेश करने की आशा करो, भाग्यवान प्रभु के साथ सदा के लिये रहने, अनंत प्रभु के साथ सदा के लिये रहने, अनंत प्रभु उनके भाग्यवान आत्मा द्वारा आपको बीमार बनाना चाहिये। बीमार कीस चीज का? ... वो आत्मा (खोयी हुई) को बीमार करता है कुछ बडे पापो से, जिसके लिये वो अपराधी बना ... इसलिये व्यक्ति पापो में बीमार होना शुरू करता है ... ये पूर्ण नहीं है, अगर प्रभु का कार्य पापीयों के मन के द्वारा है, प्रभु की आत्मा मन में गहराई तक जाती है और पापी बीमार पडना शुरू होता है ना सिर्फ उसके सच्चे पापो के लिये, परंतु उसके असली पापो के लिये ... ‘ओह', कहता है (पापी), अब मैं खोजता हूँ की मेरे पास उत्सूक बूरा मन है, अब में खोजता हूँ मेरा मन सारे चीजों के लिये कपटी है, अब मैं देखता हूँ पापेा की असल शिक्षा ... अब (वो जीसने सोचा) उसके पास अच्छा मन है, उसे पता चलता हे कि उसके पास पापो के अलावा कुछ नहीं है ... फिर (वो) देखता है पाप बहुत ज्यादा पापो से भरे (और) कहता है, ‘‘मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ। मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुडाएगा?'' (रोमियों 7:24) ... कम से कम खोये हुए पापी को पाप का बीमार बनाया गया ... अविश्वास का ... गरीब प्राणीने सोचा (वो उसके पास है) विश्वास से पहले ... उसने सोचा वो मसीह में माननेवाला था। क्योंकि उसने ऐसे व्यक्ति के बारे में सूना था जैसे मसीह ... परंतु अब गरीब प्राणी सोचता है अब वो ओर ज्यादा नहीं सोच सकता सूर्य को हटाने को। (अब पापी) कहता है, ‘उध्धार पाने के लिये मैं कया करू?' (प्रेरितो 16:30)। (अब वो कहता है) ‘मैं कया दू, अगर मैं दे सकता परंतु अब नया साहस गरीब खोया हुआ, नाश करनेवाला, शापित प्राणी, यीशु मसीह के उपर? मैं क्या दे सकता हूँ अगर मैं प्रयत्न कर सकता परंतु एक का विश्वास प्रभु यीशु मसीह और उनके धर्मनिष्ठा पर ?' अब गरीब पापी हकीकत में बीमार है; गरीब आत्मा को (अब) जरूरत है वैद्य की ... गरीब प्राणी अब सारे दिनभर विलाप करता है; वो आराम से रहने से इन्कार करता है ... गरीब प्राणी अब कहता है ‘सिर्फ मसीह का लहु ही मुझे स्वस्थ कर सकता है।' ऐसे लोगो को जरूरत है (मसीह) वैद्य की'' (वाईटफिल्ड, पइपकण्, पृपृष्ठ. 54-57)।
‘‘वैद्य भले चंगो के लिए नहीं परंतु बीमारो के लिए आवश्यक है'' (मती 9:12)
प्प्प्. तीसरा, वे जो पूरे बीमार है जिसे यीशु चाहिए।
उध्धारक ने कहाँ, सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा'' (मती 11:28)। अगर आप परिश्रम करते हो और अपने पापो के बोझ से भारी महसूस करते हो, यीशु के पास आईये। उन्होंने आपके पापो का दण्ड क्रूस पर चूकाया। उन्होंने उनका बहुमूल्य लहू छीडका आपको ‘‘सारे पापो से'' (1 यूहन्ना 1:7) से शुद्ध करने। वे अभी जीवीत है सवर्ग में प्रभु के दाहिने हाथ पर। यीशु के पास आओ और आपके पापो का इलाज करवाईये। वाईटफिल्ड ने कहा, ‘‘मैं सूनता हूँ आप में से कुछ कहते है, ‘आप' मुझसे (मेरे) अपने आपमें धर्मी महसूस नहीं करता, मेरे अपने आपमें धर्मी महसूस नहीं करता, मेरे पाप मेरे चहेरे को ताकते है; मेरा भष्ट्राचार मुझ पर हावी हो गया है; मुझे पता चला की मैं प्रभु यीशु मसीह में विश्वास नहीं कर सकता, मुझे विश्वास चाहिये; मुझे वैद्य (वोही) चाहिये; आप क्या सोचते हो मेरे पास क्या आएगा? मुझे डर है मै शापित हो जाउँगा ... मुझे डर है मेरा किस्सा ठीक न होनेवाला किस्सा है ... मै बीमार हूँ। मैंने कितने सारे पाप किये है, मेंने उन्हें कितने लंबे समयतक वादे किये है ... मुझे डर है प्रभू को मुझ पर दया नहीं होगी।'
मैं आपको कैसे प्रोत्साहित करू? मैं आपको प्रोत्साहीत करूंगा अपने आपको प्यारे यीशु के कदमो में रखने ... आप जो तूटे हुए मन के हो, मैं आपको उनतक आने को ले जाता। (मत भूलीये) वो सारे श्रेष्ठ वचन। ‘‘आप अब आइये जो थके हुए और बोझ से लदे हुए हो और मैं आपको विश्राम दूंगा।'' यीशु के पास आओ, आत्मा के श्रेष्ठ तबीब ... ओह, आओ, फिर से आओ ये श्रेष्ठ वैद्य के पास। वे आपका इलाज करेंगे, ‘‘बिन रूप्ए और बिना दाम'' (यशायाह 55:1) मुफ्त में। अगर आप उनके पास आते हो, उनका अनुग्रह मुफ्त है। अगर आप (उन पर) विश्वास करने का प्रयत्न करो आप बन सकोगे ... पूरी तरह (स्वस्थ) ... मसीह आपको शुद्ध करेंगे'' (वाईटफिल्ड, पइपकण्, पृपृष्ठ. 60-61)। आमेन। महेरबानी करके खडे रहीये और आपके गीत के पर्चे का सातवा गीत गाइये।
वहाँ पर कव्वारा है लहू से भरा
इम्मानुएल की नसो से नीचे बहता हुआ;
और पापीयों, उस बाढ के नीचे डूबकी लगाते हुए,
अनके सारे अपराधी कलंक खोते हुए;
उनके सारे अपराधी कलंक खोते हुए,
उनके सारे अपराधी कलंक खोते हुए;
और पापीयो, उस बाढ के नीचे डूबकी लगाते हुए,
उनके सारे अपराधी कलंक खोते हुए।
(‘‘वहाँ पर कव्वारा है'' वीलीयम काऊपर द्वारा, 1731-1800)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्र शास्त्र :
मती 9:10-13।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘हल्लिलूय्याह! कैसे उध्धारक!'' (फिलिप पी. ब्लीस द्वारा, 1838-1876)।
रूपरेखा मसीह - आत्मा का वैद्य (माननीय र्ज्योज वाईटफिल्ड, एम.ए. के दिये हुए धार्मिक प्रवचन से लिया हुआ) डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘वैद्य-भले चंगो के लिए नहीं, परंतु बीमारो के लिए आवश्यक है'' (मती 9:12)। (1 कुरिन्थियों 15:3; 1 तीमुथियुस 1:15; मती 9:11) I. पहला, वे जो सोचते है की वे स्वस्थ है। लूका 18:11; मती 21:31। II. दूसरा, वे जो जानते है की वे बीमार है। रोमियों 7:24; प्रेरितो 16:30। III. तीसरा, वे जो पूरे बीमार है जिसे यीशु चाहिए।
मती 11:28; |