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बेबीलोन का गुम्मट(धार्मिक प्रवचन क्र. 60 उत्पत्ति की किताब पर) डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की षाम, 28 नवंबर, 2010 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन ‘‘फिर उन्होंने कहाँ, आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे; इस प्रकार से हम अपना नाम करें, ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पडे'' (उत्पत्ति 11:4)। |
बडे जल - प्रलय के बाद प्रभु ने नूह के बेटो से कहाँ, ‘‘फूलो - फूलो और बढो, और पृथ्वी में भर जाओ'' (उत्पत्ति 9:1)। प्रभु ने उनसे पृथ्वी भरने और उसकी आबादी बढाने को कहा। जैसे डो. मेकगी कहते है,
प्रभु ने मनुष्य से कहाँ की उन्हें पृथ्वी पर बिखर जाना चाहिये और पृथ्वी को भर देना चाहिये। परंतु मनुष्य ने मूलवस्तु में जवाब दिया, ‘‘कुछ नहीं करना है। हम बिखरनेवाले नहीं है; हम साथ में ही रहनेवाले है। हम आपके साथ पूरे हो चूके है।'' बेबीलोन का गुम्मट प्रभु के विरूद्ध था ... ये गुम्मट मनुष्य का प्रभु के विरूद्ध अहंकारी, उध्धत द्रोह का भाव बताता था (जे. वेरनोन मेकगी, टीएच.डी., थ्रु ध बाइबल, थोमस नेल्सन प्रकाषक 1981, भाग ।, पृष्ठ 53; उत्पत्ति 11:4 पर टिप्पणी)।
निमोद (उत्पत्ति 10:8-10) ने लोगो को इतना ऊँचा गुम्मट बनाने को प्रेरित किया की वे टीगरीस - युक्रेटस वेली तक पहुँच सके वहाँ पर हर जगह ऐसी पुरातन इमारतो का नाश है। उन सबमें रास्ता था जो ऊपर चोटी तक जाता था। जब वे ऊपर चोटी तक पहुँचे उन्होंने सूर्य, चंद्र और सितारों की पूजा की। ऐसा लगता था जैसे ये गुम्मट बेबीलोनवाशीयों द्वारा उनके परमेश्वर मारडक की पूजा के स्थान के लिये बनाया गया था। यह ‘‘गुम्मट'' मध्य अमरिका के पूरातन मयान मंदिर जैसा लगता था, ऊँची इमारतें रास्तो के साथ जो ऊपर आगे जाता था, जहाँ पर मयानी लोग उनके प्रभु को मनुष्य की बलि देते थे। प्रेरिनों पौलुस ने इस पुरातन लोगो की संस्कृति को रोमियों के पहले पाठ में संदर्भ किया,
‘‘इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया; परंतु व्यर्थ विचार करने लगे, यहाँ तक कि उन का निर्बुध्धि मन अंधेरा हो गया। वे अपने आप को बुध्धिमान जताकर मूर्ख बन गए और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशवान मनुष्य और पक्षियों और चौपायों और रेंगनेवाले जंतुओं की मूरत की समानता में बदल डाला। इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उनके मन कि अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करेः क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की सच्चाई को बदलकर झूठ बना डाला और सृष्टि की उपासना और सेवा की न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन” (रोमियों 1:21-25)।
बेबीलोन के गुम्मट ने उनका लक्ष्य पूरा नहीं किया। उन्हें चाहिये था कि ये ‘‘उपर स्वर्ग तक पहुँचे।'' परंतु वो नहीं पहुँच सका। वे चाहते थे कि ये उनकी संस्कृति के केन्द्र में हो और उन्हें ‘‘बिखरने'' से जैसे की प्रभु ने आदेश दिया था उससे दूर रखे। परंतु बजाय उनके ख्वाब पूरे करने के, पूरा कार्य व्याकूलता में पूरा हो गया। ‘‘इस कारण उस नगर का नाम बेबीलोन पडा'' (उत्पत्ति 11:9)। ‘‘बेबीलोन'' शब्द का अर्थ है ‘‘व्याकुलता''। यह हकीकत में ‘‘व्याकुलता का गुम्मट'' था, क्योंकि ये वहाँ था कि प्रभु ने उनको उनकी जबान की भाषा में व्याकुलता द्वारा दण्ड दिया। जहाँ से ही पूरे संसार की भाषा आयी है, जब प्रभुने उनके जबान को व्याकुल किया और उनको बिखेर दिया।
प्रभुने व्याकुलता भेजी है आज हम पर दण्ड देने के लिये। हमारे विश्वविद्यालयों को देखीये, उनके अभिमानी और व्याकुल प्राध्यापक प्रभु के मुँह पर मुठ्ठी मारते हुए। हमारे राजनेताओं को देखिये, एक - दूसरे पर इल्झाम लगाते हुए, एक दूसरे पर हमला करते हुए, एक दूसरे कि तरफ ऊँगली उठाते हुए - वे सारे हमारी आर्थिक संकट दूर करने में असमर्थ, वे सब के लिये पूरी तरह से व्याकुलता की परिस्थिति में। हमारे युवा लोगो को देखिये, बेरोजगार, व्याकुल, भविष्य की आशा के बिना।
‘‘आशाहीर और जगत में ईश्वररहित थे'' (इफिसियों 2:12)।
हमारे घरों को देखिये, पूरे व्याकुल और टूकडो में बटते हुए। हमारे देश को देखिये, हमारे नजरों के सामने तूट तूट कर चूर होते हुए! देखिये विश्व भरमें व्याकुलता जिसके बारे में आप रोज समाचारपत्र में पढते हो।
आज मनुष्य जाति व्याकुलता में है। भयानक व्याकुलता जो हम संसार में देखते है जो मानसशास्त्र, या समाजशास्त्र द्वारा समझा नहीं सकते। सिर्फ बाइबल ही कारण देता है। मनुष्य की व्याकुलता की जड है अभिमान और प्रभु के विरूद्ध विद्रोह।
‘‘जाओ, (आओ), हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकश से बातें करे; इस प्रकार से हम अपना नाम करें, ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पडे'' (उत्पत्ति 11:4)।
ये प्रभु जिसने हमें बनाया उनके विरूद्ध अभिमान और घमंड और विद्रोह के अलावा क्या है? मनुष्य के स्वभाव से कुछ भी नहीं बदला। मनुष्य की आखरी परेशानी है अभिमान और विद्रोह प्रभु के विरूद्ध। यही तो कारण था शैतान का स्वर्ग से गिरने का,
‘‘तू मन में कहता तो था, मैं स्वर्ग पर चढूँगा, मैं अपने सिहांसन को ईश्वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूँगा ... मैं मेघो से भी ऊँचे - ऊँचे स्थानो के ऊपर चढूँगा; मैं परमप्रधान के तूल्य हो जाऊँगा'' (यशायाह 14:13-14)।
शैतान का अभिमान संसार का पहला पाप था। परंतु प्रभुने उसे स्वर्ग से बाहर पृथ्वी के आसपास के वातावरण में निकाल दिया। अभिमान और विद्रोह ने उसे नीचे कर दिया।
और वो पाप आदम का भी था,
‘‘एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे....'' (रोमियों 5:19)।
सारी मनुष्यजाति पापी बन गई जब आदम ने अभिमान और विद्रोह में प्रभु की अवज्ञा की। हम सबने आदम का पापी स्वभाव वारस में लिया जब वो पाप में पडा। गिरावट के बाद से मनुष्य के स्वभाव में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ। मनुष्य जाति का अभिमान और विद्रोह ऐसे ही रहा। ध्यान दिजिये कैसे वे सब बेबीलोन के गुम्मट में कहने के लिये मिल गये। में मानता हूँ कि निम्रोद, बेबीलोन का शोधक, इस बात तक ले गया,
‘‘जाओ (आओ), हम एक नगर और एक गुम्मट बना ले, जिसकी चोटी आकाश से बाते करे; इस प्रकार हम अपना नाम करें; ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पडे'' (उत्पत्ति 11:4)।
वे उसे बार-बार कहते रहे-हजारो लोग इसे एक साथ में। परंतु इस पर ध्यान दिजिये-इस विद्रोह के विरूद्ध कोई भी खडा नहीं रहा। सारे लोग भीड़ में जुड गये और कहने लगे,
‘‘जाओ (आओ), हम एक नगर और एक गुम्मट बना ले, जिसकी चोटी आकाश से बाते करे; इस प्रकार हम अपना नाम करें; ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पडे'' (उत्पत्ति 11:4)।
किसीने विरोध नहीं किया। सभी इस कथन से, और प्रभु के विरूद्ध विद्रोह में जुड गये!
ये हमें मनुष्यजाति की पापो में एकता दिखाता है,
‘‘जैसा लिखा है, कोई धर्मी नहीं, एक भी, नहीं : कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजनेवाला नहीं।'' (रोमियों 3:10-11)।
बेबीलोन के गुम्मट पर के इस धार्मिक प्रवचन की रूपरेखा में, डो. मार्टीन लोयड - जोनेस ने कहाँ,
मनुष्य की आखरी परेशानी है अभिमान। ये उसके गिरने का असल कारण (था)। (मनुष्य रहा था) सदैव पहले जैसा ही समान। मनुष्य पापो में सदा मानता है कि वो प्रभु के बराबर हो सकता है और प्रभु की जगह खुद प्रभु बन सकता है। (मनुष्य) हमेंशा मानता है कि वो सलामती, आनंद और सुरक्षितता खुद के प्रयत्न के द्वारा हांसिल कर सकता है। ये हमेंशा विपति और व्याकुलता की ओर ले जाता है। प्रभु की भव्यता को मेहसूस नहीं करने का दुःखद पतन (जो मनुष्य में रहता है), अपने आप के बारे में तकलीफ मेहसूस नहीं करते हुए; यह मेहसूस नहीं करते हुए की प्रभु मसीह (द्वारा मुक्ति प्रदान) करते है। स्वर्ग जाने का एकमात्र रास्त है मसीह (मार्टीन लोयड-जोनेस, एम.डी., इयान.एच. मुरेय द्वारा लोयड-जोनेसःमेसेन्जर अॉफ ग्रेस, में कथन किया हुआ, ध बेनर अॉफ ट्रुथ ट्रस्ट, 2008, पृष्ठ 89)।
फयोडोर द्रोस्तोयेवस्की, रशिया के श्रेष्ठ लेखक, सच थे जब उन्होंने कहाँ, ‘‘सारे सामाजिक रितीयों के प्रणेता पूरातन समय से अभी वर्तमान साल तक ... स्वप्नशील थे, परीकथा के कहनेवाले, सरल जो अपने आपको फेरते है और कुछ नहीं जानते ... की मनुष्य अपरिचित प्राणी कहा जाता है'' (डो. लोयड - जोनेस से, इयान. एच. मुरेय द्वारा कथन किया हुआ, पइपकण्)। सारे सामाजिक रितीयों के प्रणेता, निम्रोद से मार्कस, से लेनिन, से माओ त्से तुंग, से बराक ओबामा, ‘‘स्वप्नशील, हमें परीकथा कहनेवाले, सरल जो अपने आपको फेरता है और कुछ नहीं जानता ... की मनुष्य अपरिचित प्राणी कहाँ जाता है'' (मुरेय, पइपकण्)। सारे ‘‘सामाजिक रितीयों के प्रणेता'' गिरावट द्वारा मनुष्यजाति के पूरे नाश को समजने में नाकामयाब रहे। मनुष्य ‘‘नयी'' सामाजिक रितीयों से बचाया नहीं जा सकता। मनुष्य सिर्फ यीशु मसीह द्वारा ही बचाया जा सकाता है।
मुक्ति का रास्ता सिर्फ मसीह प्रभु के अनंत पुत्र के द्वारा ही है, क्योंकि
‘‘मसीह यीशु पापीयों का उध्धार करने के लिये जगत में आया'' (1 तिमुथियुस 1:15)।
कुछ लोग जिन्होंने पवित्रशास्त्र का अस्वीकार किया है वे गर्व से और अवज्ञा से कहते है ‘‘अगर प्रभु ‘सच्चे' थे, उन्होंने सब मनुष्यों को बचाया होता'' ‘‘सच्चाई'' का विचार बहुत आधुनिक है। बजाय ‘‘सच्चाई'' के, बाइबल बात करता है ‘‘न्याय'' की। जब से सारे मनुष्य अभिमानी और विद्रोही है प्रभु के विरूद्ध में, ये प्रभु के लिये हर मनुष्य की जो हमेशा नर्क की अनंत ज्वाला में रहा है उसे सिर्फ अपराधी ठहराना न्याय है। यह एकदम से सही न्याय होगा। इससे शायद ‘‘गलत'' लगे आधुनिक सिद्धांतवादीयों के अंधे दिमाग धुम्रपानी और क्रांतिकारीयों को, ये एकदम सही न्याय है प्रभु के लिये हर न सुधरनेवाले पापीयों को आग के दुरिया में भेजना। और बाइबल सिखाता है कि सारे मनुष्य, हकीकत में न सुधरनेवाले पापी है।
इस लिये सच्चा परिवर्तन शुरू होता है मनुष्य के स्वीकार के साथ, अपने मन में, कि वो दया के लायक नहीं है, अपने मनमें ये मानते हुए की वो प्रभु के अगनवाले क्रोध के लायक है। सिर्फ जब मनुष्य प्रभु की आत्मा द्वारा तोडा जाता है, तब वो सच्चे परिवर्तन के लिये तैयार होता है। सिर्फ जब मनुष्य मेहसूस करता है ‘‘मेरा पाप निरंतर मेरी द्रष्टि में रहता है'' (भजनसंहिता 51:3) वो परमेश्वर की नजरों में सच्चे परिवर्तन के लायक उमेदवार बनता है। डो. जे. ग्रेहाम मेकन की व्याख्या देते हुए, ‘‘सुसमाचार सिर्फ एक सुस्त कथा लगती है'' जब तक मनुष्य अपने पापो के दोष द्वारा अपराधभाव मेहसूस नहीं करता, दोनो में पाप के वारसे में और उसके असली पाप में। सिर्फ जब मनुष्य की आत्मा अपने जन्मगत और सही पापो के बोझ के तले दबाये जाते है, सिर्फ तब और उसके पहले नहीं, वो प्रभु के हाथो में माफी के लायक बनता है जो फिर शायद उसे यीशु के पास ले जाये।
जब तक आप संतुष्ट है अपने आप से आप जैसे भी हो, आप कभी भी प्रभु की आत्मा द्वारा तारणहार के पास नहीं ले जाये जाओगे, और अनंत सजा से कभी भी बच नहीं सकोगे! आपके पाप के बारे में बार-बार सोचा। नर्क के बारे में बार-बार सोचो। ये आपको तैयार करेगा यीशु मसीह में मुक्ति के लिये। सारे दूसरे तरीके अखिरकार निष्फल होंगे। अपने आप को सुधारने के सारे प्रयत्न निष्फल होंगे। सिखने और बाइबल पढने के द्वारा अपने आप को बचाने के सारे प्रयत्न निष्फल होंगे। सारे प्रयत्न ‘‘सलामती, आनंद और सुरक्षितता (आपके) खुद के प्रयत्न द्वारा जीतना'' निष्फल होगा। ‘‘ये हमेशा विपत्ति और व्याकुलता तक ले जायेगा'' (लोयड-जोनेस, पइपकण्)। जैसे ये उस बेबीलोन के गुम्मट के साथ था, इसलिये ये आपके साथ भी होगा। व्याकुलता! व्यकुलता! जीवन की व्याकुलता और व्याकुलता की अनंतता, आग और किनारे का पत्थर, राह देखता है उन सबकी जो प्रभु के विरूद्ध में अभिमान और विद्रोह में खडे रहते है! विपत्ति और व्याकुलता हमेशा आपके साथ रहेगी जब तक प्रभु की आत्मा आपको आप के पापो के अपराध के नीचे नहीं लाती, और आपकी यीशु, प्रभु के पुत्र की जरूरत को मेहसूस करने के लिये जागृत नहीं करते!
यीशु आपके पापो को चूकाने क्रूस पर मरे। वे आपकी जगह आपके प्रतिनिधि बनके तडपे। वे मृत्यु से जिलाये और फिर से स्वर्ग में ले जाये गये आपको नया जन्म देने। उनका बहुमूल्य लहू आपके पापो को हमेशा के लिये शुद्ध कर सकता है! परंतु आपको यीशु के लिये आपकी जरूरत कभी मेहसूस नहीं होगी जब तक आप अपने पापो के बोझ को मेहसूस नहीं करते हो; और अपने प्रभु के विरूद्ध के अभिमान और विद्रोह के लिये लज्जित नहीं होते हो। फिर शायद आप प्रभु द्वारा अपने मनमें कहने लगे,
हे परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले;
मुझे परखकर मेरी चिंताओं को जान ले।
और मुझे जान ले; मुझे परखकर,
मेरी चिंताओं को जान ले।
और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं,
और अनंत के मार्ग में मेरी अगुवाई कर।
(‘‘है परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले”, भजनसंहिता 139:23-24 से)।
खडे रहीये और ये गाइये। ये आपके गीत के पर्चे का 8 वाँ गीत है, ‘‘है परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले'' (भजनसंहिता 139:23-24 से)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्र वाक्या : उत्पत्ति 11:1-9।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘हे परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले'' (भजनसंहिता 139:23-24)।