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छुट्टीयों का बावलापन!

HOLIDAY MADNESS!

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्‍तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह,
7 नवंबर, 2010 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Morning, November 7, 2010

‘‘मनुष्‍यों के मनों में बुराइर् भरी हुइर् है, और जब तक वे जीवित रहते है उनके मन में बावलापन रहता है, और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है'' (सभोपदेशक 9:3)।


राजा सुलैमान ने सभोपदेशक लिखा। ये सुलैमान के जीवन के भिन्‍न भिन्‍न अनुभवों का लेख-प्रमाण है। उन्‍होंने सब कुछ करके देखा वे देखने की उसकी मन को क्‍या संतुष्‍ठ कर सकता है। उसने ज्ञान का अनुसरण करने की कोशिष की। उसने विषय-सुख कोशिष कीया। उसने धनवान बनने का प्रयत्‍न किया। उसने धर्म का प्रयत्‍न किया। उसने प्रसिद्धि पाने का प्रयत्‍न किया। उसने सद्‌व्‍यवहार की कोशिष की। आखिरकार वो इस नतीजे पर पहुँचे की ‘‘सब व्‍यर्थ और मानो वायु को पकडना है'' (सभोपदेशक 1:14; 2:11; 17)। उसने सब कुछ देखा और सबकुछ कोशिष की, और यह सब अर्थहीन और खाली लगा। ये उसे नतीजे पर ले गया, प्रेरितो यूहन्‍ना के साथ की ‘‘संसार और उसकी अभिलाषाएँ दोनो मिटते जाते है'' (1 यूहन्‍ना 2:17)।
सभोपदेशक 9:3 बहुत ही निराशावादी विषय है। वो मानवता का एकदम नकारात्‍मक मंतव्‍य देता है। फिर भी मैं मानता हूँ कि राजा सुलैमान एकदम सही थ्‍ो। उन्‍होंने इस विषयें तीन कथन किये जो बहुत सच्‍चे और बाकी की बाइबल के साथ अनुरूप है।

‘‘मनुष्‍यों के मनों में बुराइर् भरी हुइर् है, और जब तक वे जीवित रहते है, उनके मन में बावलापन रहता है और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है।'' (सभोपदेशक 9:3)।

प्‍.पहला, राजा सुलैमान ने कहाँ, ‘‘मनुष्‍यों के मनों में बुराइर् भरी हुइर् है।''

उसने ये बात दूसरे अध्‍याय में स्‍पष्‍ट की, जब उन्‍होंने कहाँ,

‘‘निःसन्‍देह पृथ्‍वी पर कोइर् ऐसा धर्मी मनुष्‍य नहीं, जो भलाइर् कही करे, और जिससे पाप न हुआ हो'' (सभोपदेशक 7:20)।

‘‘मनुष्‍यों के मनो में बुराइर् भरी हुइर् है। ये वो नही जो आज ज्‍यादातर लोग मानते है। बार-बार हम लोगो को कहते हुए सुनते है, ‘‘मैं मानता हुँ कि मनुष्‍य हकीकत में अच्‍छे है।'' परंतु वो मंतव्‍य प्रमाण या पवित्रशास्‍त्र द्वारा आधारभूत नहीं है! प्रमाण दिखाता है कि मनुष्‍य “बुराइर्यों से भरा” है! समाचारपत्र पढीये। टेलीविझन पर समाचार देखीये हम देखते है ज्‍यादा बुराइर् और बहुत कम सुकर्मी। जो ‘‘सुकर्मी'' लगता है वो भी अन्‍त में स्‍वार्थ या अभिमान से आता है और इसलिये वो न्‍यायानुसार बुराइर् है! बार - बार प्रमाण सुलैमान के शब्‍द ‘‘मनुष्‍यों के मनों में बुराइर् भरी हुइर् है'' कि सच्‍चाइर् दर्शाते है।
फिर पवित्रशास्‍त्र पढीये। बाइबल के एक छोर से दुसरे तक हमे मनुष्‍य के पापी स्‍वभाव, उसकी पूरी भ्रष्‍टता के बारे में कहाँ गया है।

‘‘यहोवाने देखा की मनुष्‍यों की बुराइर् पृथ्‍वी पर बढ गइर् है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्‍पन्‍न होता है, वह निरंतर बुरा ही होता है'' (उत्‍पति 6:5)।

अपने मशहुर धार्मिक प्रवचन ‘‘मौलिक पाप'' बडे सुसमाचार प्रचारक जोन वेस्‍ली (1703-1791), ने कहाँ की मनुष्‍य आज भी वैसा ही है जैसा जल-प्रलय के पहले था। जोन वेस्‍ली ने कहाँ

ये लगभग हजार साल (जल-प्रलय) के बाद की दाऊद द्वारा प्रभु घोषित किये गये, “(वे सब के सब भटक गए, वे सब भ्रष्‍ट हो गय; कोइर् सुकर्मी नही, एक भी नहीं”, भजनसंहिता 14:3; रोमियों 3:10)। और इसे व्‍यवहार सारे भविष्‍यवेता गवाह ... इसलिये यशायाह ने (कहाँ,) “पूरा सिर धावों से भर गया और हृदय दुःख से भरा है। पाँव से सिर तक कहीं भी कुछ आरोग्‍यता नही, केवल चोट और कोडे की मार के चिन्‍ह और सडे हुए घाँव” (यशायाह 1:5-6)। यही हिसाब दिया गया है सारे प्रेरितों से। इस सबसे हम सिखते है, मनुष्‍य को उसकी कुदरती अवस्‍था के संदर्भ में ... की ‘‘उसके मन के विचार की हर कल्‍पना'' अभी भी बुरी है, ‘‘सिर्फ बुरी'', और वो ‘‘निरंतर'' (जोन वेस्‍ली, एम.ए., ‘‘मौलिक पाप'' द वर्क औफ जोन वेस्‍ली, बेकर बुक हाऊस, 1979 में फिर से छपा हुआ, भाग टप्‍, पृष्‍ठ 57, 58)।

भविष्‍यवक्‍ता यिर्मयाह ने कहाँ,

‘‘मन तो सब वस्‍तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उस में असाध्‍य रोग लगा है; उसका भ्‍ोद कौन समझ सकता है?'' (यिर्मयाह 17:9)।

इस प्रकार से, हम देखते है की बाइबल, एक छोर से दूसरे तक, सुलैमान के कथन ‘‘मनुष्‍यों के मनों में बुराइर् भरी हुइर् है'' को पीछे करता है।

प्‍प्‍.दूसरा, राजा सुलैमान ने कहाँ, ‘‘जब तक वे जीवित रहते है उनके मनमें बावलापन रहता है।''

‘‘मनुष्‍यों के मनो में बुराइर् भरी हुइर् है, और जब तक वे जीवित रहते है, उनके मन में बावलापन रहता है और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है'' (सभोपदेशक 9:3)।

इब्रानियों शब्‍द अनुवाद किया गया था ‘‘बावलापन'' वो जो मूल शब्‍द से आता है उसका अर्थ है ‘‘मूर्ख'' (सट्रोन्‍ग रु 1984)। असली शब्‍द है ‘‘हाऊलेलाह'' और इसका अर्थ है ‘‘बावलापन'' (सट्रोन्‍ग रु 1947)। बावलापन, चितभ्रम, व्‍याकुलता, ऊन्‍मत, असभ्‍य - ये चित्र है! ‘‘जब तक वे जीवित रहते है उनके मन में बावलापन रहता है।'' मेथ्‍यु हेन्री ने कहाँ कि लोग ... “अब बावलेलोग है, और सारी प्रसन्‍नता जो कृपा के साथ परंतु उस जैसा ... ख्‍वाब और व्‍यग्र मनुष्‍य की कल्‍पनाशक्‍ति” (मेथ्‍यु हेन्रीस कोमेन्‍ट्री ओन घ हाॅल बाइबल, हेन्‍ड्रीकसन प्रकाशक, 1996 में फिर से छपा हुआ, भाग 3, पृष्‍ठ 849; सभोपदेशक 9:3 पर टिप्‍पणी)। मानव मन का बावलापन भिन्‍न भिन्‍न रूप की मूर्तिर्याे की पूजा तक विस्‍तृत हुआ है। भविष्‍यवेता यिर्मयाह ने कहाँ ‘‘वे अपनी प्रतिमाओं पर बावले है'' (यिर्मयाह 50:38) - ‘‘और जब तक वे जीवित रहते है, उनके मन मे बावलापन रहता है'' (सभोपदेशक 9:3)। हमारे समय में भी लोग ‘‘अपनी प्रतिमाओं पर बावले है - कामोदीप्‍पक प्रतिमा, अनात्‍मवाद, आनंद, और “मस्‍ती” की बडी प्रतिमा।
‘‘छुट्टीयाँ'' साल का वो समय है जब मनुष्‍य का बावला उन्‍मत मन खुल्‍ला प्रर्दशित होता है। धन्‍यवाद देने के समय, नाताल और नये वर्ष पर मनुष्‍य मन का बावलापन ज्‍वालामुखी के फटने की तरह विस्‍फोट होता है। डो. ए. डब्‍ल्‍यु, टोझर (1897-1963) ने कहाँ,

कुछ तरह का बावलापन साधारण लोगो को नियंत्रित करता है और फिर शुरूआत होती है कि ... उन्‍मत प्रयत्‍न सबके हिस्‍से में वे जहाँ है वहाँ से कहीं ओर जाने के लिये। कोइर् रूकता नहीं पूछने के लिये के यह सब किसके बारे में है, परंतु हकीकत में सब लोग जो अस्‍पताल या कारावास में नहीं है वे सारे सामान्‍य भगदड करते है सब जगह से कहीं भी और फिर वापस। अनिवार्य प्रभाव ज्‍यादातर हम सब को ऐसे उडाता है जैसे की हवा में धूल का कण, ओर घुमता है, और पीसता है हमें भ्रमपूर्वक और खतरनाक तरीकों से ... (ए. डब्‍ल्‍यु. टोझर, डी.डी., ‘‘ग्रीष्‍मऋतु का मध्‍य'' गोड टेल्‍स ध मेन हु केरस, मसीही प्रकाशन, 1970 की प्रत, पृष्‍ठ 127)। डो टोझर के बारे में पढने के लिये यहाँ क्‍लिक करें।

डो. टोझरने चालीस साल पहले ‘‘ग्रीष्‍म ऋतु का मध्‍य'' के बारे में जो कहाँ था, वो अभी भी समान रूप से लागु होता है, अगर ज्‍यादा नहीं फिर भी पतझड और शर्दीयों की ‘‘छुट्टीयों'' का बावलापन। लोग असभ्‍य हो जाते है ‘‘उन्‍मत प्रयास में'' ‘‘आनंद'' लेने और ‘‘कहीं ओर जगह जाने जहाँ वे है वहाँ से'' धन्‍यवाद देने नाताल और नये साल में।

पीछले रविवार को हेलोवीन था। एक युवा औरत जो यहाँ कलीसिया में कइर् बार आयी थी उसने कहाँ कि उसे हेलोवीन पहनावे में ‘‘तैयार होने'' की शुरू करने के लिये कलीसिया छोडना पडा। उसे रविवार की सुबह के 10:30 बजे की सभा छोडनी पडी हेलोवीन पहनावे में तैयार होने के लिये! आखिरकार, हेलोवीन मेजबानी शुरू हुइर् दोपहर में 2.00 बजे, और उसे कुछ घंटे लगे होंगे तैयार होने में डायन, या परी - या पिशाच - या कुछ भी बनने के लिये! ये बावलेपन के अलावा और क्‍या है - छुट्टियों का बावलापन! ‘‘वे अपनी प्रतिमाओं पर बावले है'' (यिर्मयाह 50:38) ‘‘जब तक वे जीवित रहते है, उन के मन में बावलापन रहता है'' (सभोपदेशक 9:3)।
और यह ओर भी खराब होगा! ‘‘छुट्टियों'' के उन्‍मत बावलेपन में, लोग भागे में जैसे डो. टोझर ने कहाँ, ‘‘साधारण भगदड'' में ... ‘‘जहाँ (वे है) उससे कही ओर जाना''। बहुत से लोग घर पर रहके आभार देने के समय, नाताल और नये साल में कलीसिया में आने के लिये सोचते भी नहीं! ‘‘अनिवार्य प्रभाव (उन्‍हें) ऐसे उडाता है जैसे धूल का कण हवा में उडता है'' - और उन्‍हें बावलेपन से उछालते है कहीं ओर उनको संकुचित मार्ग पर अमरीकी प्रतिमा - ‘‘मस्‍ती'' नामकी के बावले अनुसरण में।

जब मैं छोटा बच्‍चा था 1940 में, लोग घर पर रहते थ्‍ो और ‘‘छुट्टीयों'' के दौरान कलीसिया जाते थ्‍ो। परंतु आज लगता है वो ‘‘बावले'' होते है आभार देने, नाताल और नये साल में। ‘‘बावलापन ... उनके मनमें'' उनको घर से कलीसिया ले जाता है उन्‍मत प्रयास ‘‘मस्‍ती'' की बडी प्रतिमा के सामने स्‍वीकार करने। आप आशा नहीं रख सकते हो ‘‘बावले'' मनुष्‍यों को कलीसिया में रहने आभार देने, नाताल और नये साल में, क्‍या आप? यह मुख्‍य विचार आधुनिक मनुष्‍य के मस्‍ती भरे दिमाग के लिये हानिकारक है।
मुझ पर ‘‘नियमानुसार'' निष्‍ठुर शासक का दोष लगाया गया - और बूरा - युवा लोगो को ‘‘छुट्टियों'' के दौरान कलीसिया में जाने को कहने के लिये। परंतु मैं पीछे नहीं हो रहा हुँ! मसीहने कहाँ,

‘‘धन्‍य हो तुम जब मनुष्‍य के पुत्र के कारण लोग तुम से बैर करेंगे, और तुम्‍हें निकाल देंगे और तुम्‍हारी निन्‍दा करेंगे और तुमरा नाम बुरा जानकर काट देंगे। उस दिन आनंदित होकर उछलना, क्‍योंकि देखो, तुम्‍हारे लिये स्‍वर्ग में बडा प्रतिफल है; उनके बाप-दादे भविष्‍यवक्‍ताओं के साथ भी वैसा ही किया करते थ्‍ो'' (लूका 6:22-23)।

मैं उम्‍मीद रखता हूँ कि हर प्रवचनकार में इतना साहस हो कि वे ‘‘छुट्टियों के बावलेपन'' के विरूद्ध बोल सके जैसे डो. ए. डब्‍ल्‍यु, टोझर ने किया! हमें जरूरत है उनके जैसे भविष्‍यवक्‍ता के आवाज की हमारे लोगो को इस उन्‍मत ‘‘मृत्‍यु के नृत्‍य'' से बचाने जैसे हमारा अर्थतंत्र निष्‍फल होता है, और हमारी संस्‍कृति का विश्‍लेषण होता है और हमारे लोग चिल्‍लाते है ज्‍यादा और ज्‍यादा कम दाम की चीजें और छोटी यात्रायें और ‘‘मस्‍ती”, और ख्‍ोलकूद के प्रसंग और व्‍यसन के लिये। लास वेगास के साथ नीचे! सान-फ्रांसिसको और सान डीयेगो के साथ नीचे! सदोम और अमोरा, “और उनके आस-पास के नगर” (यूहदा 7), वो जगह नहीं है जाने के लिये आभार देने, नाताल या नये साल पर! ‘‘छुट्टी'' के बावलेपन को छोडीये। कलीसिया में रहीये, प्रभु के लोगों के साथ मसीह की पूजा किजीये, ‘‘मस्‍ती'' की बडी प्रतिमा की करने के बजाय।

‘‘प्रभु कहता है, उनके बीज से निकलो, और अलग रहो'' (2 कुरिन्‍थियों 6:17)।

‘‘छुट्टियों'' के आनेवाले बावलेपन को छोडिये। परंतु वहाँ पर एक उपवाक्‍य हे हमारे विषय में''.

प्‍प्‍प्‍.तीसरा, राजा सुलैमान ने कहाँ, “और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है।”

मेहरबानी करके खडे रहीये और सभोपदेशक 9:3 जोर से पढीये।

‘‘मनुष्‍यों के मनों में बुराइर् भरी हुइर् है, और जब तक वे जीवित रहते है उनके मन में बावलापन रहता है, और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है” (सभोपदेशक 9:3)।

आप बैठ सकते हो। ‘‘और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है।''

मृत्‍यु! वो ही है जीवन के बावलेपन के बाद। मृत्‍यु! कठोर, थंडी मृत्‍यु की सच्‍चाइर् से बच नहीं सकते ‘‘मस्‍ती'' की पिशाची प्रतिमा के पीछे बावलेपन से भागने के द्वारा। नहीं, वहाँ पर कब्र में कोइर् ‘‘मस्‍ती'' नहीं होगी! वहाँ पर नर्क में कोइर् ‘‘मस्‍ती'' नहीं होगी। बाइबल कहता है,

‘‘वह धनवान ... मरा, और गाडा गया और अधोलोक में उसने पीडा में पडे हुए, अपनी आँख्‍ो उठाइर्'' (लूका 16:22-23)।

यीशु ने कहाँ, ‘‘ये अनंत दण्‍ड भोगेंगे'' (मती 25:46)

‘‘मनुष्‍यों के मनों में बुराइर् भरी हुइर् है और जब तक वे जीवित रहते है, उनके मन में बावलापन रहता है और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है।'' (सभोपदेशक 9:3)।

डो. जोन गीलने कहाँ,

उनके जीवन के सारे बावलेपन के बाद वे मरते है और मृत्‍यु की अवस्‍था में जाते है ... वे नीचे नर्क में जाते है (जोन गील, डी.डी., एन अेक्‍सपोझीशन आॅफ ध ओल्‍ड टेस्‍टामेंट, ध बेप्‍टीस्‍ट स्‍टनिर्डड बेरर, 1989 में फिर से छपा हुआ, भाग प्‍ट, पृष्‍ठ 607; सभोपदेशक 9:3 पर संभाषण)।

जीवन में सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण चीज आनंद का अनुकरण नहीं हैं। अभी ‘‘मस्‍ती करने'' का अर्थ है अनंतता में कुछ नहीं, अगर आप आखरी न्‍याय में प्रभु से मिलने के लिये तैयार हुए बिना मरते हो। आपको आपके पापो का अपराधभाव मेहसूस होना ही चाहिये। आपको पापो से मसीह की तरफ मूडना ही है। आपको अनुग्रह के द्वारा मसीह के पास लाना ही चाहिये, और उनके सदा रहने वाले लहु से आपके पापो से शुद्ध होना ही चाहिये। यीशु ने कहाँ, ‘‘तुझे नये सिरे से जन्‍म लेना अवश्‍य है'' (यूहन्‍ना 3:7)।
सुलैमान वृध्‍ध थ्‍ो जब उन्‍होंने संभोपदेशक लिखा था। वे बात ऐसे करते थ्‍ो जैसे पिता अपने बच्‍चों से। मैं स्‍वयं इस दुनिया में करीबन 70 सालो में रहे रहा हुँ। मैं आप से आज सुबह एक वृध्‍ध चाचा की तरह बात कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप मसीही जीवन में सफलता पाये और मै आशा रखता हूँ कि आप मुझे सूनेंगे। सभोपदेशक के अंत में सुलैमान ने कहाँ, ‘‘अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्‍मरण रख'' (सभोपदेशक 12:1)। जवानी समय है अनंतता के लिये गंभीरता से सोचने का। मैं उम्‍मीद रखता हूँ कि अप युवा लोग मुझे सुनेंगे क्‍योंकि, सुलैमान की तरह मैंने करीबन 70 सालो का जीवन देखा है। मैं जानता हूँ कि आपके लिये मसीह को मिलना महत्‍वपूर्ण है और अभी अनंतता के बारे में सोचना, जब आप अभी भी जवान हो। इस धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान ग्रीफिथ ने जो गीत गाया था उसके शब्‍द सुनीये।

आप अनंतकाल कहाँ बितायेंगे? यह प्रश्‍न आता है आपको और मुझे;
आखरी उत्तर क्‍या होगा? आप अनंतकाल कहाँ बितायेंगे?
अनंतकाल! अनंतकाल! आप अनंतकाल कहाँ बितायेंगे?
   (‘‘आप अनंतकाल कहाँ बितायेंगे?'' एलीसा ए. होफमन द्वारा, 1839-1929)।

अनंतकाल के बारे में गंभीरता से सोचना आपको बचा सकता है - मन दबानेवाली व्‍याकुलता ‘‘छुट्टीयों का बावलापन'' की।


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
आप डॉ.हिमर्स के संदेश इंटरनेट पर प्रति सप्ताह पढ सकते हैं
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पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना डॉ.
हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। यद्यपि डॉ.
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्रशास्‍त्र : लूका 16:19-26।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्‍जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘आप अनंतकाल कहाँ बितायेंगे?'' (एलीसा ए. होफमन द्वारा, 1839-1929)।


रूपरेखा

छुट्टीयों का बावलापन !

‘‘मनुष्‍यों के मनो में बुराइर् भरी हुइर् है, और जब तक वे जीवित रहते है, उनके मन में बावलापन रहता है, और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है'' (सभोपदेशक 9:3)।

(सभोपदेशक 1:14; 2:11, 17; 1 यूहन्‍ना 2:17)

I.   पहला, राजा सुलैमान ने कहाँ, ‘‘मनुष्‍यों के मनो में बुराइर् भरी हुइर् है'' सभोपदेशक 7:20; उत्‍पति 6:5; भजनसंहिता 14:3; रोमियों 3:10; यशायाह 1:5-6; यिर्मयाह 17:9।

II.  दूसरा, राजा सुलैमान ने कहाँ, ‘‘जब तक वे जीवित रहते है, उनके मनमें बावलापन रहता है'' यिर्मयाह 50:38; लूका 6:22-23; यहूदा 7; 2 कुरिन्‍थियों 6:17।

III. तीसरा, राजा सुलैमान ने कहाँ, ‘‘और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते है'' लूका 16:22-23; मती 25:46; यूहन्‍ना 3:7; सभोपदेशक 12:1।