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वर्तमान का अकेलापन - और स्थानीय कलीसियाEXISTENTIAL LONELINESS – AND THE LOCAL CHURCH डो.आर.एल हायमर्स, जुनि द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल मे प्रभु के दिन की सुबह, अक्तुबर 13, 2010 को दिया गया धार्मिक प्रवचन “और सूरज और चाँद, और तारों मे चिन्ह दिखाई देंगे; और पृथ्वी पर देष-देष के लोगो को संकट होगा, क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरो के कोलाहल से घबरा जाएँंगे; भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओ की बाट देखते देखते लोगो के जी में जी न रहेगा, क्योंकि आकाष की षक्तिीयाँ हिलाई जाएँगी” (लूका 21:25-26)। |
यीषुने कहा की इतिहास के अंत मे दो चीजे संसार की मानसिक अवस्था का वर्णन करेंगी। पहला, उन्होने कहॉ “पृथ्वी पर देष-देष के लोगो को संकट” होगा (लूका 21:25)। ग्रीक षब्द जो अनुवाद किया है “व्याकुलता” वो मूल षब्द “अपोर” से आता है। डो. स्ट्रोन्ग ने कहाँ की षब्द का अर्थ है कोई ओर रास्ता नहींं होना... नुकसानी मे होना (मानसीक रूपसे)” (स्ट्रोन्ग की थकानेवाली एकता, क्रमांक 639)। मसीहने कहाँ की इस युग के अंत के पहले पुरूश इतने मानसिक तनाव मे रहेंगे की वे व्याकुल हो जायेंगे, मानसिक नुकसानी से, महेसूस करेंगे की वहॉ पर ओर कोई रास्ता ही नही है बिना उम्मीद की अवस्था मे। दूसरा, मसीहने भविश्यवाणी की, “भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओ की बाट देखते-देखते लोगो के जी मे जी न रहेगा” (लूका 21:26)। मसीहने कहॉ की अंतिम दिनो मे लोग भयानक होंगे जब वे देखेंगे “वे चीजे, घटना जो संसार पर आनेवाली है” (लूका 21:26)। मषहूर फ्रेंच तत्वज्ञानी जीन-पोल सरट्रे (1905-1980) ने आधुनिक मनुश्य के डर के बारेमे कहॉ, महेसूस करते हुअे की वहॉ पर “कोई ओर रास्ता नहीं है” उनका नाटक जिसका षिर्शक था, “नो अेक्सीट”।
हकीकत मे जीन पोल सरट्रे थे जिन्होने “वर्तमानत्व” मषहूर किया, षून्यता का तत्वज्ञान, मान्यता की वहॉ पर जीवन मे कोई अर्थ या कारण नहीं है। वर्तमानत्व निराषावादी-संबंधी तत्वज्ञान है निराषा का, जो सिखाता है की हर मनुश्य संसार मे अकेला ही रहता है लक्ष्य बिना के संसार मे, प्रभु के बिना, आषा के बिना, चिन्ता से भरा हुआ।
डो.पोल चेपल, उनकी किताब, अन्डरस्टेनींग घ टाइम्स, में कहाँ, “क्या आप परेषान है? क्या आप व्याकुल है? क्या षाम की खबरे आपके मनमे चिंता पैदा करती है? क्या आप अपने आपको सरकार... आर्थिक स्थिरता, भविश्य की नोकरी की बजार और आपके (भविश्य) (से ही) जुडे हुअे पाते हो? मानवीय चित्र कुछ और नही परन्तु अविष्वास, निश्फलता, और चिंता ही देता है” (पोल चेपल, डी. डी., अन्डरस्टेनींग घ टाइम्स, स्ट्राइवींग टुगेघर प्रकाषन, 2010, पृश्ठ.XIX)।
चाहे मैं पक्की तरह से बीली ग्रेहाम से असहमत हूँ “निर्णायक्ता” पे और कुछ ओर विशयो पर, वे अेकदम सच्चे थे जब उन्होने लूका 21:25 के बारे मे उनकी किताब वर्ल्ड अफलेम (डबलडे अेन्ड कम्पनी, 1965) पर बोले थे। बीली गे्रहामने कहॉ, “वहॉ पर कभी भी समय नहीं होगा जब लोग किनारे पर होंगे, आसानी से चोट पहुचाये हुअे और असंतुश्ठ। मनोचिकित्सक इतने व्यस्त है की वे खुद मनसे कमजोर हो जाते है जैसे वे व्यग्रतासे कोषिश करते है हमारी षोर करनेवाली नसो को षांत करके जोडने की। आधुनिक जीवन के नश्ट करनेवाले दबााव मे घर तूटते है... परिवार हकिकत मे अपने खुदके सदस्योसे अप्रमाणिक होते है। हम जरूर इस युग के मानसिकरूप से तूटने के खतरोंमे है” (ibid, पृश्ठ. 217)।
क्या आपने कुछ दिनो पहले टेकसास के विष्वविद्यालयके युवा विद्यार्थी के बारे में पढ़ा था? (29 सीतंबर, 2010)। कोल्टन जोसुआ टुलेय उन्नीस साल का सोफोमोर गणित का मुख्य था विष्वविद्यालय में। वो “तेजस्वी”, और “आदरणिय” जाना जाता था। वो अच्छे परिवार से था। परन्तु कोल्टन जोसुआ टुलेय, स्की का मोहरा पहनकर, टेक्सास के विष्वविद्यालय के परिसरमें खुल्लेआम मंगलवार को गोली चलाई आक्रमक बंदूक से पुस्तकालय मे भागकर और अपने आप को गोली मारने के पहले” (घ अषोषियेटेड प्रेस, बुधवार, 29 सीतांबर, 2010)। नसीब से कोई ओर मरा नहीं। महेरबानी करके उनके परिवार के लीये प्रार्थना करे। परन्तु कोल्टन टुलेय खुद के बारे मे क्या? क्या आप जानते हो की अब आत्महत्या युवा लोग 18 से 25 की आयुके बीच के लोगों मे दूसरे क्रम का मरने का कारण है? बहुत से इतने दूर तक नहीं जाते, फिर भी ज्यादातर युवा लोग मैं बात करता हूँ महेसूस करते है वहाँ पर “कोई ओर रास्ता नहीं है”। वे मानसीक “नुकसानी पर” है, महेसूस करते हुअे की वहाँ पर “बाहर जाने का रास्ता नहीं है” इस निराषावादी हालात से। और मुख्य भावना बहुत से युवा लोग महेसूस करते है वो है vdsykiuA जैसे बहुत से ओर लोग, मुझे षक है की कोल्टन जोसुआ टुलेय बहुत अकेला था। हजारो लोगो से चारो ओर से घिरा हुआ महाविद्यालय के परिसर मे, मैं सोचता हूँ की वो बिल्कुल अकेला महेसूस करता होगा, की कोई भी हकीकत मे उस पर भरोसा नही कर सकता।
डो. लीयोनार्ड झुनीन, मुख्य मनोचिकित्सक के मुताबिक मनुश्योकी बड़ी परेषानी है अकेलापन। और तत्वविवेचक एरीक फ्रोम्म ने कहॉ, “आदमी की सबसे बडी गहरी जरूरत है उसकी जुदाई से बाहर आना, अपने अकेलेपनके कारावास को छोडने”, अकेलेपन से बचने! और युवा लोगो के अकेलेपन के लिये लोस एंजलिस से बड़ा कोई षहर नही है, या महाविद्यालय का परिसर, जैसे पासाडेना सीटी महाविद्यालय, केलीफोर्निया राज्य एल.ए., या टेकसास का विष्वविद्यालय, जहॉ कोल्टन जोसुआ टुलेय ने कुछ दिनो पहले आत्महत्या की थी। वो इतना अकेला था की उसने महेसूस किया की वो ओर आगे नहीं जा सकता, वो हजारो विद्यार्थियो के बीच था फिर भी। आपके बारे मे क्या है? क्या आप कभी भी मेहसूस करते हो की हकीकत मे आपके बारे मे किसिको परवाह नही-की कोई भी हकीकतमे आपको समजता नही-की कोई भी हकीकतमे आपको समजता नही-की वे आप क्या महेसूस करते हो उसके बारे मे कम परवाह करते है?
निराषावाद, वर्तमान अकेलापन ज्यादातर युवा लोग मेहसूस करते है उसके बहुत कारण है-परिवार का खंडित होना, खास कर हमारे चीनी युवा लोग, दूसरे एषियाई लोग, और हीप्पीस भी। आपके मातापिता या तो अलग हो चूके है या इतने ज्यादा घंटो तक काम करते है की आप मुष्किल से उन्हे देख पाते हो। वे वहॉ नहीं होते जब आपको उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। आप बाहर नीकलने की कोषिश करते हो “अस्पश्ट बोलने का काम”, “फेसबुक” का इस्तेमाल करने, या अनगिनत इ-मेल भेेजनेके और हजारो फोन मोबाईलसे करने के द्वारा। परन्तु ये सब चीजे बाहरी है। आप यंत्र से बात करते हो, आमने-सामने आदमी से नही। कोई ताज्जुब नही, जैसे व्यवहार पध्धति बढ़ती है आप भयानक भावना से बच नही सकते जिसे मेरे चीनी याजक, डो.टीमोथी लीन, कहते है “युवाओका अकेलापन”।
और कलीसिया के बारे मे क्या? मैं जरूर कह सकता हुँ की कोल्टन जासुआ टुलेय कलीसिया गया होगा। उसके मातापिताने उसे मध्य नाम जोसुआ दिया है, बाइबल का मषहूर व्यक्ति। परन्तु जो भी कलीसिया मे कोल्टन जोसुआ टुलेय गया वो उसके अकेलेपन का उपाय करने में निश्फल रहा। क्या वो बप्तीस कलीसिया था? क्या वो कोई ओर इसाई धर्म के पुस्तक संबंधी कलीसिया था? ज्यादातर इसाई धर्म के पुस्तक संबधी कलीसिया ने अभी रविवार षाम की सभा रखनी बंद की है। वे सोचते है की ये “प्रगतिषील” है-परन्तु वे भूल गये की युवा, अपरिणित लोग कोल्टन जोसुआ टुलेय के जैसे वो कलीसिया चाहते है जो रविवार रात को सदस्यता से परवाह करे-और षनिवार रात को भी! मेरे चीनी कलीसिया के याजक, डो.टीमोथी लीन, बार बार कहते है, “कलीसिया को आपका दूसरा घर बनाओ। वो युवानो के अकेलेपन को दूर करने मे मदद करेगा”। मैं पूरी तरह से उनसे सहमत हू! इस लिये हमारे कलीसिया जहाँ युवा लोगो के लिये हफते में चार रातो मे कुछ होता है! हम यहॉ है आपके लिये!
परमेष्वर उनके एकमात्र पुत्र, यीषु मसीह, को भेजते है, दुनियामे क्रूस पर मरने हमारे पापो का दण्ड चूकाने, और हमारे पापो को उनके लहू के छिड़काव से साफ करने। यीषु मृत्यु से षारीरिक रूप् में उठे हमारे पापो को चूकाने, और हमे नया और अनन्त जीवन देने। परन्तु यीषुने कभी भी किताब नहीं लिखी। और यीषुने कभी भी षाला षुरू नहीं की। सिर्फ और सिर्फ एक संस्था यीषु ने बनाई धरती पर वो है स्थानीय कलीसियkA मसीह ने कहॉ,
“मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा; और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे” (मती 16:18)।
उन्होने आपके लिये कलीसिया बनाया-आपको निराषासे षून्यवाद संबधी इस संसार की निरर्थक और खाली वर्तमान अकेलेपन से बचाने मे मदद करने!
कलीसिया जो मसीहने बनाया था यरूसलेम मे वो हमारा नमूना है। कितनी खुषनुमा और आनंदीत जगह है-कलीसिया जो मसीह ने यरूसलेममे बनाया!
“और वे प्ररितो से षिक्षा पाने, और संगति रखने, और रोटी तोडने, और प्रार्थना करने मे लौलीन रहे” (प्रेरितो 2:42)।
“और वे, प्रतिदिन एक मन होकर मन्दिर मे इकट्ठे होते थे, और घर-घर रोटी तोडते हुए आनन्द और मन की सिधाई से भोजन किया करते थे। और परमेष्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उनसे प्रसन्न थेः और जो उध्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रतिदिन उनमे मिला देता था” (प्रेरितो 2:46-47)।
इसी तरह के कलीसिया हमे चाहिये! हमे कलीसिया चाहिये जहाँ हम “रोटी तोड सके” सब मिलकर आनंद का खाना खा सके हर रविवार के सुबह और हर रविवार की षाम की सभा बंद होने के बाद! हम कलीसिया है जहाँ हम हमारे पापो के बदले मसीह की मृत्यु की खुष खबर कहे, और उनका पुनरूत्थान, हमें जीवन देने के लिये, हर सभा मे। हम कलीसिया है जो “उनका माँस मनके आनन्द और अकेलेपन से” हर रविवार सुबह और षाम को खाते है। अगर आप यहॉ कलीसिया मे आते रहेंगे, आप खिलाये जाओगे-आत्मीक खाना, और स्वादिश्ट भोजन भी! इसलिये हम कहते है बिना क्षमा माँगे- “अकेले क्यों रहे? कलीसिया के घर आइये! हम खोये क्युं रहे? यीषु मसीह, प्रभु के पुत्र के घर आइये”! मेहरबानी करके खडे रहीये और वो छोटासा गीत गाइये जो मैंने लिखा है, “रात्री भोजन के लिये घर आइये”। ये उस पुराने देष और पष्चिमी तर्ज पर गाया जायेगा, “परींदो के पंखो पर”। तीसरा अंतरा गाइये!
बडे षहर के लोग परवाह करते नही दिखते;
उनके पास देने को थोडा है और बांटने को प्यार नही।
परन्तु यीषु के पास घर आइये और आप जान जाओगे,
वहॉ मेज पर खाना है और बांटने के लिये मित्रता!
कलीसिया के घर आइये और खाइये,
सदस्यताकी मिठाई के लिये मिलीये
ये अदभूतृ मेजवानी होगी, जब हम खाने बैठते है!
(“रात्रि भेजन के लिये घर आइये” डो.आर.एल. हायमर्स, जुनि द्वारा;
“परींदो के पंखो पर” की तर्ज पर)।
परन्तु महेरबानी करके याद रखीये, हमारे कलीसिया भी हकीकत मे आपको मदद नहीं करते वर्तमान अकेलेपन और पूरी निराषा से बाहर आने अगर आप सिर्फ एकाद बार कलीसिया आते हो। हर रविवार यहॉ आने का प्रयोजन कीजिये। हर रविवार कलीसिया मे रहीये। आपकी अर्धवार्शिक परीक्षा के लिये अभी पढ़ना षुरू किजीये। आखरी समय तक रूक कर अपना कलीसिया मत छोडीये। ये तरीका नही है मसीही जीवन षुरू करने का! रोज पढ़ाई कीजीये। फिर जब आपके अर्ध वार्शिक परीक्षा आयेगी तब आपको कलीसिया छोडना नही पडेगा।
उनकी जग-मषहूर हेलीस बाइबल हेन्डबुक (रीजन्सी, 1965 की प्रत, पृश्ठ 819) मे, डो. हेन्री एच. हेलीने कहाँ, “सारे मसीही लोगो को हर रविवार कलीसिया जाना ही चाहिये”। ये किजीये। कलीसिया के घर हर रविवार आइये। “रात्रि भोजन के लीये घर आइये” गीत का दूसरा अंतरा गाइये!
सदस्यताकी मिठाई और आपके मित्र भी यहाँ होगे;
हम मेज पर बैठेंगे, हमारा मन खुषीयोंसे भर जायेगा।
यीषु हमारे साथ है, इसलिये चलीये ये कहते है,
रात्रि भोजन के लिये घर आइये और चलिये रोटी तोडते है!
कलीसिया के घर आइये और खाइये,
सदस्यता की मिठाई के लिये मीलीये!
ये अद्भूत मेजबानी होगी, जब हम खाने बैठते है!
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल.चान द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्रः लूका 21:25-28।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन कीनकेड ग्रिफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
“इन टाइम्स लाइक धीस” (रूथ केय जानेस, 1944 द्वारा)।
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