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अकेलेपन के दो उपायTWO CURES FOR LONELINESS डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, ‘‘मै जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ : मैं उजड़े स्थानो के उल्लु के समान बन गया हुँ। मैं पडा पडा जागता रहता हूँ, और गौरे के समान हो गया हूँ जो छत के ऊपर अकेला बैठता है'' (भजनसंहिता 102:6-7)। |
भजनसंहिता ने अपने आपकी तीन पंछीयो से तुलना की, ‘‘जंगल का धनेस'', ‘‘उजड़े स्थानो का उल्लु'' और ‘‘छत के उपर बैठे हुए अकेले गौरे'' से। उसने मेहसुस किया अकेलापन जो ये पंछीयो द्वारा द्रष्टांतीत किया गया है - जंगल में अकेला धनेस, उजडे स्थानो में अकेला उल्लु, घर की छत के उपर अकेला गौरे। र्स्पजनने कहाँ,
भजनसंहिता अपने आपको (तूलना) करता है... पंछीयो से जो आम तौर पे उदासी और अतिदुःख के प्रतीक की तरह इस्तेमाल किये जाते है... वो अपने आपको दुःखी देखता है जैसे (उदास और अकेला) पंछी नष्ट होनेवाली जगह के बीच बैठा हो (सी. एच. स्पंजन, दाउद का राजकोष, पीलग्रीम प्रकाशन 1983 में फिर से छपा हुआ, भाग IV, पृष्ठ 420)।
डो. गीलने कहाँ,
यहूदीयों के घर पर सपाट छत होता था और यहाँ अकेलेपन का पंछी आयेगा और रात के समय यहाँ बैठेगा, जिसको भजन संहिता अपने आप से (तूलना कर रहे है); या तो अपने मित्रो द्वारा छोडे गये या सचेत किये गये हो; या, (उदास और अकेले) हालात में, वो अकेला रहना पसंद करता है, अपनी दुःख भरी हालत और अवस्था पर विलाप करता हुआ (जोन गील, डी.डी. घ्घ्घ्घ्घ्घ् घ्घ्घ्घ्घ्घ्घ्घ् घ्घ् घ्घ्घ्घ्र्शन, घ बप्तीस स्टॉनर्डड बेरर, 1989 में फिर से छपा हुआ, भाग IV, पृष्ठ. 127)।
ज्यादातर उच्चविद्यालय और महाविद्यालय के समय के युवा लोग आज उसी तरह का महसूस करते है। पोलस बताते है की आज के युवा लोग सबसे ज्यादा अकेलेपन का शिकार है। एक युवा व्यक्ति ने जोश मेकडोवेल से कहाँ, ‘‘मुझे खास बनना है, परंतु वहाँ कोई भी नहीं है जो मेरी परवाह करता है... मै इतना अकेला हूँ की मै मुश्किल से इसे सहन कर सकता हूँ'' (जोश मेकडोवेल द्वारा बिछ़डी हुई पीढ़ीयाँ, कथन किया हुआ, वर्ड, 2000, पृष्ठ 11)। उस युवा व्यक्तिने अकेलेपन का दर्द अनुभव किया जिसके बारे में भजनसंहिता बात करते थे,
‘‘मै जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ : मैं उजडे स्थानो के उल्लु के समान बन गया हुँ। मैं पडा पडा जागता रहता हूँ, और गौरे के समान हो गया हुँ, जो छत के ऊपर अकेला बैठता है'' (भजनसंहिता 102:6-7)।
परंतु प्रभु नहीं चाहते की आप अकेले रहो। अदन की वाटिका में, प्रभु ने कहाँ, ‘‘आदमी का अकेले रहना अच्छा नहीं है'' (उत्पति 2:18)। मैं मानता हूँ कि ये आज उतना सच है जितना गिरावट के पहले था-‘‘आदमी का अकेले रहना अच्छा नहीं है''-या औरत का भी! प्रभु नहीं चाहते की आप अकेले हो जाओ! इसलिये प्रभुने अकेलेपन के लिये दो उपाय दिये।
I. पहला, प्रभुने आपके भावनात्मक अकेलेपन के लिये स्थानीय कलीसिया दिये।
युवा व्यक्तियों को आज बहुत की फायदा है - टी.वी., मोटरगाडी, पैसा, उनका अपना कंम्पयुटर - और बहुत से और फायदे जो पहले की पीढी के पास कभी भी नहीं थे। फिर भी वे अकेलापन मेहसुस करते है। उनके पिताने शायद उनको छोड दिया है या वे दूसरे कामो में इतने व्यस्त होते है बजाय उनके बच्चो के साथ समय बिताने के। ज्यादातर उनकी माताये काम करती है। अगर उनको भाई या बहेने हो, वे ज्यादातर बाहर गये हुए होते है।
आप कंम्पयुटर चालू कर सकते हो और लोगो के साथ ओन-लाइन ‘‘बातचीत'' कर सकते हो, परंतु किसी भी तरह ये मदद रूप नहीं है। वैसे भी ये सच्चा मित्र होने के जैसा नहीं है। वे शायद वास्तवित लोग होंगे, परंतु वे सच्चे नहीं है। सेंकडो घंटे वीडीयो गेम खेलने के बाद भी अकेले आप महसूस करना शुरू करोगे की ओर कुछ भी होना चाहिये, कुछ सच्चा। क्या आपने कभी ये सोचा, ‘‘बस जीवन में ये ही सबकुछ है ?”
फिर यहाँ तकलीफ है हर वक्त जगह बदलते रहने की। बहुत से माता पिता हर कुछ सालो में जगह बदली करते है - हमेंशा ज्यादा पैसा कमाने के लिये या और कुछ ‘‘फायदे'' पाने के लिये। वे कभी भी नहीं सोचते की इसका बच्चो पर क्या असर पडेगा। वे हमेशा कक्षा में ‘‘नये बच्चे'' होते है, हमेशा एक ‘‘बाहरी व्यक्ति''। मैं जानता हूँ की ये कैसा मेहसूस होता है। मैं बाईस से भी ज्यादा शालाओ में गया हूँ मेरे बारवे नंबर पर स्नातक होने से पहले। मैं हमेंशा से ‘‘नया बच्चा'' था - हमेशा से ‘‘बाहरी व्यक्ति'' हमेंशा अकेला। कोई ताजुब्ब नहीं, ये सब बदली के साथ! क्या आपने ऐसा मेहसूस किया है? मेरे मित्र डो. जोन एस. वोलड्रीप ने किया। जब वे बालक थे तब वे एक शाला से दूसरी में घूमे थे।
‘‘मै जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ : मैं उजड़े स्थानो के उल्लु के समान बन गया हुँ। मैं पडा पडा जागता रहता हूँ, और गौरे के समान हो गया हुँ, जो छत के ऊपर अकेला बैठता है'' (भजनसंहिता 102:6-7)।
इस तरह उसने मेहसूस किया। क्या आपने कभी मेहसूस किया है। जब वे छोटे थे तब डो. वोलड्रीप ने कहाँ,
मैं रातकी जगह में था जो युवा आदमी और औरतो से भरा था। मैं वहाँ खडा था, भीड़ भरे कक्षमें, पूरी तरह अकेला और दूसरे सभी से अलग किया हुआ ...
क्या आपने कभी भी ऐसा मेहसूस किया है - भीड में भी अकेला? फिर डो. वोलड्रीप ने कहाँ,
हम हमारे सूचीपत्र दिवाल से जुडी दिवाल की तरह भरपूर कार्यक्रमों से भर देते है ... परंतु इन सब कार्य के बावजुद, हम शायद ही दूसरो के साथ गहराई से जुडे पाते है। हम ज्यादा सामाजिक तरह से परिचित हो जाते है मित्र बनने के बजाय (जोन. एस. वोलड्रीप, टीएच.डी., ‘‘अकेले मन के लिये उपाय,'' 2 मई 2004)।
‘‘मै जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ : मैं उजडे़ स्थानो के उल्लु के समान बन गया हुँ। मैं पडा पडा जागता रहता हूँ, और गौरे के समान हो गया हुँ, जो छत के ऊपर अकेला बैठता है'' (भजनसंहिता 102:6-7)।
परंतु परमेश्वन ने कहाँ, ‘‘आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं'' (उत्पति 2:18)। ये एक कारण है प्रभु का स्थानीय कलीसिया बनाने का - अपने भावनात्मक अकेलेपन के उपाय के लिये। मसीह नहीं चाहते की आप अकेले हो जाओ। यह एक कारण उन्होंने कहाँ,
‘‘मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे'' (मती 16:18)।
जब आप उच्च विद्यालय या महाविद्यालय से स्नातक बनते हो, लोग कहेंगे, ‘‘मिलते रहना'', या ‘‘मैं आपसे जल्दी ही मिलूंगा''। परंतु ऐसा कभी कभी ही होता है। आप अलग दिशाओ में चले जाते हो। परंतु आप अपने स्थानीय कलीसिया से ‘‘स्नातक'' नहीं होते हो। आप मरते हो तब भी, आप एक दूसरे स्वर्ग में जुड जाते हो। इसलिये मैंने ये छोटा गीत लिखा जिसे श्रीमान ग्रीफिथ ने अभी कुछ समय पहले गाया,
बडे शहर के लोग परवाह करते नहीं दिखते;
उनके पास देने के लिये बहुत कम होता है और बाँटने के लिये प्यार नहीं,
परंतु यीशु के घर आईये और आप जान जाओगे,
वहाँ मेज पर खाना है और बाँटने के लिये मित्रता!
कलीसिया के घर में आइये और खाईये, मिलाप की मीठाई के लिये मिलिये;
ये एक मेजवानी ही होगी, जब हम खाना खाने बैठते है!
(“रात के खाने के लिये घर आइये,” डो. आर. एल. हार्यमस, जुनि. द्वारा;
‘‘परिंदे के पंखो पर'' की तर्ज पर।)
ये समूहगान फिर से गाईये!
कलीसिया के घर में आइये और खाईये, मिलाप की मीठाई के लिये मिलिये;
ये एक मेजवानी ही होगी, जब हम खाना खाने बैठते है!
II. दूसरा, प्रभुने अपना पुत्र यीशु दीया, आपके उनके प्रति आत्मिक विमुखता के उपाय के लिये।
जब हमारे पहले माता पिताने वाटिका में पाप किया, तब वे प्रभु से विमुख, अलग कर दिये गये थे। आदम ने अपने आपको परमेश्वर से छिपा दिया (उत्पति 3:10)। वे वाटिका से निकाल...बाहर किये गये (उत्पति 3:23) - और प्रभु के सूचित मिलाप से।
‘‘इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई...'' (रोमियो 5:12)।
पाप द्वारा, सारी मनुष्य जाति ‘‘पापो में मरे हुए'' बन गई (इफिसियो 2:5)। स्कोफिल्ड बाइबल की पढाई इफिसियों 2:5 की टिप्पणी में कहते है, ‘‘आत्मिक मृत्यु मनुष्य की कुदरती अवस्था है...परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए...” इफिसियो 4:18 कहता है की आदमी अपनी कुदरती अवस्था में,
‘‘उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उनमे है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से (अलग) किए हुए है'' (इफिसियों 4:18)।
अलग किया हुआ, छोडा हुआ, प्रभु से विमुख किया गया - आदमी अंधेरे में भटकता है, आत्मा से मरा हुआ, प्रभु से कटा हुआ। परंतु प्रभु, उनके प्यार और दया में, अपने पूत्र यीशु मसीह को भेजते है, स्वर्ग से नीचे परमेश्वर और पापी मनुष्य के बीच में पुनःमिलन कराने। बाइबल कहता है,
‘‘क्योंकि बैरी होने की दशा में उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा, हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ तो फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उध्धार क्यो न पाएँगे'' (र ोमियो 5:10)।
हम लोग स्वभाव से प्रभु के दुश्मन थे (रोमियो 8:7)। परंतु प्रभु ने अपने पुत्र यीशु को भेजा क्रुस पर मरने के लिये - हमारे पापो को पूरी तरह चूकाने। और उसने यीशु को मृत्यु से जिलाया हमें जीवन देने! यीशु अभी स्वर्ग में है, प्रभु के दाहिने हाथ पर। जब आप यीशु के पास, आते हो आपके पाप चूकता हो जाते है, और आप ‘‘सारे पापो” से शुद्ध हो जाते हो उनके बहुमुल्य लहू द्वारा (1 यूहन्ना 1:7)। बाइबल कहता है।
‘‘तुम जो पहले निकाले हुए थे और बुरे कामो के कारण मन से बैरी थे, उसने अब उसकी शरीरिक देह में मृत्यु के द्वारा तुम्हारा भी मेल कर लिया, ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र और निष्कलंक, और निर्दोष बनाकर उपस्थित करे'' (कुलुस्सियों 1:21-22)।
जब आप यीशु मसीह के पास आते हो, प्रभु के पुत्र, आपके पापो को आपकी जगह उनकी मृत्यु द्वारा चूकाते है - और प्रभु आपको उनके बच्चे की तरह पाते है। मसीह का लहू आपके पापो को शुद्ध करेगा। मसीह का पुनरूत्थान आपको नया जन्म देगा। आप फिर से जन्म लोगे प्रभु की संतान की तरह। आप प्रभु से ओर अलग नहीं रखे जाओगे। आप दुनिया में और अकेले नहीं रहोगे। आप और ज्यादा दिन धनेस के समान जंगल में, उल्लु के समान उजडे स्थानो पर, या ‘‘गौरे के समान छत पर अकेले'' (भजनसंहिता 102:6-7) नहीं रहोगे - क्योंकि तब आप प्रभु की संतान होंगे। मेहरबानी करके खडे रहीये और यह गीत जो आपके गीतो के पर्चे पर तीसरा है उसे गाइये।
मेरे बंधन, दुःख और रात्रि से बाहर, यीशु, मैं आता हूँ, यीशु, मैं आता हूँ;
आपकी आझादी, प्रसन्नता और प्रकाश में, यीशु मै आपके पास आता हूँ;
मैं बिमारी से बाहर, आपकी सेहत मैं, मेरी मांगो से बाहर, आपकी संपति में,
मेरे पापो से बाहर और आपके अंदर, यीशु मैं आपके पास आता हूँ।
(‘‘यीशु मैं आता हूँ'' वीलीयम टी. स्लीपर द्वारा, 1819 - 1904)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल. चान द्वारा पढा गया पवित्र शास्त्र :
भजनसंहिता 102:1-7
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘रात के खाने के लिये घर आइये'' (डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा)।
रूपरेखा अकेलेपन के दो उपाय डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘मै जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ : मैं उजडे स्थानो के उल्लु के समान बन गया हुँ। मैं पडा पडा जागता रहता हूँ, और गौरे के समान हो गया हुँ, जो छत के ऊपर अकेला बैठता है'' (भजनसंहिता 102:6-7)। (उत्पति 2:18) I. पहला, प्रभु ने आपके भावनात्मक अकेलेपन के लिये स्थानिय कलीसिया दीये, उत्पति 2:18; मती 16:18। II. दूसरा, प्रभु ने अपना पुत्र, यीशु दीया, आपके उनके प्रति आत्मिक विमुखता के उपाय के लिये, उत्पति 3:10, 23; रोमियों 5:12; इफिसियों 2:5; 4:18; रोमियों 5:10; 8:7; 1 यूहन्ना 1:7; कुलुस्सियो 1:21-22। |