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प्रार्थना पर निर्भर करना आपको नर्क में क्यों भेजेगाWHY DEPENDING ON PRAYER WILL SEND YOU TO HELL डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि.द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की शाम, “किसी रीति से किसी के धोखे में न आना : क्योंकि वह दिन न आएगा, जब तक धर्म का त्याग न हो ले...” (2 थिस्सलुनीकियों 2:3)। |
“धर्म का त्याग” ये शब्द अेक ग्रीक शब्द “अपोस्टेसीया” का अनुवाद है। मैं मान चूका हूँ की आज का स्वधर्म त्याग मुख्य दो व्यक्ति से शुरु हुआ था। जोहान सेमलर (1725-1791), जर्मनीमें, ने बाइबल की टीका करने को सिखाना शुरु किया, जिसमें धार्मिक पाठशाला और महाविद्यालयों ने उदार दलो के सिध्धांत तक ले गया, जिसकी वजह से प्रवक्ताओं का पवित्रशास्त्र से आत्मविश्वास कम होने लगा। दूसरा व्यक्ति जो आज के धर्म त्याग के लिए मुख्यता जिम्मेदार है वो है सी.जी.फिनेय (1792-1875)। फिनेयने सुधारकी ज्यादा तर सारी शिक्षाओं पर हमला किया। उन्होंने सीखाया की कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा शक्ति द्वारा अपने आप को बचा सकता है। सीनरजीसम से भी खराब - फिनये ने शुध्ध पेलाजीयानीझम सीखाया)। उसने मनुष्य की पूरी बुराई और मुक्ति को सिर्फ इश्वर की कृपा कहके अस्वीकृत किया। उसने मसीह के क्रूस पर की पापीयों के बदले खुद की मृत्यु को नकारा। फिनेयने जो शिक्षा सिखाई वो पहले के रोमियो केथलीक पेलागीयस (354-420) की शिक्षा के समान थी-की आदमी अपनी खुद की इच्छा शक्ति के “निर्णय” द्वारा अपने आपको बचाता है। कीतने ही सुसमाचार प्रवक्ता और पादरीयोने फिनेय के पेलागीयानीस्ट “निर्णायक्ता” को मान्य किया। आज “निर्णायक्ता” ज्यादातर सुसमाचार प्रवक्ता और मूलभूत प्रवक्ता के ह्यदय की मान्यता है, जिन्होने “आमंत्रित करने का तरीका” अस्वीकृत किया था उनमें से भी कुछ लोग, अगर अभी भी वे सच्चाई महेसूस नहीं करते। वोल्टर चेन्ट्रीने कहाँ,
सुसमाचार प्रचारक जानते है की उनके कलीसिया में सब कुछ ठीक नहीं है... की कलीसिया में सुसमाचार का प्रभाव बहुत कम है... कलीसिया के अगुअे मुश्कील और गहरी असंतुष्टता में है उनके वर्तमान अनुभव और उनके महेनत के परिणाम से (वोल्टर जे. चेन्ट्री, आज का सुसमाचार : वास्तविक या कृत्रिम? बेनर ओफ ट्रुथ ट्रष्ट, 2009 की प्रत, पृष्ठ.1)।
लियोनार्ड रेवेनहीलने कहाँ,
प्रभु राष्ट्र को मदद किजीये, जो मनुष्य द्वारा बनाये गये धर्म से नाश हो रहा है... और मनुष्यो की बनाई गई शिक्षाये नष्ट हो रही है! क्या कभी भी ऐसा खराब घंटा था ? (लियोनार्ड रेवेनहील, पुर्नजन्म क्यो विलंबित होता है, बेथनी हाऊस प्रकाशक, 2004 मे फिर से छपा, पृष्ठ.156)।
हमारे कलीसिया के “पतन” और “नाश” का मुख्य कारण है की वो अपरिवर्तित सदस्यों से भर गया है, कलीसिया के बच्चे, युवा और जो अगुओ के किरदार में है उन सबको भी मिलाकर। और वहाँ पर न रोकनेवाले आम लोग कलीसिया के अपरिवर्तित सदस्यों के कारण है की हमने अलग अलग “निर्णायक” तरीकों को अपना लिया है लोगो को “बचाने” के लिये। उनमें से एक सबसे खतरनाक तरीका है “मसीह को आपके मनमें आने को कहना” । जो व्यक्ति मसीह को अपने मनमें आने को कहता है, और उस प्रार्थना पर निर्भर करता है, वो बिना किसी प्रश्न के अपने मृत्यु के समय नर्क में जायेगा। कोई एक व्यक्ति भी स्वर्ग में नहीं जायेगा जो प्रार्थना पर निर्भर रहता है। क्या ये ज्यादा मजबूत है? मुझे ऐसा नही लगता। ये शायद पूरी तरह मजबूत ही नही है! एक व्यक्ति जो “यीशु को उसके मनमे आने को कहने” पर निर्भर करना है वो नर्क में जायेगा! क्यों ? क्योंकि पवित्रशास्त्र के मुताबिक परिवर्तित होने का तरीका वो नही है।
अभी यहाँ क्या बाइबल आपको “यीशु को आपके मनमें आने को कहने” के लिये कहता है। फिर भी मुक्ति का ये गलत तरीका आज अत्यंत मशहुर है। पीछले रविवार शाम को मैंने अपनी धार्मिक सभा में पूछा की उनमें से कितने लोगोने इसके बारे मे सूना है। ज्यादातर सारे ही हाथ उपर उठे - पहली बार आनेवाले मुलाकातीयो को मीलाकर, जिनमें से कुछ लोगो ने पहले कभी भी मसीही कलीसिया में हाजरी नही दी थी! ये इतना जानामाना और मशहूर है की बहुत लोग सोचते है की ये बाइबल में कहीं भी होगा! परन्तु ये नहीं है। कई बार इफिसियो 3:17 को अपील की जाती है। परन्तु वो पद दीया गया था “विश्वासी लोग के नाम जो इफिसुस में है” (इफिसियों 1:1) को, बिना बचाये लोंगो को नही - इसीलिये इसको कुछ भी लेनादेना नही है यीशु को मनमें आने को “कहने” के साथ! कभी यूहन्ना 14:23 को अपील की गई थी, परन्तु (इफिसियों 3:17 के जैसे) यह पद पवित्र आत्मा को संदर्भ करना है, इंसानी यीशु मसीह को नहीं। ये “प्रभु की आत्मा” को संदर्भ करता है, “मसीह की आत्मा” (रोमियो 8:9) को भी - इंसानी यीशु मसीह को नहीं, जिसके लिये हमे कहाँ गया है, नये नियमावली के पंद्रह पदों में, “स्वर्ग पर उठा लिया गया, और परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया” (मरकुस 16:19), “जहाँ मसीह विद्यमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है” (कुलुस्सियो 3:1)। नयी नियमावली हमे पंद्रह बार कहती है की मृत्यु से जिलाये हुअे मसीह उपर स्वर्ग में है, प्रभु के दाहिने हाथ पर। इंसानी यीशु मसीह नीचे नही आते पापीयो के मनमें जब वो वह प्रार्थना करता है। वे उपर स्वर्ग में प्रभु के दाहिने हाथ पर ही रहते है!
।. पहला, प्रकाशितवाक्य 3:20 “मन” के बारे में कुछ भी नहीं कहता।
मुख्य पद जो प्रवक्ता द्वारा इस्तेमाल किया गया है “यीशु को अंदर आने को कहने के द्वारा मुक्ति” वो है प्रकाशितवाक्य 3:20। महेरबानी करके अपनी बाइबल खोलिये और ये जोर से पढीये।
“देख, मैं द्वार पर खडा़ हुआ खटखटाता हुँ; यदी कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ” (प्रकाशितवाक्य 3:20)।
जैसे मैंने पीछले रविवार को कहाँ था, “मन” शब्द कभी भी इस पद में नहीं आया। ये पद बात करता है “मसीह की आत्मा” जो आपके अंतरमन के द्वार को खटखटाती है। उसके खटखटाने का मुख्य तरीका कायदे और सुसमाचार के प्रवचन सुनने के द्वारा है। यह अपने कलीसिया के एक युवा व्यक्ति की गवाही द्वारा द्रष्टांत दिया गया है जो शायद बहुत समय पहले परिवर्तित नहीं हुआ था। उसने कहाँ,
जैसे सभा शुरू हुई और डो. हायर्मस ने प्रवचन देना आरंभ किया मैं प्रभु के विरूध्ध परिश्रम करने के लिये निष्ठ था, परन्तु जैसे जैसे धार्मिक प्रवचन आगे बढ़ा मैं महेसूस कर रहा था की मेरे पापो का बोझ मुझ पर दबाव डाल रहा था। हर एक पसार होती हुई पल के साथ दर्द और पापो का बोझ सहना मुश्किल हो रहा था... मुझे हंमेशा से पता था की मैं पापी था, और मेरा स्वभाव प्रभु को धिक्कारता था, इसके बारे में कोई प्रश्न था ही नही, परन्तु तब (इस) समय मैं अपने आपको खडा नही रख सका। सबकुछ जो मैं था, सबकुछ जो मैं बना था, इतना भयानक लग रहा था की हकीकत मैं प्रभु सच्चे थे मुझे नर्क में भेजने केे लिये... अचानक मुझे पहले के धार्मिक प्रवचन के शब्द याद आये... शब्द थे “मसीह के आधिन हो! मसीह के आधिन हो” मेरे दिमाग मैं बजते रहा। मेरी इच्छाशक्ति, कैसे भी, अभी तक अतूट थी; मैं अभी भी मसीह के विरूघ्ध द्रढ़ था। यीशु ने खून बहाया और मेरे लिये मेरे परन्तु मैं उन्हे रोकना बन्द नही कर सका। इसने मुझे पहले कभी भी नहीं था उतना अपराधभाव दिया। मैं अपने पापो को और ज्यादा देर तक नहीं पकड सका। मुझे मसीह के आधीन होना ही पडा। एक ही पल में मैं मसीह के आधीन हुआ और उनके पास आया। उस पल मैंने अपने सारे छिपे शक और विचारो को जाने दिया, और सरलता से यीशु के पास आया। मैं अपने पापो से और अपने आप से मूडा... मृत्यु से जिलाये तारणहार की तरफ, विश्वास द्वारा... उनको रोकना बंद करना मेरे लिये मुश्किल था। उनके पास आना आसान था... सिर्फ प्रभु की कृपा के द्वारा ही मैं पापो से दोषी और प्रतीत हुआ, और उनके पुत्र द्वारा मेरे पाप स्वर्ग की उनकी किताबो से निकाले गये। उनको सारी भव्यता से धन्यवाद!... मेरी आशा यीशु में है... यीशु में मेरी आत्मा बंध चुकी है और मुझे पूरी प्रमाणिकता और साहसिकता से उनके लिये जीना चाहिये।
प्रकाशितवाक्य 3:20 इसीके बारे मैं बात करता है! “मसीह की आत्मा” खटखटाती है और आपके अंतरमन को खटखटाती है जब तक की आपकी आत्मा मसीह के आधीन नही हो जाती है। फिर “मसीह की आत्मा” को पाना आसान लगता है और इंसानी यीशु मसीह के पास ले जाये जाते हो। इच्छाशक्ति नर्म होकर और तूट जानी चाहिये पवित्र आत्मा का खोये हुअे पापीयों को तारणहार के पास ले लाने से पहले।
॥. दूसरा, यूहन्ना 1:12 “मन” के बारे में कुछ भी नही कहता है।
दूसरा पद जिसका गलत इस्तेमाल हुआ है वो है यूहन्ना 1:12। महेरबानी करके आपकी बाइबल खोलिये और ये जोर से पढ़ीयें,
“परन्तु जितनो ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हे जो उसके नाम पर विश्वास रखते है” (यूहन्ना 1:12)।
“ग्रहण किया” शब्द जो अनुवाद किया है वो मुख्य शब्द है। “प्रार्थना-द्वारा-मुक्ति” प्रवक्ता कहते है “ग्रहण करो” का अर्थ है इंसानी यीशु मसीह को अपने मनमे आने को कहना। परन्तु ग्रीक शब्द का ये अर्थ कभी भी नही है! ग्रीक शब्द का अर्थ है “उनकी पक डमें आओ” (स्ट्रोन्ग # 2983)। ये कोई काल्पनिक विचार नही है किसीके अन्दर में उनको ग्रहण करने का। इसका अर्थ है मसीह को “लिजीये” या “उनकी पकड मे आओ।” यह इंसानी यीशु मसीह का कीसीके मनमे आने को संदर्भ नहीं कर सकता, क्योंकि युहन्ना उन लागो के बारे में लिख रहे थे जा उस समय जिवीत थे, जब मसीह धरती पर थे उस समय। ये हास्यास्पद होगा उन लोगो के बारे में सोचना जो मसीह के समय जिवीत थे तब उनको अपने मनमे ग्रहण करना! यह नहीं हो सकता था, फिर, यह आज भी उसी अर्थ का है। मसीह को ग्रहण करने का अर्थ है मसीह की “पकडमें आओ”। हम “पकडे रखते है” मसीह को जब हम फिर से पैदा होते है, जैसे पद तेरावा (13) हमे कहता है। इसे जोर से पढी़ये।
“वे न तो लहु से, न शरीर इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए है” (यूहन्ना 1:13)।
विलीयम मेकडोनाल्ड इसे सरलता से समजाते हैः
ये पद हमे तीन तरीके बताता है जिसके द्वारा नया जन्म नही होता है और एक तरीका है जिससे ये होता है। पहले, वो तीन तरीके जिसके द्वारा हम फिर से जन्म नहीं लेते। लहू से नहीं। इसका अर्थ है कोई व्यक्ति मसीही नही बन सकता उसके मातापिता के मसीही होने के द्वारा मुक्ति मातापिता के लहू की धारा द्वारा बच्चो को नही मिल सकती। नाही शरीर की इच्छा शक्ति से। दूसरे शब्दो में, व्यक्ति के अपने शरीर मे वो ताकत नही होती जो नया जन्म दे सके। प्रवक्ता, मिशाल के तौर पे, शायद कुछ लोगो को फिर से जन्म लेते देखने को बहुत उत्सुक हो; परन्तु उसमे (वो) पैदा करने की शक्ति नही होती है। कैसे, फिर, ये (नया) जन्म होता है? जवाब शब्दो मे मिलता है परन्तु प्रभु के शब्दो में। इसका सरल अर्थ है की नया जन्म देने की ताकत किसी चीज या किसी ओर में नही सिवाय प्रभु में (विलीयम मेकडोनाल्ड, विश्वासीयो की बाइबल पर संभाषण, थोमस नेल्सन प्रकाशक, 1995 की प्रत, पृ.पृष्ठ 1467-1468; यूहन्ना 1:13 पर टीप्पणी)।
वो मंतव्य, जो बाइबल का मंतव्य है, वो मोनेरीझम है - प्रभु नये जन्म का और परिवर्तन का लेखक है मनुष्य नही। जबसे परमेश्वर, मनुष्य नहीं, नया जन्म पैदा करते है, मनुष्य जरूरी ही अपने आपको मसीह को उसके मनमे आने की प्रार्थना द्वारा बचा नही सकता! इतिहास के किसी भी श्रेष्ठ मसीही ने यीशु से उनके मनमे आने को नही कहाँ-लुथर ने नही किया, बुनयानने नहीं किया, वाइटफिल्डने नहीं किया, वेल्सीने नहीं किया, र्स्पजनने नहीं किया। हकीकत में, उस मशहूर परिवर्तित लागो मे से किसीने भी कोई भी प्रार्थना नही थी जब वे परिवर्तित हुअे थे! वे सब सिर्फ मसीह में विश्वास द्वारा ही परिवर्तित हुअे थे बिना प्रार्थना के!
र्स्पजनने सेवक से कहाँ जिसने लोगों के जूथ से पूछा था कैसे कोई व्यक्ति बचाया जा सकता है,
वृध्ध व्यक्ति ने जवाब दिया, “हम बचाये जा सकते है अगर हम पछतावा करे, और अपने पापो को त्याग दे, और प्रभु की तरफ मूडे।” “हा”, मध्य आयु की (औरत) ने कहाँ, “और सच्चे मन से भी”। “हे”, तीसरे ने (कहा) “और प्रार्थना से;” और, चौथेने कहाँ “वो मनकी प्रार्थना होनी चाहीये”... इसलीये, हर एकने अपना मंतव्य दिया... उन सबने देखा और सूना प्रवक्ता के (स्वीकार) के लिये; परन्तु उन्होने उनकी गहरी दया को जगायाः उसे शुरूआत से शुरू करना पडा, और उन्हे मसीह का प्रवचन दिया। (अपरिवर्तित दिमाग हंमेशा अपने आपके लिये अपना कार्य करने को और महान बनने को तरीका दिखता है; परन्तु प्रभु का तरीका इससे बिलकुल ही विपरित है (सी. एच. स्पर्जन, विकेट द्वार के आसपास, पीलग्रीम प्रकाशन, 1992 में फिर से छपा हुआ पृष्ठ. 25)।
यीशु ने वो सब कार्य किये जो आपको बचाने के लिये जरूरी है। वे क्रुस पर आपकी जगह मेरे, आपके पापो को चुकाने। उन्होने अपना बहुमूल्य लहू बहाया आपके पापो को प्रभु की किताबोसे साफ करने के लिये। वे मृत्यु से उठे आपको जीवन देने के लीये। अब वे आपसे कहते है,
“मेरे पास आओ” (मती 11:28)।
“आओ, अब भोजन तैयार है” (लूका 14:17)।
जैसे उस युवा व्यक्ति ने कहाँ, पहले मैंने गवाही ते पढ़ा था, “(मसीह) का विरोध करना बंद करना मेरे लिये मुश्किल था। उसके पास आना सरल था। “शब्द, ‘मसीह के आधीन हो जाओ!' मसीह के आधीन हो जाओ! सतत मेरे दिमाग में बज रहा था। मेरी इच्छा शक्ति, अभी तक अतूट थी; मैं अभी तक मसीह केे विरूध्ध द्रढ था। यीशु ने मेरे लिये लहू बहाया और मरे लिये मेरे परन्तु मैं उनका विरोध करने से नहीं रूका। इससे मैं पहले से कई ज्यादा दोषी महसूस करने लगा। मैं अपने पापो को और ज्यादा देर तक नही पकडे सका... पलभर में मसीह के आधीन हुआ और उनके पास आया।”प्रार्थना पर निर्भर करना बंद किजीये! यीशु मसीह स्वयं पर निर्भर करो। प्रार्थना आपको बचा नही सकती! सिर्फ मसीह आपको बचा सकते है!
मसीह के आधीन हो जाओ! मसीह के वशमें हो जाओ! मसीह को सर्मपण कर दो! मसीह को दे दो! उसके पास आओ। उनके सामने झूको। वे अकेले ही आपको बचा सकते है। उनसे कुछ करने को मत कहो। अगर आप “कहते” हो तो आप जरूरी ही प्रार्थना मे ही रह जाओगे! वो आपको शापित करेगा! आपको मसीह पर निर्भर होना जस्री है-कोई प्रार्थना पर नहीं! नही! नहीं! उसके आधीन हो जाओ कहे! उसके पास आओ बिना प्रार्थना कीये!
“अहो सब प्यासे लोगो, पानी के पास आओ; और जिनके पास रूपया नहो; तुम भी आकर मोल लो और खाओ; ये, आओ... बिन रूपये और बिना दाम ही आकर ले लो” (यशायह 55:1)।
ओह, दया का कितना भव्य फव्वारा बह रहा है
क्रुस पर चढे मनुष्य के तारणहार से।
बहुमूल्य लहू जो उसने हमें बचाने बहाया,
अनुग्रह और क्षमा हमारे सारे पापो के लिये।
(“ओह, कीतना भव्य फव्वारा!” डो.जोन आर.राईस द्वारा, 1895-1980)।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल.चान द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रवाक्याः
इफिसियो 2:1-9।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जालिन कीनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीतः
“ओह, कितना भव्य फव्वारा!” (डो. जोन आर. राईस द्वारा, 1895-1980)।
रूपरेखा प्रार्थना पर निर्भर करना आपको नर्क में क्यों भेजेगा डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा “किसी रिती से कीसी के धोखे मे न आनाः क्योकि वह दिन न आएगा, जब तक धर्म का त्याग न हो ले....” (2 थिस्सलुनीकियो 2:3)। (इफिसियो 3:17; 1:1; यूहन्ना 14:23; रोमियो 8:9; ।. पहला, प्रकाशितवाक्य 3:20 “मन” के बारे मे कुछ भी नही कहता, प्रकाशितवाक्य 3:20। ॥. दूसरा, यूहन्ना 1:12 “मन” के बारे मे कुछ भी नही कहता है, यूहन्ना 1:12, 13;मती 11:28; |