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कीमंत की गीनती करना - और
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याद रखिये की यीशु मुक्ति के मुदे पे काम करते थे। अेक आदमी ने उनसे कहाँ, “हे प्रभु, क्या उध्धार पाने वाले थोड़े हैं?” (लूका 13-23)। तब यीशु पूरी भीड़ की तरफ मूडे और उन्हे कहे की उन्हे बचाये जाने के लिये क्या करना जरूरी है, “सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो”। “सकेत द्वार” यीशु खुद है। “प्रयत्न” शब्द ग्रीक शब्द “अगोनाईझोमाय” के बहुवचन से आया है। डान्केर ब्युर (डान्केर ब्युर, नये नियमावली और दूसरे पहलेके ख्रिस्ती साहित्य का ग्रीक-अंग्रेजी शब्दकोष, चिकागो प्रेस का विश्वविद्यालय, 2000, पृष्ठ. 17) बताते है की ये शब्द असल में परिश्रम से जुडा है दौड की प्रतियोगीता में, परन्तु बाद मे, नये नियमावली के समय में, इसे लडाई और परिश्रम बताने के लिये उपयोग में लाया गया, ये उस संदर्भ में प्रेरितो पौलुस द्वारा उपयोग किया गया जब उसने कहाँ, “मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है” (2 तीमुथियुस 4:7)।
इसलिये “अगोनाईझोमाय” शब्द लडाई और परिश्रम के बारे में बात करता है - और, हमारे विषय मे, लडाई और परिश्रम के बारे मे यीशु तक जाने प्रवेश करने के लिये, जो “सकेत द्वार” है। डो. लेन्सकीने कहाँ, “हमारे पास मजबूत क्रिया है ‘परिश्रम' (अगोनाईझेस्थ) जिससे हमे अभी भी ‘टु अगोनाइझ'... हमे अपनी पूरी शक्ति से प्रवेश करने का प्रयत्न करना है... ये असहानुभूति के विरूध्ध है, लापरवाह... होना, या जुठी सुरक्षा में जीना” (आर. सी. एच. लेन्सकी, डी. डी., सेंट. लूका के सुसमाचार का भाषांतर, अगसबर्ग प्रकाशन घर, 1961 में फिर से छपा गया, पृष्ठ. 747; लूका 13:23 पर टीप्पणी)। डो. लेन्सकी ने हमारा विषय इस तरह अनुवाद किया की, “छोटे द्वार से अंदर जाने का परिश्रम करो” (ibid., पृष्ठ. 746)। डो. लेन्सकी कहते गये,
जब बहुत देरी हो गई हो, वे जागृत होते है और प्रवेश करना “चाहते” है और “सफल” नहीं होते... क्योंकि द्वार बंद है। इस लिये हमारे पास भविष्य काल है “चाहेंगे”, “सफलता नहीं पायेंगे”। दोनो मुदे उस समय पर जब द्वार बंद हो चूका होगा... पछतावा... तब ना मुमकिन होगा (आर. सी. एच. लेन्सकी, डी. डी., ibid., पृष्ठ. 748)।
वहाँ पर एक पुराना गीत है जो ये सब कहता है,
क्या आपने कीमंत गीनी,
अगर आपकी आत्मा खो जाये,
फिर भी आप पूरा विश्व आपके अपने लिये पाओगे?
अभी भी शायद आपने लकीर पार की है,
क्या आपने गीना, क्या आपने किमंत गीनी?
(“क्या आपने कीमंत गीनी?” ए. जे. होडज द्वारा, 1923)।
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13-24)।
मैंने पीछले रविवार की रात आपके बताया था कि आपको किस के विरूध्ध परिश्रम करना है यीशु तक प्रवेश पाने के लिये - आपको शैतान के विरूध्ध परिश्रम करना है, आपको अपने भ्रष्ट्र स्वभाव - आपके गर्व और यीशु के आधीन होने की अनिच्छा के विरूध्ध परिश्रम करना है। डो. मार्टीन लोयड जोनेस ने कहाँ, “कोई भी आदमी अपने आपको देखना बंद किये बिना कभी भी ख्रिस्ती नहीं बन सकता” (इयान एच. मुरेय, लोयड - जोनेस : कृपा का संदेशवाहक, ध बेनर ओफ टृथ ट्रस्ट, 2008, पृष्ठ. 212)। मैंने पूछा, क्या आपने कभी भी अपने आपको कयामती पापी की तरह देखा है? क्या आपने कभी भी अपने यीशु के प्रति विद्रोह के प्रश्न का सामना किया है? क्या आप अपने आप में स्वीकार करते हो की आपको उसके करने से उसके बारे में ज्यादा जानकारी है? क्या आपने अपने आप में स्वीकार किया है की आप उनके विरूध्ध द्रोही हो, की आपने उनका अस्वीकार किया है, और उनके प्यार को अधूरा छोडकर और उन्हे इन सब महीने और सालो तक दूर धकेल दिया? क्या आपने ये सब उनके सामने स्वीकार किया - और अपने आप से भी? अगर नहीं, आप शायद कभी भी उन तक प्रवेश नहीं कर सकेंगे, आप शायद कभी भी परिवर्तित नहीं होगे, आप शायद कभी भी “सदा सीखती तो रहती है पर सत्य की पहचान (तक) कभी नहीं पहुँचती” (2 तिमुथियुस 3:7) आगे नहीं बढ़ सकते।
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13-24)।
खडे रहीये और समुहगान फिरसे गाइॅये!
क्या आपने कीमंत गीनी, अगर आपकी आत्मा खो जाये,
फिर भी आप पूरा विश्व आपके अपने लिये पाओगे?
अभी भी शायद आपने लकीर पार की है,
क्या आपने गीना, क्या आपने किमंत गीनी?
आप बैठ सकते हो।
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13-24)।
।. पहला, सोचिये अगर आप प्रवेश करने के लिये परिश्रम नहीं करोगे तो आपका क्या होगा।
“प्रभु यीशु अपने सार्मथी दूतों के साथ धधकती हुइॅ आग में स्वगॅ से प्रगट होगा, और जो परमेश्वर... सुसमाचार को नहीं मानते उनसे पलटा लेगा” (2 थिस्सलुनिकियो 1:7-8)।
डो. डबल्यु. जी. टी. शेड ने बताया है की,
अंतहीन सजा ठीक है...क्योकि वो मनुष्य के अंतर आत्मा द्वारा मददरूप है। पापी के खुद की अंतर आत्मा गवाही देगा और न स्वीकार करनेवाला वाक्य स्वीकार करेंगे “जिस दिन परमेश्वर मेरे सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा मनुष्य कि गुप्त बांतो का न्याय करेगा” (रोमियो2:16)...घ वेस्टमीनीस्टर र्लाजर केटेशियम 89 (कहते है) की “शैतान, स्पष्ट सबुत से और उनके अपने अंतरआत्मा की पूरी संमती से, अस्वीकार का वाक्य आसानी से उनके विरुध्ध दिखवाया जाये” (डबल्यु. जी. टी. शेड, पीएच. डी., डोगमेटीक थीयोलोजी, पी और आर प्रकाशन, 2003 की प्रत, पृष्ठ. 920)।
जैसे फ्रेडरीक डबल्यु. फेबर ने बताया,
ओ डरानेवाले विचार! पाप का एक कार्य
अपने आपमे रखता है
अंतहीन नफरत की ताकत प्रभु द्वारा,
और हमेंशा रहनेवाला दर्द।
(फ्रेडरीक डबल्यु. फेबर, 1814-1863)।
समुहगान फिर से गाइये!
क्या आपने कीमंत गीनी, अगर आपकी आत्मा खो जाये,
फिर भी आप पूरा विश्व आपके अपने लिये पाओगे?
अभी भी शायद आपने लकीर पार की है,
क्या आपने गीना, क्या आपने किमंत गीनी?
आप बैठ सकते हो। डों. शेडने हमसे कहॉ,
पाप इंसानी आत्मविश्वास की आत्म हत्या का कार्य है। आदमी अपने आपको मारने के लिये जबरजस्ती से नहीं जाता; परन्तु अगर वो ऐसा करता है, वो अपने आपको फिर से जिवीत नहीं कर सकता। और आदमी को पाप करने के लिये भी मजबूर नहीं किया जाता, परन्तु अगर पाप करता है, वो फिर से पहले जहां था वहॉ कभी भी वापस नहीं आ सकता। वो फिर से बेकसुर नहीं हो सकता। वो पाप का गुलाम बन जाता है। “जो कोइॅ पाप करता है वह पाप का दास है”, यीशु कहते है (यूहन्ना 8:38); (शेड, ibid-] पृपृष्ठ 923-928)।
फिर से, डों. शेडने हमसे कहॉ,
... वो अंतहीन सजा उचित प्रमाण है खुद बुरे आदमीयो द्वारा सराहा गया। अवज्ञाकारी, द्रोही, परिभाषित और अधीर आत्मा र्स्वग से ज्यादा नर्क पसंद करती है। मिल्टनने शैतान को सही तरीके से पेश किया है ये कहते हुए कि...“स्वर्ग मे सेवा करने से अच्छा नर्क में शासन करना है”... शैतान स्वर्ग में उतना खुश नहीं रहेता जितना की नर्कमें... प्रभुत्व बिना के लोग ये पसंद करते है... पाप को आजादी ...ख्रिस्ती समाज की शुध्धता के लिये (शेड ibid-] पृष्ठ.926)।
“और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है, कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना, क्योंकि जो कोइॅ बुराइॅ करता है, वह ज्योति से बैर रखता है और ज्योति के निकट नहीं आता, एसा न हो कि उसके कामों पर दोष लवाया जाए” (यूहन्ना 3:19-20)।
ये फिर से गाइये!
क्या आपने कीमंत गीनी, अगर आपकी आत्मा खो जाये,
फिर भी आप पूरा विश्व आपके अपने लिये पाओगे?
अभी भी शायद आपने लकीर पार की है,
क्या आपने गीना, क्या आपने किमंत गीनी?
आप बैठ सकते है। यीशु ने कहॉ,
“इस निक्कमें दास को बाहर के अंधेरे में डाल दो, जहां रोना और दाँत पीसना होगा” (मती 25:30)।
“तब वह बाई ओर वालों से कहेगा हे षापित लोग, मेरे सामने से उस अनन्त, आग में चले जाओ” (मती 25:41)।
बाइबल कहता है,
“डरपोंकों, और अविष्वासियों... और सब झूठो, का भाग उस झील में मिलेगा जो आग और गन्धक से जलती रहती है : यह दूसरी मृत्यु है” (प्रकाषितवाक्य 21:8)।
सोचिये, सोचिये! सोचिये अगर आप यीषु के आदेष नहीं मानते हो तो आपका क्या होगा!
“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुमसे कहता हुँ कि, बहुत से लोग प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13:24)।
इसे गाइये!
क्या आपने कीमंत गीनी, अगर आपकी आत्मा खो जाये,
फिर भी आप पूरा विष्व आपके अपने लिये पाओगे?
अभी भी षायद आपने लकीर पार की हे,
क्या आपने गीना, क्या आपने कीमंत गीनी?
वो आदमी जिसकी लाष मिलने के सात दिन पहले मर गया था। मैंने कहाँ, “बक्सा बंद करो - वो सड़ गया है!” परन्तु परिवार मजबूत था। हमें षवपेटी के पास से गुजरना पडा और नीचे उसके बदबुदार सडे हुए चहेरे को देखा। उसके दांत उसके सडे हुए होठो से दिख रहे थे। इसके बारे में सोचिये! आपका चहेरा भी कीसी दिन इस तरह ही सड़ेगा! परन्तु आपकी आत्मा नीचे नखत्म होने वाली ज्वाला मे डूब जायेगी!
“हम में से कौन प्रचन्ड आग में रह सकता है? हम में से कौन उस आग में बना रह सकता है जो कभी न बुझेगी?” (यशायाह 33:14)।
ओ प्रभु! “हम में से आज रात कौन ये हमेशा रहनेवाली जलन में रहना चाहेगा?”
इसे फिर से गाइये!
क्या आपने कीमंत गीनी, अगर आपकी आत्मा खो जाये,
फिर भी आप पूरा विश्व आपके अपने लिये पाओगे?
अभी भी शायद आपने लकीर पार की है,
क्या आपने गीना, क्या आपने किमंत गीनी?
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13-24)।
आह, आत्मा, इस भयानकना से न बची तो सूख जायेंगी? प्रवेश करने के प्रयत्न बिना नहीं - प्रयत्न और परिश्रम किये बिना नही, लडाई से इनकार, आपकी पूरी शारिरीक ताकत और ज़ोर यीशु तक प्रवेश करने के लिये!
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13-24)।
॥. दूसरा, प्रवेश करने के लिये आपको कैसे परिश्रम करना जरूरी है।
मनुष्य को अपने कुदरती हालात में पापो का दोषी ठहराने का परिश्रम करना चाहिये - अपने पापी स्वभाव को महेसूस करना चाहिये - उसके मुक्ति की जरूरत को जानना चाहिये! परन्तु एक आदमी अपने आपको कैसे तैयार करे? डो. शेड ने तीन “कर्तव्य” दिये जो अदा करने ही है - तीव्र इच्छा से, प्रयास से, तीव्रता से :
1. प्रभु के वचन को पढ़ना और सुनना चाहिये। “अतः विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है” (रोमियों 10:17)। वेस्टमीनीस्टर र्लाजर केथेशीयम कहते है, “प्रभु की आत्मा पढ़ती है, परन्तु खास करके वचन के प्रवचन, कामयाब जरीयां जानकारी देने का, समजाने का, और बेचारे गरीब पापीयो को अपने आप से बाहर निकालकर यीशु तक ले जाना”
2. गंभीरता से दिमाग का इस्तेमाल करना और सच की परख करके उसे समजना और उसके जोर को महेसूस करना। “इसलिये चौकस रहो कि तुम किस रिती से सुनते हो : क्योंकि जिसके पास है उसे दिया जायेगा” (लूका 8:18)। जोन ओवेन ने कहाँ, “अगर आदमी अपने आत्मा की चीज का मतलब समज जाये जैसे वे (सांसारिक जीवन) में है इससे उनके साथ बड़ा फर्क पडेगा।” इस मान्यता के उपयोग के जरीये से कायदे की जरूरत का ज्ञान पैदा कर सकते है और इसे मानने में निष्फल होते है, और पापो की मान्यता में खोई हुई आत्मा को वापस ला सकते है।
3. पापो की मान्यता में पवित्र आत्मा के कामो के लिये प्रार्थना करना : “जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चो को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा” (लूका 11:13)। प्रभु की आत्मा के लिये प्रार्थना करो तब तक जब तक आप पाप को मान कर आपका मन कोमल हो और आपका दिमाग आपके पाप के विचारों की भयानकता से भर जाये - और आपको बचाने के लिये यीशु की जरूरत पडे। (शेड से संक्षीप्तता, ibid., पृष्ठ.774)।
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13-24)।
इसे ओर एकबार गाइये!
क्या आपने कीमंत गीनी, अगर आपकी आत्मा खो जाये,
फिर भी आप पूरा विश्व आपके अपने लिये पाओगे?
अभी भी शायद आपने लकीर पार की है,
क्या आपने गीना, क्या आपने किमंत गीनी?
मैं प्रार्थना करता हुँ की आप पापो को मान लेंगे, और प्रभु आपको यीशु तक ले जायेंगे, “यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत का पाप उडा लें जाता है” (यूहन्ना 1:29)। आमेन।
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल. चान द्वारा पढ़ा गया पवित्र वाक्य :
लूका 13:22-28।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन कीनकेड ग्रिफीथ द्वारा गाया हुआ गीत :
“माफ नकरनेवाला पाप”
(लेखक अनजान : “ओ सेट ही ओपन अनटु मी” की तर्ज पर)।
रूपरेखा कीमंत की गीनती करना - और डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा “सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13-24)। (लूका 13:23; 2 तीमुथियुस 4:7; 3:7) I. पहला, सोचिये अगर आप प्रवेश करने के लिये परिश्रम नहीं करोगे तो आपका क्या होगा, 2 थिस्सलुनिकियो 1:7-8; रोमियों 2:16;
II. दूसरा, प्रवेश करने के लिये आपको कैसे परिश्रम करना जरूरी है,
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