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आप क्या करोगे जब द्वार बंद है?GOD’S DRAWING AND MAN’S STRIVING डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल मे प्रभु के दिन की शाम, “सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो : क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेगें, और न कर सकेंगे। जब घर का स्वामी उठकर द्वार बंद कर चूका हौ, और तुम बाहर खडे़ हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे, और वह उत्तर दे, मैं तुम्हे नहीं जानता, तुम कहाँ के हो” (लूका 13:24-25)। |
आज रात का मेरा पाठ बहुत गंभीर है। यीशु ने ये गंभीर शब्दो से लोंंगो से कहाँ की उनके पास जमा हो जाओ। हम शायद उसे “डरानेवाले शब्द” कह सकते है।
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो : क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेगें, और न कर सकेंगे। (लूका 13:24)।
उन्होने उससे कहाँ “सकेत (छोटा) द्वार से अंदर प्रवेश करने का प्रयत्न करे”। छोटा द्वार यीशु खुद है। उन्होने कहाँ, मती 7:13-14 में,
“सकेत फाटक से प्रवेश करो : क्योंकि चौड़ा है, वह फाटक और सरल है वह मार्ग, जो विनाश को पहुँचाता है, और बहुत से है जो उस से प्रवेश करते हैं क्योंकि सकेत है वह फाटक : और कठिन है वह मार्ग जो उसे पता है” (मती 7:13-14)।
यूहन्ना 10 मे यीशु ने “फाटक” की जगह “द्वार” का प्रयोग किया था। दानो उन्ही को बनाते है। यूहन्ना 10:9 मे, उसने कहाँ,
“द्वार मैं हुँ : यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे, तो उघ्घार पायेगा...” (यूहन्ना 10:9)।
इसलिये, हमारे पाठ में, यीशु ने कहाँ, “सकेत द्वार से प्रवेश करने का प्रयत्न करे”- उनके पास आने के लिये प्रवेश ने का प्रयत्न करें - “यदि कोई भीतर प्रवेश करे, तो उघ्घार पायेगा...” (यूहन्ना 10:9)। परन्तु यीशु ने कहाँ आपको “अंदर प्रवेश पाने का प्रयत्न” उनके अन्दर करना ही चाहिए, नहीं तो आप बचाये नहीं जाओगे। “प्रयत्न” शब्द के लिये ग्रीक शब्द का यर्थाथ भाषांतर है “अगोनाइअेस्थ”। यह वो शब्द है जो ग्रीक सेना के परिश्रम और वहाँ के खिलाडीयों के परिश्रम मे आमतौर से वापरा जाता है। इस का अर्थ हे गंभीरता से परिश्रम, “लडाई” भी। हम इस तरह लिख सकते है, यीशु के पास “गंभीरता से परिश्रम; लडाई भी, अंदर प्रवेश पाने के लिये” यीशु के पास प्रवेश ने का मौका “पकड” लो! अंदर प्रवेशने की हर कोशिष करो! पुरीटन जोन ट्रेप ने कहाँ, “प्रयत्न करे तडपने के (हद तक) भी...जैसे उन्होने ओल्मपीक खेलो मे (रोमी समय मे) फूलो के माला के लिये किया था...परन्तु चलीये कोई नहीं सोचता (वह कर सकता है) सारा दिन शैतान के साथ नाचने के लिये और फिर यीशु के साथ रात बैठो - (या जाओ) स्वर्ग मे पंखो के बिस्तर पर” (जोन ट्रेप, पुराने ओर नये नियमावली पर संभाषण, ट्रान्यकी प्रकाशन, 1997 में फिर से छपा, भाग पू, पृष्पु. 326; लूका 13:24 पर टीका)। मेथ्यु हेन्री ने ये और मजबूती से कहाँ,
जो बचाया जाना है वह सब सकेत द्वार से अंदर जाना चाहिये, मनुष्य के पूरे बदलाव से गुजरना चाहिये, जैसे पुनःजन्म से कुछ कम नहीं... वे जो सकेत द्वार से अंदर प्रवेश करेंगे उन्हे प्रवेश करने का प्रयत्न करना जरूरी है। स्वर्ग मे जाना बहुत कठीन बात है और... बहुत जतन और मुश्किलो का, दर्द, और परिश्रम के बीना कुछ नहीं पाओगे। हमे प्रभु की प्रार्थना मे प्रयत्न करना चाहिये, याकूब के जैसे मल्ल युध्ध, पापो के और शैतान के विरूघ्घ प्रयत्न। हमे जरूर...अपने खुद के मनसे प्रयत्न करना चाहिये। अगोनाइज्स्थ & “तडप मे रहों; जो इनाम के लिये भागते है उनके जैसे प्रयत्न करो; अपने आपको सबसे अधिक उत्साही और महेनती बनाओ” (पूर्ण बाइबल पर मेथ्यु हेन्री का संभाषण, हेन्ड्रोक्सन प्रकाशन, 1996 में फिर से छपा, भाग पू,पृष्ठ. 586; लूका 13:24 पर टीप्पणी)।
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो : क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेगें, और न कर सकेंगे। जब घर का स्वामी उठकर द्वार बंद कर चूका हौ, और तुम बाहर खडे़ हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे, और वह उत्तर दे, मैं तुम्हे नहीं जानता, तुम कहाँ के हो” (लूका 13:24-25)।
आह, कितने है जो सिर्फ “अंदर प्रवेश पाना चाहेगें।” “चाहना” यह “प्रयत्न” से कमजोर शब्द है। ग्रीक शब्द है “झेटीयो”। इस का अर्थ है “सामान्य तौर से सिखना, या पूछताछ करना” उसमे भीगने के लिये, यहाँ थोडा और वहाँ थोडा सिखने के लिये, बिना कीसी असली उत्साह या महेनत से हकीकत मे यीशु के पास प्रवेशने के लिये लडना! आह, ये भीगनेवाले के पास कितनी उदास हकीकत है, ये बाहरी तुच्छ बाते, जो शायद ही ये चला सकती है, जो सिर्फ मुक्ति के बारे मे थोडा ज्यादा सिखना चाहते है। परन्तु कोई यीशु के पास जाने के लिये अपनी तरह से लडने की कोई इच्छा नहीं होती है! वे मजाक करेंगे और भिगेंगे और धर्म मे खेलेंगे - और शायद “अंदर प्रवेश पाने को चाहेगें, और नहीं कर पायेंगे”! वे सिर्फ धर्म में “खेलते” है!
“सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो : क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि बहुत से प्रवेश करना चाहेगें, और न कर सकेंगे। जब घर का स्वामी उठकर द्वार बंद कर चूका हौ, और तुम बाहर खडे़ हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे, और वह उत्तर दे, मैं तुम्हे नहीं जानता, तुम कहाँ के हो” (लूका 13:24-25)।
डो. बी. एच. केरोल (1843-1914) दक्षिण पश्चिम बपतीस थीयोलोजीकल धार्मिक पाठशाला के प्रमुख थे। डो. केरोलने कहाँ,
... सकेत द्वार से प्रवेश करने अभी प्रयत्न करें क्योंकि बहुत से लोग बादमें प्रवेश करना चाहेंगे और फिर नहीं जा पायेंगे जब एक बार घर का स्वामी उठेगा और द्वार बन्द कर देगा। फिर यह विचार आया की : समय की भी पाबंदी है; की...समय ऐसा है की अगर किसीको दुनिया में पूरा प्रयत्न करना पडें फिर भी कोई फर्क नहीं पडेगा। यह हकीकत में अपने तारणहार का विचार है। यह यशायाह का कहना है;
“जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो” (यशायाह 55:6)।
...यह दष पवित्र कवांरो के विचारों का (श्रेश्ठ) दृश्टांत है। वो पांच मूर्ख कवारोने प्रवेषने की कोषीश की, बहुत कोषीश की अंदर जाने की, और खटखटाया और कहॉ, “प्रभु, प्रभु, हमारे लिए खोलिये” (मती 25:11) ... (वहाँ) प्रयत्न करने मे अक्षमता थी बाद में जब प्रयत्न करने मे बहुत देर हो गई थी, जब इससे कुछ अच्छा नहीं हो पाया अच्छी क्षमता द्वारा भी, जब द्वार बंद था, जब मौका नीकल चूका था। जब वे जागृत हुएः वे महेसूस करने लगे, और अपनी पूरी खूली आँखो के साथ (देखा) एक बहुत खराब दृष्य दीखा, प्रष्न का अनन्त खास जरूरत, महेसूस किया की बाहर अंधेरा और मृत्यु और वनवास है और अंदर जीवन और किती है। जब उनके प्रयत्न द्वारा व्यक्तिगत मुक्ति की जरूरत आखिरकार समज में आयी, वे जरूर कोषिश करे, वे जरूर प्रयत्न करें; वे जरूर खटखटाये और प्रार्थना करे, परन्तु सब नाकाम। “बहुत देरी; बहुत देरी; आप अब प्रवेष नहीं कर सकते हो।”... क्या मतलब है लोगो का यीषु मे (अंदर मे) प्रवेष पाने की असमर्थता का? की... हम षायद आसानीसे समज सके। परमेष्वर इस धरती पर मौका देते है; उस मोके (की लंबाई) वे खुद नापते है। हम अपने आप नहीं नाप सकते। प्रभु उसे अपने आप नापते है। किसी भी व्यक्ति के पास कीतने (लंबे समय तक का मौका होता है) वो सिर्फ वे ही जानते है। वे शायद एक शाला की बच्ची को तीन हफते का समय दे। दृश्ट लोगो को षायद वे साठ साल का समय भी दे। मुझे पता नहीं है। ये पूरी तरह, अेकदम से, (सिर्फ प्रभु को ही पता) है। यहा आसपास पवित्र षक्तिषाली ताकत है। इतना हमे मालूम है : वहॉ पर समय है जिसमे षायद यीषु मिल सके, और वहॉ पर समय है जिसमे षायद न मिल सके। इस कारण मैं कहता हुँ, “अपने आपको तकलीफ दो, प्रभु को देखो जब षायद वे मिले...” गद्य जो मैने आपको सबूत के जौर पर दिखाया है वो बताता है की लोग प्रयत्न कर रहे थे (अंदर) यीषु के पास प्रवेष करने का, परत्नु यीषुने तब निकाल दिया। एक चीज द्वार बंद कर देती है, हमे पता है, और हमेंषा के लिये वो बंद कर दिया जाता है। अगर मृत्यु हमे यीषु के पहले मिल जाती है तो वहॉ पर कभी भी दूसरा मौका हमारे (लिये) नहीं होगा ... हमे पता है तब द्वार बंद है। (परन्तु) हमारे तारणहार हमे किस्सा बताते है जब वे उस समय (मृत्युके) पहले बंद किया जाता है। वे कहते है की अगर कोई परमेष्वर की निंदा करता है तो पवित्र आत्मा के विरूध्द उसने अनन्त पाप किया है जो कभी भी माफ नहीं कर सकते, ना तो इस जीवन में या तो आनेवाले जीवन मे, इस का मतलब ये है की लोग जब तक जींदा है, उन्हे षायद द्वार बंद मिले (उनके षरीर के मरने से) पहले, और वह बंद होना हमेषा का है, और वे षायद उसके बाद लंबे अरसे तक जीये, द्वार बंद है, और उनके लिये हंमेषा के लिये बंद रहेगा। जल्दी से उठना, देर तक बैठना, दिन और रात खटखटाना, यीषु की तरह रोना, फिर उन्हे प्रायि९चत के लिये कोई जगह नहीं मिलती (बी. एच. केरोल, डी. डी., चार सुसमाचार, बेकर बुक घर, 1976 मे फिर से छापा गया, भाग प्, पी.पृश्ठ. 131-135; लूका 13:24-25 पर टीप्पणी)।
ओह, कितने बार बाइबल लंबे समय तक राह देखने वालो का दृश्टांत देता है- और प्रभुने द्वार बंद किया - और वे कभी भी बचाये नहीं गये। लंबा जीवन जीने के बावजुद भी बाद मे प्रभु ने उनको छोड़ दिया। बाइबल में हम एक के बाद एक किस्से पढ़ते है। मैं आज रात उनमेसे कुछ ही दे सकता हुँ।
कैन अपने भाई हाबिल से जलता था, क्योंकि प्रभुने हाबिल का खून समर्पण स्वीकार किया था, परन्तु के की सब्जीयों का अस्वीकार। कैन बहुत गुस्सा हुआ। प्रभुने उससे कहॉ “यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी?” (उत्पति 4:7)। परन्तु कैनने मना कर दिया पछतावा करने से और प्रभु के पास रक्त से आया। कैन के लीये समय बीत चूका था। उस दिन, और उस घंटे पर, प्रभुने कैन को छोड दिया। उसका दिमाग फिर गया, और उसने हाबिल का खून किया। कैन बरसो तक जीया, परन्तु उसके बचाने के लिये बहुत देर हो चूकी थी। प्रभु ने उसे छोड़ दिया था! उसने न माफ करनेवाला पाप किया था!
“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करो, क्योंकि मैं तुम से कहता हूॅ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे” (लूका 13:24)
नूहा के दिनोमें, प्रभुने कहॉ,
“मेरा आत्मा मनुश्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा, क्योंकि मनुश्य भी षरीर ही है, उसकी आयु एक सौ बीस वर्श की होगी” (उत्पति 6:3)।
दिन बीतने लगे। तारीखो की सुची के पन्ने फाडे और फेंके गये। कई दषक बीत गये-परन्तु लोगोने ना तो प९चाताप किया और न तो प्रभु को ढुंढा। साल बीतने लगे। आखिरकार, आखरी साल का आखरी दिन, उस 120 सालो का आया। नूह ने उन्हे लंबा और कडक प्रवचन दिया था। आने वाले दण्ड के बारे में - परन्तु वे जींदगी के साथ ऐसे ही चलते रहे, जैसे वे कोई भी खतरे में नही है, “खाना और पीना”, कीसी भी डर के बिना, “जिस दिन तक की नूह जहाज पर न चढ़ा” (मती 24:38)। उस षब्दो पर ध्यान दिजिये!- “जिस दिन तक की नूह जहाज पर न चढ़ा”! उस दिन, “तब यहोवा ने जहाज का द्वार बंद कर दिया” (उत्पति 7:16)। फिर, उस दिन, वे जागे और अंदर प्रवेष करने का प्रयत्न किया- परन्तु बहुत देर हो चूकी थी! प्रभु ने उन्हे छोड़ दिया था। उन्होने माफ न करनेवाला पाप किया था! व ेजल प्रलय आने के सात दिन पहले तक जीये (उत्पति 7:10), परन्तु उनके लिये जहाज मे प्रवेष करने के लिये बहुत देर हो चूकी थी-उन्हे बचाये जाने के लिये बहुत देर हो चूकी थी! मैं उन्हे अपने विचारों मे देख सकता हूँ, खरोचतें हुए और नोचंते हुए और चिल्लाते हुए प्रभु के लिये की वे उन्हे अंदर ले- परन्तु बहुत देर हो चूकी थी! जल प्रलय मे सब बह गये। प्रभु नीचे लाये “भक्तिहीन संसार पर महा जल-प्रलय भेजा” (प्प्ण् पतरस 2:5)। बहुत देरी! ब्हुत देरी! वे बजाते रहे, और भीगे और धर्म पर खेलते रहे-तब तक जब “घर का स्वामी (उठा) और... द्वार बन्द कर चूका था” (लूका 13:25)।
“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करोः क्योंकि, मैं तुम से कहता हूॅ की बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे। जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चूका हो, और तुम बाहर खडे़ हुए द्वार खटखटाकर कहने लगे हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे, और वह उत्तर दे, मैं तुम्हे नहीं जानता, तुम कहॉ के हो (लूका 13:24-25)।”
एसाव “एक बार के भोजन के बदले अपने पहिलौठे हाने का पद बेच डाला” अपने भाई को (इब्रानियो 12:16)। उसने कहॉ, “पहिलौठे के इस अधिकार से मेरा क्या लाभ होगा?” (उत्पत्ति 25:32)। “और उसने खाया और पीया, और उठकर चला गयाः यो एसावने अपना पहिलौठे का अधिकार तुच्छ जाना” (उत्पत्ति 25:34)। कितने ही साल जल्दीसे बीत गये। आखिरकार एसाव ने देखा की उनके पहिलौठे के अधिकार जरूरी थे। परन्तु अब बहुत देर हो चूकी थी। उसने माफ न करने वाला पाप चालीस साल पहले किया था! अब वो चिल्लाया और रोया-परन्तु अब तक बहुत देर हो चूकी थी!
“तुम जानते हो कि बाद, मे जब उसने आषिश पानी चाही, तो अयोग्य गिना गयाः और आँसू बहा बहाकर खोजने पर भी मन फिराव का अवसर उसे न मिला” (इब्रानियो 12:17)।
एसाव के लिये अब बहुत देर हो चूकी थी-हमेषा के लिये! और प्रभुने कहॉ,
“मैं ने याकूब से प्रेम किया, परन्तु एसाव को अप्रिय जाना” (रोमियो 9:13)।
“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करोः क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे और न कर सकेंगे जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चूका हो, और तुम बाहर खड़े हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे और वह उत्तर दे मैं तुम्हे नहीं जानता तुम कहॉ के हो” (लूका 13:24-25)।
मूझे याद नहीं है मैने ये कहानी कहॉ पढ़ी थी। ये जोन आर. राइसके किसी एक किताब में है। मैने वह लिख लिया था, परन्तु मुझे याद नही मैंने वो कहॉ पढ़ा था। मैं आपको दे रहा हूॅ जैसा मैंने बरसो पहले लिखा था।
डो. राइसने एक बार एक आदमी के लिये कहॉ जो उनके प्रवचन सुनने कई रातो तक सुसमाचार प्रचार की सभा में आता था। वह आदमी पीछे बैठा और हँसा और धार्मिक प्रवचन के बाद मज़ाक उडाई। फिर सुसमाचार प्रवक्ता चले गये और सभा पूरी हुई। कई साल बीत गये परन्तु वह आदमी कभी बचाया नहीं गया।
एक रात डो. राइसने अपनी बहन के साथ फोन पर बात की। उसने कहॉ, “जोन, तुम्हे याद है श्रीमान (कोई और कोई)?” उन्होंने कहॉ, “हा! मुझे याद है की वे सभा मे आये थे, परन्तु वे बचाये नहीं गये थे। उसने मज़ाक किया और उपहास किया और धार्मिक प्रवचन पर हँसे”।
फिर डो. राइस की बहनने उन्हे उस आदमी का क्या हुआ वो कहॉ। उन्हे पेंट की बिमारी हुई थी और वे उन्हे डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टरने कहॉ, “अब बहुत देर हो चूकी है। मैं अब कुछ नहीं कर सकता हूॅ। घर जाओ और अपनी वसियत लिख दो। आप ज्यादा दिन जियेंगे नहीं।”
डल्लासमें तब सख्त गर्मी चल रही थी। ये वातानुकुलित होने के पहले की बात थी। उन्होने खीडकियां खुल्ली रखी थी ताकि थोडी हवा अंदर आये। वो आदमी हफतो तक अपने घर में मरने के लिये पडा रहा। कोई उसे आराम नहीं दे सके। उन्होने बप्तीस प्रवचनकार को उसके पास भेजा, परन्तु वो भी उस आदमी को यीषु तक नहीं ले जा सके। मरता हुआ आदमी बोलता रहा बहुत देर हो चूकी है, उसने बहुत देर तक राह देखी। वे कहते है आप डल्लास में गर्म की रातो मे उस आदमी को बचाने के लिये चिल्लाते हुए सून सकते हो। वो कहते है आप उसे चिखते हुए सून सकते हो, “ओह प्रभु, मुझे ज्यादा समय की जरूरत है! ओह प्रभु, मैं मरने के लिये तैयार नहीं हुॅ! ओह प्रभु, मै मरने के लिये तैयार नही हुँ! मैं मरने के लिये तैयार नहीं हुॅ! मैं मरने के लिये तैयार नहीं हुं!” अब बहुत देर हो चूकी थी। उसने माफ न होनेवाला पाप किया था। वह वैसे ही मरा, चिखता हुआ, “ओह, प्रभु, मैं मरने के लिये तैयार नहीं हुँ!”
“सकेत द्वार से प्रवेष करने का यत्न करोः क्योंकि मैं तुमसे कहता हूॅ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे। जब घर का स्वामी उठकर द्वार बन्द कर चुका हो, और तुम बाहर खड़े हुए द्वार खटखटाकर कहने लगो, हे प्रभु, हमारे लिये खोल दे, और वह उत्तर दे मैं तुम्हे नहीं जानता तुम कहॉ के हो” (लूका 13:24-25)।
राह मत देखिये! अब हकिकत को ओर समय के लिये मुलत्वी मत रखे! यीषु आप के पापो का पूरा दण्ड चूकाने क्रुस पर मरे। उसके पास आओ और वे अपने लहू से आपके पापो को साफ करेंगे, और अपनी अच्छाई से आपको कपडे पहनायेंगे। “जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज मे रहो; जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो” (यषायाह 55:6)। अभी “अंदर प्रवेष करने का प्रष्त्न करो” यीषु के पास, जब वे निकट है- मुक्ति के द्वार आपके लिये हंमेषा के लिये बन्द होने से पहले! डो.राइसने कहॉ,
आप रूके और विलंब किया अभी तक तारणहार को मना करके,
उनकी सारी चेतावनी कितनी धीरजवाली, उसकी सारी बिनती कितनी दयावाली;
इसलिये तुमने खराब फल खाया, तुमने ष्ौतान के वचन को माना;
इसलिये तुम्हारा मन कडक हो गया है? पापोंने तुम्हारे दिलाग पर अंधेरा कर दिया है।
फिर कितना दुःख भरा है, दण्ड का सामना, आप बिना दया के बुलाये जाओगे
की आप आत्माके चले जाने तक आप विलंब और आलस करते रहे;
क्या धिक्कार और मातम है, अगर जब मृत्यु आपको आषारहित पायेगी,
आपने आलस और विलंब किया और बहुत देर तक राह देखी।
(“अगर आप देर तक आलस करोगे” डो. जोन आर. राईस, द्वारा 1895-1980)
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल.चान द्वारा पढ़ा गया पवित्र वाक्याः
लूका 13:24-28।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन कीनकेड ग्रिफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
“अगर आप देर तक आलस करेंगे” (डो. जोन आर.राइस द्वारा 1895-1980)।
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