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यह भटकती हुई पीढ़ीTHIS WANDERING GENERATION डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा लोस एंजीलस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की शाम, 5 सीतंबर 2004 ‘‘परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके, इन वचनों को अंत समय तक के लिये बंद रख : बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँंढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ भी जाएगा'' (दानिय्येल 12:4)। |
मैंने अपने कलीसिया में यह धार्मिक प्रवचन बहुत बार दिया है। मैं मानता हूँ ‘‘यह भटकती हुई पीढी'' एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रवचन है, मैंने कभी भी जो प्रवचन दिये हो उनमें से, और मैं चाहता हूँ की आप आज शाम इसे ध्यान से सुने।
पाठ कहता है,
‘‘परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके, इन वचनों को अंत समय तक के लिये बंद रख ... '' (दानिय्येल 12:4)।
इस पद का पूरा अर्थ ‘‘अंत समय'' तक समझ में नहीं आया था। ये शायद ‘‘मुहर करके'' या अंत समय तक गुप्त था। ध्यान दीजिये कि दानिय्येल स्वयं भी पूरी तरह नहीं समझे थे वो भविष्यवाणी जो उन्हें बतायी गई थी :
‘‘यह बात मैं सुनता तो था परंतु कुछ न समझा। तब मैंने कहा, हे मेरे प्रभु, इन बातों का अंत फल क्या होगा? उसने कहा, हे दानिय्येल चला जा; क्योंकि ये बातें अंत समय के लिये बंद है और इन पर मुहर दी हुई है” (दानिय्येल 12:8-9)।
सिर्फ बीसवी सदी में ही इस वचनों की भविष्यवाणी का अर्थ स्पष्ट होना शुरू हुआ। डो. डब्ल्यु. ए. क्रीसवेल ने कहा कि दानिय्येल 12:4 हमें कहता है ‘‘विस्मित गतिशीलता और आवष्यकता की बढती हुई जानकारी है पीछले दिनों की पूर्वसूचना” (क्रीसवेल स्टडी बाइबल, दानिय्येल 12:4 पर टीप्पणी)।
‘‘परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके, इन वचनों को अंत समय तक के लिये बंद रख : बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँंढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ भी जाएगा'' (दानिय्येल 12:4)।
आज लोग बाइबल की भविष्यवाणी मे बहुत दिलचस्पी रखते है मध्यपूर्व में, जो भी घटनायें हो रही है उसके कारण और आतंकवाद जो हम देखते है दुनिया के कई भागों में और घटनाये जो इस्त्राएल में हो रही है। पर्यावरण और अधिक जनसंख्या की समस्या और बडी सामाजिक और मानसिक समस्याए जिसका मानवजाति सामना करती है उसके कारण भी बहुत से लोग बाइबल की भविष्यवाणी की ओर फिरे जवाब के लिये। लोग हमेंशा पूछते है, ‘‘क्या बाइबल के पास है कुछ करने को उस घटना के बारे में जो मैंने समाचारपत्र में पढी है?'' मैंने यह स्वीकार कर लिया कि अगर मैं बाइबल में विश्वास नहीं करूंगा तो मैं जो दुनिया में हो रहा है उसके द्वारा मनसे बहुत दूर जाऊंगा और डर भी जाउंगा। हमें जानना जरूरी है भविष्यवाणी के बारे में बाइबल क्या कहता है भविष्य में क्या होनेवाला है उसके बारे में बाइबल क्या कहता है?
I. पहला, बाइबल बहुत से चिन्ह देता है कि हम अब जी रहे है ‘‘अंत के समय में'', दानिय्येल 12:4 में कहा गया है।
हमारा पाठ कहता है,
‘‘परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके, इन वचनों को अंत समय तक के लिये बंद रख... '' (दानिय्येल 12:4)।
मैं मानता हू कि हम अभी है, “अंत के समय” में। हर चिन्ह बताता है कि जैसे हम जानते है हम संसार के अंत के बहुत करीब जी रहे है।
पहला, वहाँ पर प्राकृतिक चिन्ह है कि अंत करीब है। यीशु ने भविष्यवाणी की
‘‘बडे भूकम्प ... जगह जगह अकाल, और महामारियाँ पडेगी; और आकाश से भयंकर ... पृथ्वी पर देश - देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरो के कोलाहल से घबरा जाएंगे, भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाट देखते - देखते लोगो के जी में जी न रहेगा'' (लूका 21:11, 25-26)।
यीशु ने कहा है कि लोगो के मन बेहोश हो जाएंगे जब वे देखेंगे कि क्या हो रहा है ‘‘पृथ्वी पर''। उन्होंने कहा वहाँ पर बड़ा डर होगा मानवजाति को बड़ी प्राकृतिक समस्या का सामना करने के कारण!
दूसरा, मसीहने कहा की जातिवाद का कलह, चिन्ह होगा की अंत करीब है।
‘‘तब उसने उनसे कहा जाति पर जाति (‘एथनोस' या ‘जातिसंबंधी समुदाय') और राज्य पर राज्य (जाति संबंधी समुदाय) चढाई करेगा (‘बेसीलीयन' या राष्ट्रीय समुदाय)'' (लूका 21:10)।
जाति संबंधी समुदाय के विरूद्ध जाति संबंधी समुदाय राष्ट्रीय समुदाय, के विरूद्ध राष्ट्रीय समुदाय - क्या ये वो नहीं है जो आज हम देखते है? हमारी पूरी मानवीय इच्छाओं, पद्धति और विज्ञान के साथ हमें नहीं लगता की जातिय कलह रोक सकता है जातियों के बीच और राष्ट्र के बीच युद्ध।
तृतीय स्थान में, बाइबल हमे कहता है कि अंत के समय में पृथ्वी के लिए इस्त्राएल बडी समस्या होगा। प्रभु ने कहा :
‘‘मैं यरूशलेम को भारी पत्थर बनाउंगा कि जो उसको उठाएँगे वे बहुत ही घायल होंगे'' (जकर्याह 12:3)।
सच्चे मसीही को जरूरत है इन दिनों में इस्त्राएल के लिये खडे रहने की। परंतु बाइबल पूर्व सूचना देता है कि अंत के समय पृथ्वी के राष्ट्र इस्त्राएल के विरूद्ध होंगे। इस्त्राएल पर चिंता का बढना चिन्ह है कि हम अंत के दिनों में है।
चौथे स्थान में, बाइबल हमें कहता है कि मसीही के विरूद्ध विद्रोह में बढोतरी चिन्ह है अंत का। यीशु ने कहा,
‘‘तुम्हें पकडेंगे, और सताएंगे, पंचायतो में सौपंगे ... बन्दीगृह में डलवाएँगे'' (लूका 21:12)।
यह ही हो रहा है अभी प्रजासताक चीन के लोगो में, सुदान में, इन्डोनेशिया में, मध्य पूर्वीय देशो में, और पृथ्वी के और दूसरे भागो में। मैं मानता हूँ कि मसीही का भयानक विद्रोह, जो हम गवाही दे रहे है पूरे संसार भर में, वो चिन्ह है कि अंत करीब है।
पांचवे स्थान पर, वहाँ पर चिन्ह है धार्मिक स्वधर्म त्याग का, बाइबल कहता है :
‘‘किसी रीति से किसी के धोखे में न आना : क्योंकि वह दिन न आएगा जब तक धर्म का त्याग (स्वधर्म त्याग) न हो ले ... (2 थिस्सलुनीकियों 2:3)।
जब सेंकडो हजारो लोग कलीसिया में भरे जाते है, चीन, आफ्रिका और विश्व के दूसरे भागों में, वहाँ पर, वही समय, बड़ी गिरावट, बडा स्वधर्म त्याग हो रहा है सच्चे मसीही से इस पश्चिमी विश्व में। जैसे हम जानते है ये भी चिन्ह दिखाता है कि हम संसार के अंत और यीशु मसीह के दोबारा आने के बहुत करीब जी रहे है।
सारे मुख्य चिन्ह जगह पर है। बाइबल की भविष्यवाणी सच हुई है। इसीलिये मैं स्वीकार करता हू कि हम अंत के समय में जी रहे है, दानिय्येल 12:4 में कहा गया है।
II. दूसरा, पाठ हमें कहता है कि ज्ञान और सफर बढेंगे अंत के समय में।
‘‘परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके, इन वचनों को अंत समय तक के लिये बंद रख : बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँंढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ भी जाएगा'' (दानिय्येल 12:4)।
पीछले 150 सालो में मनुष्य के ज्ञान में बढोतरी ने संभव किया है मनुष्य कि गतिशीलता और सफर में बडी बढोतरी। भविष्यवक्ता दानिय्येल ने कभी भी घोडे भागने से ज्यादा तेज सफर नहीं किया, ज्या से ज्यादा घंटे में 15 माइल। उनकी सबसे ज्यादा सामान्य रफतार एक आदमी के चलने के जितनी ही तेज थी। दानिय्येल के समय में कोई भी कभी भी 15 से 20 माइल घंटे की रफतार से ज्यादा तेज नहीं चला। परंतु भाफ से चलनेवाले इन्जन के आविष्कार के साथ और बीजली की शक्ति के साथ, मनुष्य रास्तों पर और नदीयो में 20 से 30 माइल प्रति घंटे की रफतार, से पहली बार गया। फिर हेन्री फोर्ड ने आंतरिक दाह इन्जन मशहूर किया, और 25 से 35 की रफतार और आविष्कार 70 माइल प्रति घंटे तक पहुंचा। आज यहाँ पर मोटरगाडीयाँ है जो 600 माइल प्रति घंटे की रफतार से चल सकते है। हवाई जहाज 2000 माइल प्रति घंटे और अवकाशयान 24000 माइल प्रति घंटे की रफतार स ेचल सकते है। आज जेट हवाई जहाज पूरे विश्व के चारो और 24 घंटे में चक्कर लगा सकता है। और अवकाशयान के मनुष्य पूरे विश्व का चक्कर 80 मीनीट में सरलता से लगा सकता है। और एक क्षण से भी कम समय में रेडियों संदेश संसार के एक छोर से दूसरे छोर तक जा सकता है। वे अब बात करते है भविष्य में मनुष्य के प्रकाश की गति से सफर करने की, या 7 1/2 बार विश्व के चक्कर सिर्फ एक क्षण में लगाने की। वो हो सकता है अगर गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध के उपकरण अच्छी तरह बन जाते है। इसके बारे में सोचिये!
डब्ल्यु इ. ब्लेकस्टोन, उनकी सर्वोत्तम किताब, यीशु आते है, मैं फिर से 1917 में यहा कहाः
अब हमें देखना है क्या प्रमाण है मानने के लिये कि उनका आना करीब है। बहुत से कारणो को मानने के लिये कि अंत करीब है जैसे हम जानते है कि ये करीब है, उन कारणो में से हम सात देंगे इस तरह। पहला, सफर और ज्ञान का बडा फैलाव।
यह, 1917 में फिर से लिखा गया था। फिर ब्लेकस्टोन ने दानिय्येल 12:4 का कथन किया। फिर उन्होंने कहा,
अभी के सालो की तूलना वर्तमान के साथ दिखाता है सबसे अद्भूत बढोतरी दोनो सफर और ज्ञान में।
उन्होंने आगे कहा,
इंग्लेंड में औरत की घटना बतायी जिसने बहुत लंबे विचार - विर्मश के बाद सफर करने का निश्चय किया। मित्र जमा हुए उनके सफर पर जाने के लिये मदद करने, और माइल या ज्यादा चले उसे रवानगी देने, एक बडी भीड जमा हुई उसे अभिवादन देने। फिर भी उसकी पूरी सफर सिर्फ पच्चास माइल की ही थी।
और वे सारे उसे अभिवादन देने आये, क्योंकि वे सारे जानते थे कि वे फिर कभी भी उसे नहीं देख सकेंगे। वो पच्चास माइल दूर जा रही थी। और आज भी अगर गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध शक्ति की खोज होती है, मनुष्य फिर प्रकाश की गति से सफर करेगा - या 7 1/2 चक्कर पृथ्वी की चारों ओर एक क्षण में।
और फिर ब्लेकस्टोनने ये कहा :
अब आविष्कार ने भाँफ का शक्तिशाली दबाव और बीजली को जोड दिया है महल का वाहन और समुद्र द्वारा ताकि कोई भी विश्व के चारो और जा सकता है आराम और सरलता से 60 दिनो में।
1917 में ब्लेकस्टोन को यह हैरतमंद लगता था। कुछ ही साल पहले कि, जुलेस वेरने ने लिखा उनकी मशहूर विज्ञान के कल्पना की नवलकथा, अराउन्ड ध वर्ल्ड इन एइटी डेझ। ये चलचित्र में चित्रित किया गया था, आप अब भी टेलीव्हीझन पर देख सकते हो, डेवीड नीवेश करे मुख्य नायक के रूप में। और जब जुलेस वेरने ने लिखा की, लोग हंस रहे थे उनके विचार, विश्व प्रदिक्षणा 80 दिनो में गुब्बारे में बैठ कर। आज, ये बहुत जुना और पूराने तरीके का लगता है, विश्व के आस पास 80 दिनो में जाने की बात करना, क्योंकि अब यह बहुत सामान्य है लोगो के लिये विश्व के चारो ओर सफर करना 20 घंटो में। और अवकाशयान में आदमी जा सकता है इससे भी बहुत तेजी से!
हमारा पाठ करता है,
‘‘परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके, इन वचनों को अंत समय तक के लिये बंद रख : बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँंढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ भी जाएगा'' (दानिय्येल 12:4)।
ये हुआ है 20 वी सदी में, मेरे मातापिता और दादा - दादी के जीवनकाल में। जब मेरे दादी पैदा हुए थे तब मोटरगाडी नहीं थी। मनुष्य ने अब तक हवाईजहाज का आविष्कार नहीं किया था। मेरे दादी को याद है पहले दो आदमी हवाइजहाज में उडे-वाइट भाई। और अभी वो जीवित है देखने के लिये आदमी अवकाशयान में विश्व की चारो ओर आकाशगंगा में। यह एक ही जीवन काल में है। सब जो वैज्ञानिक ज्ञान में बढोतरी, और गति और सफर है चिन्ह के कि हम अंत के तरफ जा रहे है जैसे हम ये जानते है।
डो. एम. आर. डेहान्न, अपनी किताब, द सायन्स अॉफ ध टाइम, में ये कहा :
दानिय्येल दो चिन्ह देते है अंत के समय का। वो ये है : (1) बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढे - ढाँढ करेंगे, और (2) ज्ञान बढना चाहिये। मैं इन दोनो को कहता हूं सफर चिन्ह और साक्षरता चिन्ह। अंत का समय चित्रित किया जाएगा बिना द्रष्टांत के सफर से बढोतरी और साक्षरता की प्रगति में अब तक बिना ख्वाब के, विज्ञान का आविष्कार। दानिय्येल कहता है, ‘‘ बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँढ करेंगे।” उन्होनें भविष्यवाणी कि यह युग होगा बिना द्रष्टांत के सफर करने का। ये उस पंछी की तरह पढना होगा ऐसे वचन जो 2500 साल पहले लिखे गये थे भविष्यवक्ता दानिय्येल के वचनों में। फिर भी यह पूरी तरह से अपने आज के आधुनिक युग का वर्णन करता है। संसार डूब गया है। यह युग है गति और सफर का। पहले आया भाफ का इन्जन और फिर बिजली। पहले आयी रेलगाडी, फिर डीझल, मोटरगाडी, तेज जहाज, हवाईजहाज अवकाशयान के अनुकरण द्वारा। एक व्यक्ति सरलता से इस वचनों को अनदेखा नहीं कर सकता कि, ‘‘बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँंढ करेंगे''।
परंतु चलिये दानिय्येल की भविष्यवाण्ी और उसकी परिपूर्णता में गहरे जाये, जो आज हम विश्व में देखते है।
III. तीसरे स्थान पर, पाठ हमें कहता है मनुष्य जाति की बेचैनी अंत के समय में।
‘‘परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके, इन वचनों को अंत समय तक के लिये बंद रख : बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँंढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ भी जाएगा'' (दानिय्येल 12:4)।
अपने आपसे पूछीये, क्यों लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँढ करते है? क्यों आज इतना सफर होता है? में सोचता हूँ एक कारण ये है कि लोग ले जाये जाते है, वहां पर कुछ है उनके मनमें जो उन्हें ले जाता है इस प्रकार निरंतर घुमने और बदलने के लिये।
याद रखिये केन ने क्या कहा उत्पति की किताब में :
‘‘देख, तू ने आज के दिन मुझे भूमि पर से निकाला है और मैं तेरी द्रष्टि की आड में रहूंगा, और पृथ्वी पर भटकनेवाला और भगोडा रहूंगा'' (उत्पति 4:14)।
केन ने पाप किया। उसने अपने भाई को मार डाला। इस पाप के परिणाम स्वरूप वो ले जाया गया भटकनेवाले की तरह पृथ्वी पर, निरंतर सफर करता हुआ, कभी भी एक जगह रहकर संतुष्टी न पानेवाला।
मैं स्वीकार कर चूका हूं कि लोगो का आज इतना गतिमान होने का मुख्य कारण है क्योंकि वे पाप द्वारा ले जाये जाते है। लोगो का अमरिका आने का मुख्य कारण है पाप, लालसा का पाप। लोग अमरिका अच्छे मसीही बनने नहीं आते है। वे आते है लालच के कारण, लालसा के कारण, ज्यादा पैसा बनाने। इसी कारण ये वास्तविकता से असंभव है चीनी बदली के विद्यार्थीयों को सच्चे मसीही बनना। चीन में आधुनिक इतिहास की बडी पुनःजीवंत मसीहीता जगह ले रही है। परंतु जब वो चीनी विद्यार्थी यहाँ आते है वे सिर्फ ज्यादा पैसा बनाने की दिलचस्पी से आते है। उन्हें हफते के अंत में लास वेगास भागना होता है - पैसे के लिये जुआं खेलने। उन्हें कलीसिया में जाने के बजाय काम करना होता है - ज्यादा से ज्यादा पैसा बनाने। पैसा उनका परमेश्वर बन जाता है - वैसे ही जैसे ये अमरिका के लोगो का परमेश्वर बन चूका है।
स्पेनीश बोलने वाले लोग निरंत गतिशील रहते है, निरंत बदलते। ये उनके बच्चे को नष्ट करता है और उनको भी नष्ट करता हैं। एक जगह पर रहो! यहाँ हमारे साथ रहो!
ए. डब्ल्यु डोझरने सच्चे मसीही जो हमारे पास एक बार अमरिका में थे उनके बारे में कहा :
प्रबल पुराना छोटा याजक जिसने अपनी पूरी जींदगी वही देश में बिताई जहाँ वो जन्मा, चला, और सदा के लिये रहा। वो वहाँ स्थायी था आधुनिक घुमानेवालो के दिनों के पहले से ... उसका मुख्य दोष यह था कि ... उसे बदलाव और आराम की जरूरत थी ... परंतु स्वस्थता और दीर्घायु के इस अद्भूत इलाज के बारे में उसने नहीं सुना था, उसने अपनी नाक परेशानी में रखी, दस स्वस्थ बच्चों को बडा किया अपने स्वयं के खेत में काम किया, और महीने में एक या दो अच्छी किताबें पढने का भी प्रयोजन किया ... वो अभी भी अखरोट के वृक्ष की गिलहरी को सौ गज की दूरी से मार सकता था बिना चश्मे के और अपनी सतांशी वर्ष की उम्र में यहाँ वहाँ कई बार दोडता भी था। जब वो मरा, उसके परिवार द्वारा शुद्ध मन से मातम किया गया और सच्चे पडोशी के यजमान जिसने सीखा था उनकी शुद्ध बढावा देना, जीवनभर उनके पडोश में रहने। कैसे कोई भी दावा कर सकता है कि उनका पौत्र, जो अपना घर बदलता है हर दो सालो में और अपनी गर्मीया बिताता है चिल्लाते हुए नयन गोचर जगह के सुगंधित बादलों में, उसका मानवीय चरित्र क्या ज्ञान के समान है (ए. डब्ल्यु टोझर, ‘‘मीड समर मेडनेस'', गोड टेल्स ध मेन हुं केर्स, क्रीस्टीयन प्रकाशन, 1970 की प्रत, पृष्ठ. 127)।
पूरे अमरिका में लोग क्यों इतना घूमते है? क्यों वे अपना कलीसिया छाडते है और राष्ट्रभर में घूमते है। ये ज्यादातर हमेशा होता है क्योंकि वे लालचु है, ज्यादा और ज्यादा पैसो के लिये। मैं बीली ग्रेहाम से असहमत हूं बहुत सी चीजों पर परंतु मैं उनके साथ पूरी तरह सहमत हूं जब उन्होंने कहा कि अमरिका का सबसे बडा पाप है लालच का पाप, ज्यादा और ज्यादा और ज्यादा पैसो के लिये लालच।
युवा लोग सारे सदा चलना और बदलना और ज्यादा पैसो की इच्छा ने युवा पीढी को नुकसान पहुंचाया हैं आपके माता पिता ने आपको निकम्मा किया, आप की शाला के बाहर और आपको आपके मित्रो से दूर खींचकर ले गये और इसके परिणाम स्वरूप आप अकेले हो। यह बडी दुर्धटना है। अमरिका में ज्यादातर युवा लोगो को भयानक अकेलापन हैं। आप के पास स्थिर घर और सच्चे मित्र नहीं हो सकते अगर आप निरंतर चलते (घुमते) रहोगे।
उन्हें कहने मत दिजीये आपको कही ओर जाने महाविद्यालय के लिये। वहाँ पर पंद्रह या बीस महाविद्यालय और विश्वविद्यालय है कलीसिया से थोडे ही दूरी पर जहाँ आप गाडी चलाके जा सकते हो। आप यही रहो और शाला में जाओं! यहीं इसी कलीसिया में रहो और यहीं मित्र बनाओ! अकेले क्यों रहे? घर आइये - कलीसिया में! सबसे महत्वपूर्ण चीज जो आप कर सकते हो वो है सच्ची मसीही बनना - और यहाँ बप्तीस कलीसिया में रहो और हमें सहाय करो लोस एंजलिस पर हकारात्मक प्रभाव करने! दूर मत जाओ। वो आपको सिर्फ अकेला कर देगा - फिर से। अकेले क्यों रहें? घर आइये - कलीसिया में और यहाँ रहीये!
अगर आप अपना कलीसिया छोडेंगे, आप अपनी जड़े छोड देंगे। आप सबकुछ छोड दो जो हकीकत में आपके जीवन में महत्व रखता है। वही तो केन ने किया। और इसने उसका और उसके बच्चों का जीवन नष्ट कर दिया। वे मूर्तिपूजक बन गये - विश्व के पहले मूर्तिपूजक - क्योंकि केन प्रभु की उपस्थिति से दूर चले गये नोद के देश में रहने। डो. डेहान्न कहते गये :
नोद के देश का अर्थ, मूलार्थ है ‘‘भटकनेवाला देश''। ये वही है जो इब्रानियों शब्द का अर्थ है, “भटकने वाला देश”। ये लागु होता है जगह से जगह सफर करना। परंपरा जिक्र करती है कि केन बाहर गया भारत और चीन और दूसरी दूर स्थित घरती पर ... सामान्य भाषांतर यह है कि केन ने कुछ अंतर सफर किया उनके घर से। यह संकेत करता है व्याकुलता, बेचैनी।
चलना, चलना, चलना। वही है जो लोगो ने किया केन के समय में, बडे जलप्रलय से पहले के दिनो में। और मसीह ने हमें कहा कि केन के संतान की कृति, जलप्रलय के पहले आखरी दिनो में लोगो को निर्धारित करेगा। उसने कहा,
‘‘जैसे नूह (नोह) के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा'' (मती 24:37)।
और यहीं तरीका है आज। लोग निरंतर ही चलते रहते है, वैसे ही जैसे उन्होेंने जलप्रलय के पहले के दिनों में किया। लोग आज भी वो ही कर रहे है।
‘‘बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँढ करेंगे और इस से ज्ञान बढ भी जाएगा'' (दानिय्येल 12:4)।
लोग इतना क्यों चलते (घुमते) है? मैंने पहले ही कहा है कि इन में से ज्यादातर लालच के कारण आते है, ज्यादा और ज्यादा धन की लालच में। बाइबल कहता है :
‘‘पर यह स्मरण रख कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएँगें। क्योंकि मनुष्य स्वार्थी, लोभी, डींगमार ... '' (2 तीमुथियुस 3:1-2)।
आखरी दिनो में लोग अक्षरश : ‘‘धन-प्रेमी'' और ‘‘स्वप्रेमी'' है-वो शब्दानुसार ग्रीक है। और मैंने कहा है कि चलने की निरंतर इच्छा आमतौर पर कोई एक या दूसरी चीज की लालच पर आधारित है। लोग कहते है, ‘‘मैं नौकरी ले सकता हूं और इस कलीसिया में भी रह सकता हूं, परंतु मैं थोडे ज्यादा पैसे बनाउँगा अगर मैं वहाँ चला गया।'' वे कहते है, ‘‘मैं इस शाला में जा सकता हूं, ये बहुत अच्छी है। परंतु मैं अगर उस शाला में गया तो भविष्य में और ज्यादा पैसे बना सकुंगा - वहाँ पर।” इस लिये आपके पास है ये अनात्मवादी - लालची और स्वर्थी पीढी का निरंतर भटकना और चलना (घूमना)।
अब यीशु के पास इसके बारे में कहने को कुछ है। यीशु ने कहां :
‘‘इस लिये पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी'' (मती 6:33)।
यही तो श्रीमान मेन्सीया ने किया। वही श्रीमान ग्रीफिथने किया। वहीं डो. चानने किया। वही डो. केगनने किया। वही श्रीमती सेलझार और डो. जुडीथ केगनने किया। वहीं मेरी पत्नी ने किया। हमारे कलीसिया के सारे आगेवानोने प्रभु के साम्राजय को पहले रखा। देखिये उनका परिवार कितना सामान्य और खुश है! और मैं चाहता हूँ यही आप भी करो। भाग कर कहीं ओर मत जाओं। यही रहो और पहले प्रभु के साम्राज्य को देखो। जैसे श्रीमान ग्रीफिथ ने कुछ क्षण पहले गाया था :
मन जो संतुष्ठ है, संतुष्ठ दिमाग,
ये खजाने का धन खरीद नहीं सकते।
अगर आपके पास यीशु है,
तो आपकी आत्मा में ज्यादा संपति है।
कई बीधा हीरे और सोने के पहाडो से ज्यादा।
मैं यहाँ लोस एंजलिस के छोटे शहर में साठ वर्षो से हुं। करीबन मेरी पैतालीस वर्षो की सेवा यहाँ लोस एंजलिस के गाव में ही हुई है, पहले सफेद कलीसिया में, और फिर चीनी कलीसिया में और फिर इस कलीसिया में। मुझे कई बार लोस एंजलिस को छोडना था। परंतु प्रभु को चाहिये था की मैं यहीं रहुं। वहाँ पर कई बार ऐसा था कि यहाँ पर रहना अत्यंत कठीन था, कई बार आर्थिक परेशानी और भावनात्मक परेशानी। परंतु, मैंने पाया की यह ज्यादा महत्वपूर्ण है प्रभु की अच्छा में रहना बजाय दूसरी ‘‘बहेतर'' जगह में। सी. टी. स्टड, चीन और आफ्रिका के बडे धर्मप्रचारक ने कहा, ‘‘सबसे सुरक्षित जगह है प्रभु की इच्छा के केन्द्र में रहना''। ओर मैं उनसे सहमत हूं।
अब वो सभी जो शाला में गये इस शहर से बाहर। मेरा परिवार मरा या चला गया। उनमें से हर एक लोग लोस एंजलिस से चले गये। यहाँ पर पहले बहुत थे। अब मेरे दो बेटे और पत्नी के सिवा, सिर्फ मैं ही एक आदमी बचा हूं लोस एंजलिस में जिसका नाम हायर्मस है। मेरी पीढी में सिर्फ मैं ही रह गया हूं इस शहर में जहाँ पहले डझनो थे। परंतु जो चले गये और जिन्होंने छोड दिया उन्हें बहेतर जीवन नहीं मिला और उन्हें जिसकी तलाश थी वो नहीं मिला। और मेरे पास सब है भरा हुआ और धनवान और बहेतर जीवन उनसे जो भाग गये और शहर छोड दिया। शहर में ही रहो। और मैं सोचता हूं कि वही संदेश है जो याजको को प्रवचन देना चाहिये अमरिका के एक छोर से दूसरे छोर तक हमारे बडे शहरो में। इस शहर में रहीये! स्थानीय कलीसिया में रहीये! वहाँ पर बाहर कुछ भी नहीं है!
कुछ प्रवक्ताओं को घर आने का दिन होता है, जहाँ�हर कोई लौटकर आता है जिसने कलीसिया छोड दिया है। मैंने सुना है कि कुछ कलीसिया में जहाँ उनके पास घर आने का दिन है और हर कोई कलीसिया में लौट कर आता है। मैं नहीं सोचता कि ये होना उनके लिये उचित है। मैं घर आने का दिन नहीं रखुंगा उनके लिये जिसने आंतरिक शहर और उनके कलीसिया को छोडा है। उनके लिये क्या उचित है ‘‘घर पर रहने'' का दिन उन दिनों के लिये जो वे रह रहे थे। ‘‘घर रहने का'' दिन हो और जो छोडते है, उनका सन्मान कभी मत करो। कभी भी नहीं। कभी उनका जिर्क भी न करो सिवा स्कालवेजीस के।
आप क्या सोचते है हमारे कलीसिया को क्या हुआ है? अमरिका को क्या हुआ? श्वेत लोगो ने शहर छोड दिया। उन्होंने उनके कलीसिया छोड दिये। हमें उनके विरूद्ध प्रवचन करना ही चाहिये। वे अमरिका को करीबन मार ही देगा। हमारे राष्ट्र को कोई भी चीज ने नष्ट नहीं किया जितना श्वेत लोगो ने शहर छोडकर, उनका कलीसिया छोडकर, दूर भाग जाने से किया है। इसे कहते है ‘‘श्वेत लडाई''। और इसने अमरिका को नष्ट किया है! दूर भागना बंद किजीये। शहर में ही रहीये। यहां हमें प्रवचन देना जरूरी है। यह संदेश लोग पसंद नहीं करेंगे, परंतु शायद कोई करे। हमें क्या करना चाहिये, क्या वही प्रवचन दे जो लोग पसंद करते है? बहेतर है हम वो प्रवचन करें जिसको सुनने की लोगो dks जरूरत है!
अब सिर्फ मैं अकेला बच गया हूं, परंतु मेरे पास है ज्यादा भरी हुई और धनवान और बहेतर जींदगी, उनसे जो दूर भाग गये और शहर को छोड दिया। और मैं आपको भी वहीं चीज करने के लिये प्रोत्साहन देता हूं। समय के विरूद्ध जाओ। जडे़ नीचे रखो और वहाँ रहो जहाँ आप हो।
और फिर दूसरा कारण, जडवाद के अलावा, यह स्व-नियंत्रण का अभाव है। “बहुत भागेगे आगे और पीछे और ज्ञान बढेगा।” बाइबल ने कहा की यह पीढी ‘‘दया रहित, क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी'' (2 तीमुथियुस 3:3) होगी। ‘‘असंयत'' शब्द का अर्थ है वे अपने आपको नियंत्रित नहीं कर सकते। बहुत से लोग निरंतर चलते रहते है क्योंकि ये नियंत्रण नहीं कर सकते अपने आपको। खास करके हमारे स्पेनीश लोगो में। वे संभवतः एक जगह नहीं रह सकते। उन्हें हर तीन या चार महीनों में जाना ही है। यह तरीका नहीं है जीने का!
बदनसीबी से, वो बहुत अच्छा व्यकित था दूसरे सारे तरीको में, मेरे माता के पिता ऐसे थे, मेरे नानाजी। उन्हें सात बच्चे थे, उन में से हर एक संघ (युनीयन) के अलग अलग राजय में पैदा हुआ था। वो निरंतर घुमते रहते थे। मेरी माता का जन्म ओक्लोहाम में हुआ था। एक भाई नेवाग में जन्मा था। उनमें से दो पश्चिम केनेडा में जन्मे थे। चलना, चलना, चलना। कोई ताजुब्ब नहीं उनके पास जीवन के अंत में कुछ भी नहीं था। यह तरीका नहीं है जीवन जीने का! मैंने देखा है क्या हुआ था मेरी माता के परिवार और पिता के परिवार को उनका हर समय चलने के साथ, और मैंने निश्चय किया कि मैं अपने बच्चों को इस तरह बदलुंगा नहीं। एक रात मैंने उनकी गीनती की मेरी पत्नी के साथ हमारे सोने के कुछ समय पहले और मैंने शाला की गीनती की। मैं 28 विभिन्न शालाओं में गया था मेरे उच्च शाला से स्नातक होने से पहले। और बच्चा था तब मैं कुछ विभिन्न घरो में रहा था। और मैंने निश्चय किया जब मैं बडा हुआ मैं अपनी जडे नीचे डालनेवाला हुं और एक ही जगह रहूंगा। क्योंकि मैं नहीं देखता की लोग यह सब पूछ - पाछ से आगे बढते है। अगर आप यहाँ आ गये हो, फिर इसे अपना आखरी घूमना बना लो। अपने कदम नीचे डाल दो और कहा, ‘‘यहीं है। ये आखरी बार हैं में घूमा हूं।''
यह कहा जाता है कि अल्डोस हक्सली, आर्यलन्ड के डबलीन में ब्रीटीश परिषद की सभा में जाने के रास्ते पर थे। परंतु वे स्थानक पर देर से पहुंचे। जल्दी से वे एक वाहन मे कूदे जो दो घोडा द्वारा खींचा जा रहा था। उसने वाहन चालक से कहा, ‘‘घोडो को जल्दी से चलाओ''। वाहन चालक ने घोडो को मारा। और वे वाहन में दूर गये, सकडो पर झटके खाते हुए। कुछ देर बाद हक्सली वाहन चालक पर चिल्लाया, “क्या तुझे पता है तु कहाँ जा रहा है?” वाहन चालक ने जवाब दिया, ‘‘नहीं मुझे नहीं पता मैं कहाँ जा रहा हूं,-- परंतु मैं बहुत तेजी से वाहन चला रहा हुँ।” ऐसा ही है आधुनिक मनुष्य। “मुझे नहीं पता मैं कहाँ जा रहा हु, परंतु मैं बहुत तेजी से जा रहा हुँ।”
कोक्स की सेना में एक जवान जैसे ही वोशिंगटन की ओर चला, उसने उसका नियुक्त काम समझाने की कोशिष की यह कहते हुए, “हमें नहीं पता हमें क्या चाहिये, परंतु हमें वो बहुत बुरा चाहिये और हमें वो बहुत जल्द चाहिये।” और इसी तरह बहुत से युवा लोग आज है। “मुझे पता नहीं मुझे क्या चाहिये, परंतु मैं जितना जल्दी ले सकु उतना जल्दी मुझे चाहिये।” परंतु आप अपने जीवन में कहाँ जा रहे हो? आप जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी जा रहे हो, परंतु, कहाँ जा रहो हो? आप अपना जीवन तेज रास्तों पर रख रहे हो। परंतु आपका जीवन आपको कहां ले जा रहा है? अब से पच्चीस सालो के बाद आप कहाँ होंगे? अब से पचास सालो के बाद आप कहाँ होंगे? आप जितना हो सके तेज जाते हो, परंतु आप कहाँ जा रहे हो? अबसे सौ सालो के बाद आप कहाँ होंगे? आप अनंतता कहाँ बितायेंगे? आप जितना हो सके उतना जल्दी चलते हो, परंतु आप कहाँ जा रहे हो? क्या है जो आपको जीवन से चाहिये? आपको पता है, जीवन के बारे में बडा तत्वज्ञान संबंधी प्रश्न यह है : मैं कौन हूं? मैं यहाँ क्यों हुँ? और मैं कहाँ जा रहा हूँ? और अगर आप यह प्रश्नों का जवाब नहीं देते हो, मैं परवाह नहीं करता की आपको महाविद्यालय का कितना अभ्यास मिले, आखिरकार वो आपको कुछ भी अच्छा नहीं करेंगे। आप कौन हो? आप यहाँ क्यों हो? आप कहाँ जा रहे हो? आप अनंतता कहाँ बितायेंगे?
मैंने एक व्यक्ति से कुछ समय पहले बात की थी। उसने कहा, ‘‘इस कलीसिया में आने से पहले मुझे पता नहीं था मैं यहाँ क्युं थी।” उसने कहा, “मैं काम पर गई और मैं घर आयी। मैं बिस्तर पर सोने गई और मैं उठ गई। मैं काम पर गई। मैं घर आयी। मैं बिस्तर पर गई।” और मैंने अपने आपसे पूछा, ‘‘इसका तात्पर्य क्या है?” मैं यहाँ क्यों हुं? मैं कहाँ जा रही हूं? और उसने कहा, ‘‘जब मैं इस कलीसिया में आयी और तब मैंने मेरे जीवन का तात्पर्य पाया और मैंने जाना कि मैं यहाँ धरती पर क्यों हूं? यही है जिसकी आपको जरूरत है। क्यों अकेले और बिना कारण रहें? घर आइये - कलीसिया में।
एक दिन एक वृद्ध मसीही एक युवा व्यक्ति के साथ बैठा। ये युवा व्यक्ति ने सोचा वो जगह जगह जा रहा था। वो पैसे कमा रहा था। वृद्ध व्यक्ति ने उससे कहा, ‘‘तुम अपने जीवन के साथ क्या करने का इरादा रखते हो?'' “ठीक है,” युवा व्यक्ति ने कहां, “मैं बहुत ज्यादा परिश्रम करनेवाला हूँ।” वृद्ध व्यक्ति ने उसकी ओर देखा और कहा, “फिर क्या?” “ठीक है,” उसने कहा, “मैं बहुत पैसे बनानेवाला हुँ।” वृद्ध व्यक्ति ने उसकी ओर देखा और कहा ‘‘फिर क्या?'' “ठीक है,” उसने कहा, “मैं मानता हुं कि मैं शादी करूंगा।” वृद्ध व्यक्ति ने कहा, “फिर क्या?” फिर उसने कहा, “मैं जानता हूं कि मेरा परिवार होगा और मैं उन्हें बडा करूंगा।” “फिर क्या?” “ठीक है, मैं सोचता हूं, मैं निवृत होउंगा और अपने स्वयं आनंद लूंगा और मेरे जीवन में जो बनाया है उसका आनंद लूंगा।” “फिर क्या?” “ठीक है, में अनुमान लगाता हूं कि मैं मर जाउंगा।” “फिर क्या?” और उस प्रश्न ने उसे चक्ति कर दिया। और वो इसे अपने दिमाग से नहीं निकाल सका।
और यही जरूरत है आपको भी करने की। आप अपने आप से पूछेंगे, “मेरा जीवन कहाँ जा रहा है? मैं जीवन भर आगे पीछे भागता रहा, परंतु मेरा जीवन कहाँ जा रहा है?”
और इसीलिये मैं चाहता हूं कि आप लौट कर यहां कलीसिया में आओ अगले रविवार। मुझे चाहिये की आप इस कलीसिया मे ंपक्के मित्र बनाये। यही उपाय है अकेलापन दूर करने का। कलीसिया परिपूर्ण जगह नहीं हैं, क्योंकि इसके अंदर मनुष्य है और मनुष्यजाति पूरिपूर्ण नहीं है। परंतु कलीसिया ‘‘धरती की सबसे सुखद जगह” है। वे ये बात डीझनीलेन्ड के लिये कहते है, परंतु वे गलत है। स्थानीय कलीसिया धरती की सबसे सुखद जगह है।
परंतु आपको स्थानीय कलीसिया में अपने स्वयं से वादा करना होगा। ये आपका अकेलापन दूर नहीं करेगा अगर आप कुछ क्षण के लिये ही आओगे और फिर चले जाओगे। आपको कलीसिया के साथ जुड जाना जरूरी है, और आते रहो, हर हफते, कोई बात नहीं जो भी हो जाये। इस तरह का वचन जरूरी है स्थिर शादीशुदा जीवन पाने को लिये - और यह जरूरी है कलीसिया परिवार का हिस्सा होने! लोग अकेले है क्योंकि वे बहत स्वार्थी और लालची है उनके स्वयं से दूसरो को वादा करने। वे बंद कर देते है जैसे वृद्ध स्क्रुझ, कीकेन्स में ए क्रीसमस केरोल। वे इतने स्वार्थी और लालची है कि आखिर में वे पूरी तरह अकेले हो जाते है - कोई आरामगृह में रूके हुए, पूरी तरह अर्थपूर्ण संबंधो से कटे हुए। और ये सब शुरू होता है, जब आप युवा होते हो। इसे रख दिजीये जैसे जीवन के एक बडे सिद्धांत की तरह : अगर आप अपने स्वयं को वादा नहीं करते स्थायी लोगो के समुदाय के लिये, आप सदा अकेले ही रहोगे। और वहां पर अधोलोक से अकेली कोई जगह नहीं। धनवान व्यक्ति अधोलोक में इतना अकेला था कि उसने भिखारी को याचना की आने के लिये और उसे पीने का पानी देने। आपको यहाँ स्थानीय कलीसिया में आना ही हेै और यहाँ रहीये, अगर आपको अकेलेपन से बाहर आना हो।
और फिर आपको पूरी तरह यीशु मसीह, प्रभु के पुत्र के पास आना है। वे क्रुस पर मरे आपके पापो का दण्ड चुकाने। उसने उनका बहुमुल्य लहु छिडका, ताकि आपके पाप शुद्ध हो सके। वे मृत्यु से उठे और अब प्रभु के दाहिने हाथ पर बैठे है, स्वर्ग में। परंतु आपको अपने स्वार्थीपन, मूर्तिपूजक, जीवनशैली से फिरना है और आपको हर एक रविवार को कलीसिया आना है, कभी भी खोये बिना। यह सच्चा पश्चाताप है! यही है इसका अर्थ! और आपको फिर पूरी तरह मसीह के पास आना ही है और उनके लहू द्वारा शुद्ध होना ही है! वही है सच्ची मुक्ति! यही है नई नियमावली के इसाई धर्म का मत! वहीं जवाब है जीवन के बडे प्रश्न का! इसी तरह जीवनभर जिना है। इस भटकती पीढी से बाहर आओ! इसे छोड दो! इस स्थानीय कलीसिया में आओ, नये टेस्टामेंट बेप्टीस्ट कलीसिया! सारे रास्तों से मसीह तक आओ! यह कीजीये! यह कीजीये! यह कीजीये! और प्रभु आपको सदा के लिये आशिष करे!
(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्रशास्त्र : दानिय्येल 12:1-4; 8-10।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘हीरो की बीघा जमीन'' (आर्थर स्मीथ द्वारा, 1959)।
रूपरेखा यह भटकती हुई पीढ़ी डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा ‘‘परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके, इन वचनों को अंत समय तक के लिये बंद रख : बहुत से लोग पूछ - पाछ और ढूँढ - ढाँंढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ भी जाएगा'' (दानिय्येल 12:4)। (दानिय्येल 12:8-9)। I. पहला, बाइबल बहुत से चिन्ह देता है कि हम अब जी रहे है ‘‘अंत के समय में'', दानिय्येल 12:4अ; लूका 21:11; 25-26; लूका 21:10; जर्कयाह 12:3; लूका 21:12; 2 थीस्सलुनीकियो 2:3। II. दूसरा, पाठ हमें कहता है कि ज्ञान और सफर बढेंगे अंत के समय में, दानिय्येल 12:4ब। III. तीसरे स्थान पर, पाठ हमें कहता है मनुष्य जाति की बेचैनी अंत के समय में, उत्पति 4:14; मती 24:37; 2 तीमुथीयुस 3:1-2; मती 6:33; 2 तीमुथीयुस 3:3। |